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वाराणसी के जिला अस्पताल में ऑक्सीजन बिना घंटों तड़पते रहे तीन मासूम

ऑक्सीजन की व्यवस्था नहीं होने की सूचना तत्काल अस्पताल की प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक (एसआइसी) को देने की कोशिश की जाने लगी।

By amal chowdhuryEdited By: Published: Sun, 03 Sep 2017 01:05 PM (IST)Updated: Sun, 03 Sep 2017 01:06 PM (IST)
वाराणसी के जिला अस्पताल में ऑक्सीजन बिना घंटों तड़पते रहे तीन मासूम
वाराणसी के जिला अस्पताल में ऑक्सीजन बिना घंटों तड़पते रहे तीन मासूम

वाराणसी (जागरण संवाददाता)। गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कालेज में ऑक्सीजन न मिलने के कारण बच्चों की मौत की घटना से बनारस के स्वास्थ्य महकमे ने कोई सबक नहीं लिया। यही वजह है कि शनिवार को जिला महिला अस्पताल में ऑक्सीजन के बिना तीन मासूम दो घंटे तक तड़पते रहे। गनीमत रही कि डॉक्टरों की सूझबूझ ने मासूमों की जान बचा ली। आधे घंटे तक जब ऑक्सीजन की व्यवस्था नहीं हुई तो अंबू बैग का इस्तेमाल कर उनकी जान बचाई गई।

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शनिवार दोपहर में जिला महिला अस्पताल की नियोनेटल केयर यूनिट में डॉ. रंगनाथ दुबे व उनके सहयोगी तैनात थे। दोपहर एक से दो बजे के बीच अस्पताल में भर्ती सारनाथ की प्रिंसी, शिवपुर की रिंकी और चोलापुर की सुनीता को प्रसव कराया गया। तीनों नवजातों की स्थिति गंभीर थी।

उन्हें एनएनसीयू में रेफर किया गया। वहां डॉक्टर ने नवजातों की हालत नाजुक देखते ही ऑक्सीजन देने का निर्देश दिया। लेकिन यूनिट में बिजली नहीं थी और आक्सीजन सिलेंडर का नोजल भी नहीं खुल रहा था।

ऑक्सीजन की व्यवस्था नहीं होने की सूचना तत्काल अस्पताल की प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक (एसआइसी) को देने की कोशिश की जाने लगी। लेकिन काफी प्रयास के बाद भी आधे घंटे तक उनका मोबाइल नहीं उठा। हालांकि नवजातों की जान बचाने के लिए उन्हें ऑक्सीजन देना जरूरी था। ऐसे में डाक्टरों ने अंबू बैग के प्रयोग का निर्णय लिया। बिजली कटी होने के कारण अंबू बैग से ऑक्सीजन दे रहे डाक्टर व कर्मी पसीना-पसीना हो गए।

इस दौरान एक स्टाफ नर्स ऑक्सीजन सिलेंडर खोलने के प्रयास में जुटी रही। करीब डेढ़ घंटे की मशक्कत के बाद उसे इसमें सफलता मिली। इसके बाद बच्चों को सिलेंडर से ऑक्सीजन देना शुरू किया गया। साथ ही डॉक्टरों कर्मचारियों ने भी राहत की सांस ली।

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ऑक्सीजन सिलेंडर में थी लीकेज: जिला महिला अस्पताल के एनएनसीयू में तैनात बाल रोग विशेषज्ञ डा. जेपी सिंह ने बताया कि दोपहर में ऑक्सीजन सिलेंडर की कमी नहीं थी। सिलेंडर में लीकेज जरूर थी जिससे परिजन परेशान हो गए। लेकिन जब गैस फ्लो मशीन की रीडिंग की गई तो आपूर्ति सामान्य थी। इसलिए पहले मासूमों को बचाया गया और बाद में सिलेंडर की लीकेज दुरुस्त किया गया।

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