सब जूनियर और जूनियर स्तर पर अधिक से अधिक हॉकी प्रतियोगिताएं होनी चाहिए, बोले- ओलंपियन अशोक
हॉकी के जादूगर मेजर ध्यान चंद के पुत्र ओलंपियन अशोक कुमार का मानना है कि सब जूनियर और जूनियर स्तर पर अधिक से अधिक हॉकी प्रतियोगिताएं होनी चाहिए।
वाराणसी [कृष्ण बहादुर रावत]। हॉकी के जादूगर मेजर ध्यान चंद के पुत्र ओलंपियन अशोक कुमार का मानना है कि सब जूनियर और जूनियर स्तर पर अधिक से अधिक हॉकी प्रतियोगिताएं होनी चाहिए। इससे सीनियर टीम को कभी खिलाडिय़ों की कमी नहीं होगी। सरकार और कारपोरेट क्षेत्र को हॉकी के आधुनिक मैदान बनवाने में रूचि दिखानी चाहिए। ये बातें मोहम्मद शाहिद आल इंडिया हाकी प्रतियोगिता में तीसरे दिन मुख्य अतिथि के तौर पर ओलंपियन अशोक कुमार ने कही।
मैदान में आक्रमक रहने वाले मोहम्मद शाहिद बाहर उतने ही शांत रहते थे
मोहम्मद शाहिद का जिक्र होते ही अशोक भावुक हो गए। उन्होंने कहा कि शाहिद जैसे खिलाड़ी को अभी होना चाहिए। मेरे लिए यह बहुत असहज है कि मैं अपने से कम उम्र के शानदार खिलाड़ी की स्मृति में आयोजित प्रतियोगिता में मुख्य अतिथि हूं। मैदान में आक्रमक रहने वाले मोहम्मद शाहिद बाहर उतने ही शांत रहते थे। उनके खेल में लय होता था। मैंने शाहिद को कई बार खेलते देखा है। उनकी गति और रिवर्स फ्लिक देखने लायक होती थी। वह मैच से पहले बहुत शांत रहते थे। उनको गीत-संगीत का बहुत शौक था। उनका मानना था कि इससे उनको बहुत मानसिक ताकत मिलती थी। उनके जैसा खिलाड़ी बहुत कम पैदा होते हैं। शाहिद और जफर इकबाल की जोड़ी हॉकी की सबसे चर्चित थी। इसी वर्ष टोक्यो में होने वाले ओलंपिक में भारत के बेहतर प्रदर्शन को लेकर अशोक उम्मीद से लबरेज हैैं। उन्होंने कहा कि जिस तरह कुछ दिन पहले हमने भुवनेश्वर में बेल्जियम और ऑस्ट्रेलिया को पराजित किया, उसे देखकर यही लगता है कि हम पदक जीतेंगे। महिला टीम भी लगातार बेहतर प्रदर्शन कर रही है। भारत को ओलंपिक में हॉकी में स्वर्ण पदक जीते 40 वर्ष हो चुके हैं।
म्यूनिख ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाली हॉकी के टीम के सदस्य थे अशोक
करीब 70 वर्षीय अशोक कुमार म्यूनिख ओलंपिक 1972 में हॉकी में कांस्य पदक जीतने वाली टीम के सदस्य थे। वर्ष 1975 में मलेशिया में पहली बार भारत के स्वर्ण पदक जीतने में भी अशोक का योगदान था।