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बीएचयू के शोध में आया सामने हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक भी रोक लेंगी यह असरदार दवाएं

हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक को लेकर चिकित्सा विज्ञान संस्थान, बीएचयू के बायोकमेस्ट्री विभाग में तीन दवाओं डाय क्लोरो एसिटेट, डासा, डीएचईए पर शोध किया गया है।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Sat, 19 Jan 2019 12:21 PM (IST)Updated: Sat, 19 Jan 2019 12:21 PM (IST)
बीएचयू के शोध में आया सामने हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक भी रोक लेंगी यह असरदार दवाएं

वाराणसी [मुकेश चंद्र श्रीवास्तव] । पहले संक्रामक रोगों का प्रकोप ज्यादा था। इन रोगों से लोगों की मौत भी बहुत ज्यादा होती थी, लेकिन अब स्थिति बदलती जा रही है। अब नॉन कम्युनिकेबल डिजीज की समस्या भी गंभीर होती जा रही है, जो अचानक ही उभर आती है। इसमें सबसे घातक बीमारी हार्ट अटैक एवं ब्रेन स्ट्रोक है। जो लोगों को संभलने का भी मौका नहीं देती है। इसकी को ध्यान में रखते हुए चिकित्सा विज्ञान संस्थान, बीएचयू के बायोकमेस्ट्री विभाग में तीन दवाओं डाय क्लोरो एसिटेट, डासा, डीएचईए पर एक शोध किया गया है। इन दवाओं का दुनिया में विभिन्न रोगों पर शोध चल रहा है। यहां पर तीन दवाओं पर शोध में ऐसी बात सामने आई है जो खून का थक्का बनने नहीं देगा, बल्कि रक्त संचार को बढ़ाएगा। यानी आगे चलकर यह दवाएं हार्ट अटैक व ब्रेन स्ट्रोक भी रोक सकती है। 

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शरीर में तीन रक्त कोशिकाएं : बायोकेमेस्ट्री के प्रो. डी दाश बताते हैं कि शरीर में तीन रक्त कोशिकाएं हमेशा तैरती रहती हैं। इसमें लाल कोशिकाएं,  सफेद कोशिकाएं और प्लेटलेट है। लाल रक्त यानी आरबीसी (रेड ब्लड सेल) आक्सीजन सप्लाई करता है, इस लिए खून रंग लाल होता है। सफेद कोशिकाएं प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है। वहीं सबसे छोटी कोशिकाएं प्लेटलेट होती है। यह कही कटने पर खून का थक्का बनाने में सहायक होता है। थक्का जमने से ही खून बहना रूकता है। कभी कभी हृदय और मस्तिष्क के धमनियों में बिना  किसि घाव के अचानक ही खून का थक्का बन जाता है, जिससे हार्ट अटैक और स्ट्रोक हो जाता है। यह भी एक जांच का विषय था। 

यह रहे टीम में शामिल : प्रो. दाश के निर्देशन में डा. परेश कुलकर्णी, अरुधंती तिवारी, नितेश सिंह, दीपा गौतम, विजय कुमार सोनकर व हृदय रोग विभाग के वरिष्ठ चिकित्सक डा. विकास अग्रवाल ने शोध किया।

लैब में मिली सफलता : शोध में पाया गया कि प्लेटलेट्स सक्रिय होने पर इन कोशिकाओं में अचानक ही ज्यादा से ज्यादा ग्लूकोज का अपचय (मेटाबोलिज़्म ) ग्लाइकोलिसिस के मार्ग से होने लगता है। जिससे प्लेटलेट को ऊर्जा भी मिलती है। प्रो. दाश ने बताया कि शोध के दौरान लैब में वारबर्ग इफेक्ट को रोकने के लिए तीन ब्लाकर यानी तीन दवाएं (डाय क्लोरो एसिटेट, डासा, डीएचईए) का सहारा लिया गया। दवाओं का असर था कि प्लेटलेट सक्रिय नहीं हो रहे थे। लैब में मिली सफलता के बाद इसे चूहे पर आजमाया गया। 

चौंकाने वाले थे परिणाम : चूहे के पेट से धमनी निकाली गई। फिर केमिकल देकर प्लेटलेट को चिन्हित करने के साथ ही थक्का तैयार किया गया। इसके बाद दवाओं को डाला गया, जिसके परिणाम चौकाने वाले थे। शोध में पाया गया कि यह दवाएं एंटी थ्रोम्बोटिक यानी खून को थक्का बनने से रोकने में कारगर साबित हुई। इस नई खोज का पिछले साल पेटेंट भी कराया जा चुका है। शोध से पता चला है कि यह दवाएं हार्ट अटैक को रोकने में सहायक हो सकती है। इस रिसर्च को प्रसिद्ध जर्नल हीमाटोलॉजिका (जर्नल आफ दी यूरोपियन हीमाटोलॉजी एसोसिएशन) ने स्वीकार कर लिया है। जो आनलाइन भी हो चुका है। 


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