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वसंत पंचमी पर सजे वाग्देवी के दरबार, शुभ मुहूर्त में पूजन-अनुष्ठान और विधान का आयोजन

वाणी- ज्ञान बुद्धि और विवेक की अधिष्ठात्री देवी मां सरस्वती के पूजन पर्व की पूर्व संध्या पर बुधवार को गली-मोहल्लों में पंडाल सज गए।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Thu, 30 Jan 2020 08:45 AM (IST)Updated: Thu, 30 Jan 2020 06:09 PM (IST)
वसंत पंचमी पर सजे वाग्देवी के दरबार, शुभ मुहूर्त में पूजन-अनुष्ठान और विधान का आयोजन
वसंत पंचमी पर सजे वाग्देवी के दरबार, शुभ मुहूर्त में पूजन-अनुष्ठान और विधान का आयोजन

वाराणसी, जेएनएन। वाणी- ज्ञान, बुद्धि और विवेक की अधिष्ठात्री देवी मां सरस्वती के पूजन पर्व की पूर्व संध्या पर बुधवार को गली-मोहल्लों में पंडाल सज गए। तिथि विशेष पर गुरुवार व सिद्धि योग के दुर्लभ संयोग में पट खुलेंगे और वाग्देवी की पूजा-आराधना के स्वर वातावरण में घुल जाएंगे। इसके लिए स्कूलों में एक दिन पहले ही तैयारियां पूरी कर ली गईं। वहीं माघ मास के चौथे प्रमुख स्नान पर्व पर पुण्य की डुबकी लगाने के लिए श्रद्धालुओं का आना भी शुरू हो गया। बस व रेलवे स्टेशन उनकी भीड़ से पटे रहे। वास्तव में वसंत पंचमी माघ शुक्ल पंचमी को मनार्ई जाती है। पंचमी सुबह 8.18 बजे ही लग गई जो गुरुवार सुबह 10.28 बजे तक रहेगी। उदया तिथि अनुसार पर्व उत्‍तर भारत में दूसरे दिन मनाया जा रहा है। 

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पूजन विधान

ज्योतिषाचार्य पं. ऋषि द्विवेदी के अनुसार वसंत पंचमी की मान्यता अपुच्छ मुहूर्त की है। इसी दिन वाणी, ज्ञान, बुद्धि और विवेक की अधिष्ठात्री देवी मां सरस्वती का पूजन किया जाता है। शास्त्रों में कहा गया है कि माघस्य शुक्ल पंचम्याम विद्यारंभ दिनोदिवा, पूर्वेहि संयमम कृत्वा तत्र श्यात संवत: शुचि। अर्थात माघ शुक्ल पंचमी यानी वसंत पंचमी पर संयम पूर्वक प्रात:काल स्नान संध्या, तर्पण के बाद कलश स्थापन कर गणेश, सूर्य, अग्नि, विष्णु, शिव, दुर्गा आदि देवी देवताओं की नैवेद्य आदि से पूजनोपरांत माता सरस्वती का पंचोपचार या षोडशोपचार पूजन करना चाहिए। इस दिन बुद्धि, वाणी, विवेक की अधिष्ठात्री देवी का पूजन करने से जीवन में आने वाली समस्त बाधाओं से मुक्ति मिलती है।  

कामदेव को समर्पित महोत्सव 

वसंत पंचमी ऋतु परत्व त्योहार है। शास्त्रों में कहा गया है कि मधु माधव वसंत: श्यात..., अर्थात वसंत ऋतु चैत्र व वैशाख है लेकिन यह वसंत पंचमी शिशिर ऋतु में पड़ती है। वसंत ऋतु को ऋतुराज माना गया है। यह वसंत के स्वागत का पर्व है। इस तिथि पर रतिकाम महोत्सव की भी मान्यता है। रतिकाम देव की विधि-विधान से पूजा अर्चना से गृहस्थ जीवन सुखमय, हर कार्य में उत्साह, दाम्पत्य प्रेम में वृद्धि व वाणी में ओज आता है। तिथि विशेष पर ही होलिका दहन के लिए होलिका गाड़ी जाती है। 

संकटमोचन मंदिर में गूंजेंगी मानस की चौपाइयां 

वसंत पंचमी पर 30 जनवरी से लेकर सात फरवरी तक संकटमोचन मंदिर में सार्वजनीन संगीतमय श्रीरामचरितमानस का नवाह्न पारायण पाठ किया जाएगा। पर्व विशेष पर सुबह आठ बजे महंत प्रो. विश्वंभर नाथ मिश्र मां सरस्वती का पूजन कर संगीतमय पाठ का शुभारंभ करेंगे। प्रतिदिन दोपहर 12 से तीन बजे तक विभिन्न वर्गों के विद्यार्थियों में रामचरित मानस के प्रति जागरूकता के लिए प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाएंगी। 


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