वृद्ध को बचाने कुएं में कूदे दो अन्य भी डूबे, एनडीआरएफ ने रात में कुएं से निकाले शव
हुकुलगंज क्षेत्र में मंगलवार की रात को एक कुएं में वृद्ध के गिरने के बाद उनको बचाने के लिए परिवार के दो अन्य भी कूद गए, मौके पर एनडीआरएफ बचाव में रात भर जुटी रही।
वाराणसी (जेएनएन) । जैतपुरा व कैंट थाना क्षेत्र के बार्डर पर हुकुलगंज बघवानाला स्थित भरौटी मैदान के कुएं में मंगलवार की रात बीमारी से आजिज काशी राजभर ने छलांग लगा दी। पिता को कुआं में कूदते देख बेटा घूरे राजभर शोर मचाते हुए भागा। पीछे-पीछे काशी के भाई का पौत्र गोविंद भी पहुंचा। घूरे और गोविंद रस्सी के सहारे कुएं में उतरे लेकिन दम घुटने से तीनों की मौत हो गई। डेढ़ घंटे की मशक्कत के बाद एनडीआरएफ की मदद से सबसे पहले काशी का शव बाहर निकाला गया। पिता-पुत्र व पौत्र की मौत से परिवार में कोहराम मच गया। वहीं राहत और बचाव कार्य करने पहुंची एनडीआरएफ की टीम के जनरेटर में देर रात आग लगने से हडकंप भी मच गया।
एक एक कर तीन ने लगाई कुएं में छलांग
बघवानाला स्थित भरौटी मैदान निवासी काशी राजभर (65 वर्ष) लंबे समय से बीमार चल रहे थे। घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण बेटे दवा का खर्च उठा रहे थे जिससे चलते काशी राजभर तनाव में चल रहे थे। सोमवार की रात नौ बजे अचानक घर से बाहर निकले और पचास कदम की दूरी पर स्थित सार्वजनिक कुएं पर पहुंचे। पीछे से बेटे व अन्य लोगों ने उन्हें देखा। कोई कुछ समझता, इससे पहले ही काशी ने कुएं में छलांग लगा दी। पिता को कूदते देख बेटा घूरे राजभर (35 वर्ष) शोर मचाते हुए कुएं की ओर दौड़ पड़ा। पीछे-पीछे घूरे के चचेरे भाई राधे का बेटा गोविंद राजभर (20 वर्ष) भी दौड़ा। रस्सी के सहारे घूरे व गोविंद लगभग एक सौ फीट से भी अधिक गहरे कुएं में उतरे।
राहत और बचाव कार्य जारी
आसपास के लोग भी जुट गए। सूचना पर कैंट, जैतपुरा, चेतगंज समेत आसपास के थाने की फोर्स पहुंच गई। मशक्कत के बाद भी जब कुछ नहीं हुआ तो एनडीआरएफ को मदद के लिए बुलाया गया। मौके पर पहुंची एनडीआरएफ की टीम ने सबसे पहले काशी के शव को बाहर निकाला। काशी के दो बेटों में बड़े घूरे की शादी हो चुकी है और उसके तीन बच्चे हैं। बर्फ की फैक्ट्री में काम करने के बाद घूरे इन दिनों राजगीर का काम कर रहा था।
जनरेटर में आग लगी
देर रात करीब साढे ग्यारह बजे एनडीआरएफ के राहत और बचाव कार्य के दौरान उस समय बाधा आ गई जब जनरेटर में अचानक आग लग गई। आग लगने के बाद मौके पर हड़कंप भी मच गया और राहत बचाव कार्य में एक बार फिर से बाधा आ गई। हालांकि इसके बाद आधी रात के बाद भी देर रात शव की तलाश में टीम लगी रही।
तीन दिन बाद गृह प्रवेश की तैयारी थी : क्षेत्रीय लोगों ने बताया कि इलाकाई पार्षद की मदद से प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना के तहत इन दिनों घूरे अपना मकान बनवा रहा था। अंतिम किस्त के रूप में पचास हजार रुपये बुधवार को मिलने वाला था। किस्त मिलते आवास का थोड़ा बहुत काम कराने के बाद नवरात्र में गृह प्रवेश की तैयारी थी लेकिन अनहोनी हो गई।
काशी के दो बेटों में बड़े घूरे की शादी हो चुकी है और उसके तीन बच्चे हैं। बर्फ की फैक्ट्री में काम करने के बाद घूरे इन दिनों राजगीर का काम कर रहा था। घूरे के चचेरे भाई राधे का बेटा गोविंद कोयला की दुकान पर काम करता था। बेटे पर तीन संतान, पत्नी के साथ ही बीमार पिता का बोझ काशी को सालता था। आए दिन इस बात को लेकर काशी दुखी होकर पड़ोसियों से चर्चा करते थे कि उनकी बीमारी से बेटे को और भी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है लेकिन बेटा कभी शिकायत नहीं करता। परिवार में तीन लोगों की एक साथ मौत से पूरा क्षेत्र सकते में थे।
कुएं की गहराई देख हैरत में थे लोग : हादसे की सूचना पर पहुंची पुलिस संकरे कुएं की गहराई देखकर हैरत में पड़ गई। लगभग अस्सी फीट नीचे पानी था। क्षेत्रीय लोगों ने बताया कि क्षेत्र में कई हैंडपाइप लगने के बाद से बीते पांच महीने से कुएं के पानी का पीने के लिए इस्तेमाल नहीं हो रहा था। कुछ लोग स्नान के लिए कुएं का उपयोग करते थे।
दो घंटे बाद निकला गोविंद का शव : हादसे के लगभग तीन घंटे बाद गोविंद का शव एनडीआरएफ ने कुएं से बाहर निकाला जबकि घूरे का साढ़े तीन घंटे बाद शव बाहर आया।