खाड़ी देशों से तीसरा वर्चुअल कारपेट फेयर नवंबर में, भारतीय कालीन की पकड़ छह और देशों में बनाने की कोशिश
सीईपीसी बोर्ड ने अब तीसरा वर्चुअल फेयर खाड़ी सहयोगी छह प्रमुख देशों के आयातकों के साथ कराने की सहमति बनी है। फेयर नवंबर में होगा लेकिन तारीख की घोषणा पखवारे भर की जाएगी। पूरा प्लान बनाने के लिये कहा गया है।
भदोही, जेएनएन। आॅनलाइन प्लेटफार्म से पहले दुनिया को साधा, फिर आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड समेत चार आयातक देशों को। भारतीय कालीन की चमक बिखरने की पुरजोर कोशिश कालीन निर्यात संवर्धन परिषद ने की है। योजना तैयार हुई है। सीईपीसी बोर्ड ने अब तीसरा वर्चुअल फेयर खाड़ी सहयोगी छह प्रमुख देशों के आयातकों के साथ कराने की सहमति बनी है। फेयर नवंबर में होगा, लेकिन तारीख की घोषणा पखवारे भर की जाएगी। पूरा प्लान बनाने के लिये कहा गया है। देश भर के निर्यातकों के तैयारी के निर्देश भी दिये जा चुके हैं। इस तरह भारतीय कालीन की पकड़ कई और देशों तक बनाने की कोशिश शुरू हो गई है। चेयरमैन सिद्धनाथ ङ्क्षसह ने बताया कि योजना बनाई गई है। प्लान जल्द ही फाइनल कर दिया जाएगा।
जनवरी 2021 तक तीन और फेयर होंगे
वर्चुअल फेयर के जरिये कोरोना से प्रभावित कालीन उद्योग को जीवंत करने की कोशिशें चल रही हैं। आयातकों से संपर्क बनाया जा रहा है। बता दें कि आस्ट्रेलिया व न्यूजीलैंड समेत चार देशों के साथ 29 सितंबर से एक अक्टूबर तक दूसरा फेयर चल रहा है, गुरुवार को अंतिम दिन रहा। पूरे फेयर के दौरान आयातक और निर्यातक उत्साहित दिखे हैं। इसके चलते सीईपीसी ने तीसरे वर्चुअल फेयर की तैयारी कर ली है, इसके अलावा दो और फेयर मार्च 2021 के पहले होंगे ।
उन देशों पर ध्यान जहां भारतीय कालीनों का व्यापार कम है
कालीन उद्योग को गति देने के लिये सीईपीसी निरंतर प्रयास कर रही है। उन देशों पर ध्यान है जहां भारतीय कालीनों का व्यापार कम है। चीन से बेहतर व्यापारिक संबंध वाले देशों पर भी नजर रखी गई है। तीसरे वर्चुअल फेयर से कोशिशें और जीवंत होंगी।
-सिद्धनाथ सिंह, चेयरमैन, कालीन निर्यात संवर्धन परिषद
तीसरा फेयर खाड़ी देशों के लिये आयोजित करने की योजना बनाई गई है
पहले वर्चुअल फेयर को मिली सफलता के बाद दूसरा फेयर भी कामयाबी की ओर है। तीसरा फेयर खाड़ी देशों के लिये आयोजित करने की योजना बनाई गई है। इसके बाद यूएसए व यूरोपीय देशों के लिए भी आयोजन होगा।
-उमेश कुमार गुप्ता, वरिष्ठ सदस्य, कालीन निर्यात संवर्धन परिषद