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वाराणसी में एक साथ लहराया तिरंगा और तिब्‍बत का झंड़ा, चीन से तिब्‍बत की आजादी के लिए बजा बिगुल

डोकलाम कांड के बाद गम और गुस्‍से की आंच अब तक ठंडी नहीं हुई है। धोखेबाज चीनी ड्रैगन के छल और कपट से सबसे परेशान तिब्‍बती लोग हैं। इसी कड़ी में भगवान बुद्ध की प्रथम उपदेश स्‍थली सारनाथ में शुक्रवार को भारत और तिब्‍बत के झंंडे एक साथ लगाए गए।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Fri, 25 Dec 2020 06:36 PM (IST)Updated: Fri, 25 Dec 2020 06:56 PM (IST)
डोकलाम कांड के बाद गम और गुस्‍से की आंच अब तक ठंडी नहीं हुई है।

वाराणसी, जेएनएन। डोकलाम कांड के बाद गम और गुस्‍से की आंच अब तक ठंडी नहीं हुई है। धोखेबाज चीनी ड्रैगन के छल और कपट से सबसे परेशान तिब्‍बती लोग हैं। इसी कड़ी में भगवान बुद्ध की प्रथम उपदेश स्‍थली सारनाथ में शुक्रवार को भारत और तिब्‍बत के झंंडे एक साथ लगाए गए। इस दौरान तिब्बत की आजादी और चीन के बने सामानों का बहिष्कार और तिब्बत में चीन द्वारा पर्यावरण को नष्ट करने से बचाने के उद्देश्य से दो तिब्‍बती युवा पहुंचे और चीन से आजादी के प्रति तिब्‍बतियों की ओर से अपनी वचनबद्धता दोहरायी।  

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बताया कि लोगों को जागरूक करने के लिए ही दोनेां तिब्बती युवक हिमाचल प्रदेश से नाथू ला तक शांति पदयात्रा करते शुक्रवार की शाम को भगवान बुद्ध के प्रथम उपदेश स्थली सारनाथ पहुंचे हैं। शुक्रवार को अकथा स्थित एक लान में तिब्बती समुदाय के लोगों ने उनका स्वागत किया वहीं भारत-तिब्बत सहयोग मंच के प्रांतीय अध्यक्ष अरविंद केसरी महामंत्री विवेक सोनी, राकेश ने तिब्बती युवाओं के जज्बे का स्वागत किया।

शांति पद यात्रा कर रहे तेनजिंग दोनदुप व तेनजिंग निमा ने तिब्बतियों के धर्मगुरु परम पावन दलाई लामा के बताए अहिंसा व शांति मार्ग को ध्यान में रखते हुए तिब्बत की आजादी व चीन के सामानों के बहिष्कार को लेकर 2 नवंबर को हिमाचल प्रदेश से शांति पदयात्रा की जानकारी दी। तिब्बत व भारत के युवाओं को जागरूक करते हुए दोनों चंडीगढ़ ,पंजाब, हरियाणा, दिल्ली ,नोएडा, लखनऊ होते हुए शुक्रवार की शाम को भगवान बुद्ध के प्रथम उपदेश स्थली सारनाथ पहुंचे जहां पर केंद्रीय उच्च तिब्बती शिक्षा संस्थान के प्रो. जंपासम्तेन, शिडोंन, भिक्षु तेनजिंग नोरबू, डॉक्टर अनुराग त्रिपाठी, भिक्षु नवांग तेन्फेल, भिक्षु खेम्पो तेनजिंग, डॉ. लक्पा छेरिंग डॉ. उमेश सिंह, ने माला व खाता पहना कर उनका स्वागत किया।

तेनजिंग दोनदुप ने बताया कि हिमाचल प्रदेश से नाथू ला चीन सीमा तक पदयात्रा 90 दिनों में 2100 किलोमीटर की करनी है। जिसमें से 1260 किलोमीटर की यात्रा कर चुके हैं। यह लोग रविवार को बोधगया, सिलीगुड़ी, गंगटोक होते हुए सिक्किम के नाथूला चीन सीमा पर पदयात्रा समाप्त करेंगे।

तिब्बती बुजुर्गों से मिली प्रेरणा

गत जुलाई माह में तिब्बती बुजुर्गों ने तिब्बत की आजादी व चीन के सामानो का बहिष्कार को लेकर मनाली से दिल्ली तक शांति पद यात्रा निकाली थी उन्हींं की प्रेरणा से आज हम तिब्बती युवाओं ने 2100 किलोमीटर शांति पद यात्रा निकाली है। 

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