मीरजापुर में खनन के पानी भरे गड्ढे में डूबने से भाई समेत दो सगी बहनों की मौत
मीरजापुर में मवेशी चराने निकले चकजाता गांव के तीन बच्चे खनन के पानी भरे गड्ढे में नहाते समय डूब गए। तीनों का शव बरामद हो चुका है।
मीरजापुर, जेएनएन। अहरौरा क्षेत्र में चिरैया पहाड़ पर बीते शुक्रवार की शाम को मवेशी चराने निकले चकजाता गांव के भाई समेत दो सगी बहनें खनन से बने गड्ढे के पानी में नहाते समय डूब गईं। दूसरे दिन शनिवार को सुबह इसमें भाई का शव उतराया हुआ मिला तो घटना की जानकारी हुई। इसके बाद दोनों सगी बहनों के शव को गोताखोर की मदद से बाहर निकाला गया। पुलिस ने शव का पंचनामा भरकर अंत्यपरीक्षण के लिए भेज दिया। तीन भाई-बहनों की मौत से परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है और गांव में भी मातम पसरा हुआ है। वहीं शनिवार को दोहपर बाद डीएम सुशील पटेल ने घटना स्थल का निरीक्षण किया। उन्होंने लापरवाही बरतने पर पट्टाधारक का लीज सीज करने का निर्देश खान अधिकारी को दिया। उन्होंने बताया कि पूरे मामले की जांच के लिए दो सदस्यीय कमेटी भी गठित की है जिसमें चुनार एसडीएम और खान अधिकारी शामिल किया गया है।
चकजाता गांव निवासी प्रकाश पुत्र रामबली पहाड़ पर मजदूरी का कार्य करता है। शुक्रवार को उसके चारों बेटे काजू (9)व आकाश (ढाई), बेटियां राधिका (10) व खुशबू (8) पड़ोस की आरती (9) पुत्री सुग्रीव के साथ घर से गाय व बकरियों को चराने के लिए चिरैया पहाड़ की ओर निकले थे। इस दौरान राधिका, काजू व खुशबू पहाड़ पर खनन कार्य के बाद बने गड्ढे के भरे पानी में नहाने लगे। इसी बीच उनका पैर फिसला और तीनों गहरे पानी में डूब गए। ढाई वर्षीय आकाश घटनास्थल से एक किलोमीटर दूर स्थित घर पहुंच कर मां को बताया लेकिन उसकी तुतलाती भाषा कोई समझ नहीं पाया। वहां से लौटी पड़ोस की नौ वर्षीय आरती ने किसी को कुछ नहीं बताया। शुक्रवार की रात परिजन अपने तीन बच्चों को खोजते हुए घटनास्थल पर पहुंचे लेकिन किसी को कुछ पता नहीं चल पाया। शनिवार की सुबह काजू का शव पानी में उतराया मिला तब पुलिस और गोताखोर मौके पर पहुंच डूबे हुई बेटियों की तालाश शुरू किए। काफी मशक्कत के बाद दोनों का शव बाहर निकाला जा सका। बच्चों के डूबने की सूचना पर एसडीएम सुरेंद्र बहादुर सिंह, सीओ हितेंद्र कृष्ण समेत तीन थानों की पुलिस मौके पर मौजूद थे। इस दौरान ग्रामीणों की भीड़ जुट गई थी।
पोकलेन मशीन का ग्रामीणों ने किया विरोध
स्थानीय लोगों द्वारा जब गहरे पानी से बच्चों के शव को ढूंढने में सफलता नहीं मिली तो पुलिस ने पोकलेन मशीन से खुदाई करा कर गड्ढे से पानी निकालने का प्रयास किया, लेकिन मौके पर मौजूद ग्रामीणों ने इसका भारी विरोध किया। ग्रामीणों का कहना था कि पहाड़ के गड्ढों से निकला हुआ पानी उनके खेतो में जाएगा जिससे फसल बर्बाद हो जाएगी। इस पर पुलिस को पोकलेन वहां से वापस लौटाना पड़ा।
नाला व कुलाबा को पाटकर बना लिया रास्ता
सोनपुर गांव से सटे इलाकों में खेतों से सिंचाई के लिए बनाए गए नाला और कुलाबा को खनन माफिया द्वारा पाटकर रास्ता बना दिया गया है। इसके कारण नहरों के साथ ही बारिश का पानी भी किसानों के खेतों तक नहीं पहुंच पाता है। जब भी किसान इसके खिलाफ आवाज उठाते हैं तो दबंगई के चलते उनके आवाज को दबा दिया जाता है। बता दें कि अहरौरा में पत्थर का खनन होता है। इससे पटिया, गिट्टी व बोल्डर तैयार किए जाते हैं।
पहाड़ पर बकरियां करती रहीं इंतजार
पानी में नहाने के दौरान बच्चों ने पहाड़ के जिस स्थान पर बकरियों को बैठाया था वहीं वे उनके लौटने का इंतजार करती रहीं। शनिवार की सुबह जब बच्चों के शव को बाहर निकाला तो वह पहाड़ की चोटी से उन्हें देख सहमी नजर आ रही थीं। यह देख ग्रामीण भी भावुक हो उठे।
तीन बेटे-बेटियों की मौत बर्दाश्त नहीं कर पा रहे थे परिजन
पानी में डूब कर एक साथ तीन बेटे-बेटियों के शव को देखकर माता-पिता गश खाकर गिर पड़ रहे थे। वे कभी सपने में भी नहीं सोचे कि हाड़-तोड़ मेहनत कर जिन बच्चों का पालन-पोषण कर रहे थे, उनकी एक साथ मौत हो जाएगी।पिता प्रकाश ने रोते हुए बताया कि अगर स्कूल खुला होता तो बच्चे मवेशी चराने नहीं जाते और न ही इतना बड़ा दुखों का पहाड़ उसके ऊपर टूटता।