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मां विंध्‍यवासिनी के दर पर उमड़ा श्रद्धा का सैलाब, श्रद्धालुओं ने की त्रिकोण परिक्रमा

शारदीय नवरात्र के चौथे दिन मंगलवार को भक्तों ने मां विंध्यवासिनी के कुष्मांडा स्वरूप का दर्शन-पूजन कर पुण्य की कामना की। मां के दरबार में मध्य रात्रि के बाद से ही भक्तों की लंबी लाइन लग गई। अष्टभुजा एवं काली खोह मंदिर पर मत्था टेक त्रिकोण परिक्रमा की।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Tue, 20 Oct 2020 08:52 PM (IST)Updated: Tue, 20 Oct 2020 08:52 PM (IST)
मां विंध्‍यवासिनी के दर पर उमड़ा श्रद्धा का सैलाब, श्रद्धालुओं ने की त्रिकोण परिक्रमा
नवरात्र के चौथे दिन मंगलवार को भक्तों ने मां विंध्यवासिनी के कुष्मांडा स्वरूप का दर्शन-पूजन कर पुण्य की कामना की।

मीरजापुर, जेएनएन। शारदीय नवरात्र के चौथे दिन मंगलवार को भक्तों ने मां विंध्यवासिनी के कुष्मांडा स्वरूप का दर्शन-पूजन कर पुण्य की कामना की। मां के दरबार में मध्य रात्रि के बाद से ही भक्तों की लंबी लाइन लग गई। मां का दर्शन करने के बाद भक्त अष्टभुजा एवं काली खोह मंदिर पर मत्था टेक त्रिकोण परिक्रमा की। मां के जयकारे से विंध्यधाम का चप्पा-चप्पा गूंजता रहा।

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दूर-दराज से आए भक्त गंगा स्नान कर दर्शन-पूजन के लिए मंदिर की तरफ जाने वाले मार्ग पर लाइन में लग गए। मंगला आरती के बाद गर्भगृह का कपाट खुलते ही भक्त दर्शन-पूजन करने में जुट गए। मंदिर के दोनों प्रवेश द्वार एवं झांकी पर भक्तों की लाइन लगी रही। शक्ति स्वरूपा मां विंध्यवासिनी का दर्शन-पूजन करने के बाद भक्त मंदिर परिसर पर विराजमान समस्त देवी-देवताओं का दर्शन कर हवन कुंड की परिक्रमा की। इसके बाद अष्टभुजा और कालीखोह मंदिर पर दर्शन-पूजन के लिए रवाना हो गए। इन मंदिरों पर भी भक्तों की लंबी लाइन लगी रही। गंगा घाटों पर भी स्नान करने के लिए बड़ी संख्या में भक्त पहुंचे थे। गुदारा घाट, पक्का घाट, दीवान घाट पर बड़ी संख्या में भक्तों ने स्नान कर दान-पुण्य किया। सुरक्षा व्यवस्था के मद्देनजर पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगाई गई है। वहीं श्रीविंध्य पंडा समाज के पदाधिकारी भी भक्तों की सेवा में लगे रहे।

मां के आरती का समय

मंगला आरती 3 से 4 बजे भोर

मध्यान्ह आरती 12 से 1 बजे दोपहर

संध्या आरती 7.30 से 8.30 बजे शाम

शयन आरती 9.30 से 10.30 बजे रात्रि

निकास द्वार से करा रहे प्रवेश

मेले की व्यवस्था के लिए ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मी व पंडा निकास द्वार से दर्शन-पूजन कराने में जुटे हुए हैं। अष्टभुजा मंदिर पर तो पैसा लेकर निकास द्वार से श्रद्धालुओं को प्रवेश कराया जा रहा है। इसमें पुलिसकर्मियों की भी मिलीभगत है क्योंकि वे खुद निकास द्वार से भक्तों को प्रवेश करा रहे हैं।

शोपीस बना मेटल डिटेक्टर

थाना कोतवाली मार्ग पर मेटल डिटेक्टर लगाया गया है लेकिन वहां पर कोई कर्मचारी तैनात नहीं है। इससे मेटल डिटेक्टर शोपीस बनकर रह गया है। दर्शनार्थी भी मेटल डिटेक्टर के बगल से आ-जा रहे हैं।

व्हीलचेयर की मदद से मां की चौखट पर पहुंची दिव्यांग

कोरोना काल के बीच जहां बूढ़े, बच्चे, नौजवान तो विंध्यधाम आ ही रहे हैं वहीं कुछ ऐसे भी लोग हैं जो चलने-फिरने में भी असमर्थ हैं। मंगलवार को एक दिव्यांग दर्शनार्थी मां विंध्यवासिनी के दर्शन-पूजन को आई थी। चलने-फिरने में असमर्थ होने के कारण मंदिर के प्रशासनिक भवन पर रखे व्हीलचेयर के सहारे उसे मंदिर तक पहुंचाया गया।

मंदिर के करीब पहुंची चार पहिया वाहन, पुलिसकर्मी मूकदर्शक

विंध्यधाम में उमडऩे वाली भीड़ को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन की ओर से चारों तरफ बैरियर लगाकर पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है और वाहनों के लिए जगह-जगह स्टैंड बनाए गए हैं। इसके बाद भी चार पहिया वाहन बेधड़क मंदिर तक पहुंच जा रही है। मंगलवार को पुरानी वीआईपी मार्ग पर मंदिर के करीब तीस मीटर पहले एक चार पहिया वाहन खड़ा कर दिया गया। इससे दर्शनार्थियों को काफी कठिनाई का सामना करना पड़ा। वहीं पुलिसकर्मी मूकदर्शक बने हुए थे। लोगों ने पुलिस प्रशासन पर सुरक्षा को लेकर लापरवाही का आरोप लगाया। कहा कि अगर यही हाल रहा तो कभी भी कोई हादसा हो सकता है।

चार दिन के अंदर 120 लोगों को मिलाया

शारदीय नवरात्र के दौरान जिला प्रशासन की ओर से विंध्याचल कोतवाली परिसर पर खोया पाया केंद्र की स्थापना की गई है। चार दिनों के अंदर परिवार से बिछड़े 120 श्रद्धालुओं को मिलाया गया। मां विंध्यवासिनी के दर्शन-पूजन के लिए सात गलियों से होकर मंदिर तक जाना पड़ता है। इस बीच भीड़ के दौरान कुछ लोग परिवार से बिछड़ जाते हैं। वहीं श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए मेला कंट्रोल रूम बनाया गया है। जहां एलाउंसमेंट के माध्यम से खोए हुए परिवार के सदस्यों को उनके परिजनों से मिलाया जाता है।

नौका विहार का लुत्फ उठा रहे श्रद्धालु

मां विंध्यवासिनी धाम आने वाले भक्त दर्शन-पूजन के बाद नांव से भी सैर कर लुत्फ उठा रहे हैं। इससे नाविकों का भी कुछ कमाई हो जा रहा है। सुविधायुक्त वाहन की तरह सजे नांव लोगों को बरबस ही आकर्षित कर रही है। नांव पर साउंड व लाइफ जैकेट भी उपलब्ध है।

श्रद्धालु बोले, माता कुष्मांडा ही कोरोना से बचाएंगी

नवरात्र का चौथा दिन माता कुष्मांडा को समर्पित है। माता का यह रूप शोक-विकारों और रोगों से मुक्ति प्रदान करता है। कहा जाता है कि माता ने अपनी मंद मुस्कराहट से ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति की थी। इसी कारण उनको कुष्मांडा नाम से जाना जाता है। माता कुष्मांडा का निवास सूर्यमंडल के भीतर के लोकों में है, जहां रह पाने में सिर्फ माता ही सक्षम हैं। देवी कुष्मांडा आराधना से प्रसन्न होकर जातक को रोग-शोक से मुक्ति प्रदान करती हैं और उनकी आयु, यश, समृद्धि में भी वृद्धि होती है। जो जातक बार-बार बीमार होते हैं, माता कुष्मांडा की पूजा करने से शीघ्र ही आरोग्य हो जाते हैं। श्रद्धालुओं का कहना है कि इस समय जैसे कि कोरोना काल चल रहा है और सभी तरफ बीमारी ने अपने पैर पसारे हुए हैं। ऐसे में माता कुष्मांडा ही कोरोना से बचाएंगी।


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