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काशी भी महसूसने लगी अब मंदी की मार, मंदी व जीएसटी की जटिलता पैदा कर रही समस्या

लघु उद्यमी व खुदरा व्यापारी भी आर्थिक मंदी की मार को महसूस करने लगे हैं।

By Edited By: Published: Thu, 22 Aug 2019 01:57 AM (IST)Updated: Thu, 22 Aug 2019 05:33 PM (IST)
काशी भी महसूसने लगी अब मंदी की मार, मंदी व जीएसटी की जटिलता पैदा कर रही समस्या

वाराणसी, जेएनएन। लघु उद्यमी व खुदरा व्यापारी भी आर्थिक मंदी की मार को महसूस करने लगे हैं। इनके मुताबिक जीएसटी की जटिलताएं ही आर्थिक मंदी की जनक हैं। ऑनलाइन रिटर्न भरने को कंप्यूटर स्क्रीन पर इतने सवाल आ रहे कि उसे भरने में ही ऊर्जा खत्म हो जाती है। व्यापार में कम हो रहे मुनाफे से रोजगार कम होने लगे हैं। जो आर्थिक मंदी के रूप में सामने आने लगा है। सरकार को चाहिए कि लघु उद्योग व छोटे कारोबारियों को प्रोत्साहन राशि देने के साथ टैक्स में छूट का प्रावधान करे। इससे रोजगार के अवसर पैदा होने के साथ ही आर्थिक मंदी भी धीरे-धीरे अंतिम सांसें गिनने लगेगी।

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शहर के लहुराबीर स्थित एक सभागार में आयोजित जागरण संवाद में यह निष्कर्ष सामने आए। व्यापारियों ने कहा कि जीएसटी में वार्षिक रिटर्न जीएसटीआर नाइन, जीएसटीआर-नाइन ए, बी, सी भरने में कई दुश्वारियां आ रही हैं। हालांकि, व्यापारियों में इसकी सफलता को लेकर कतई संदेह नहीं है। जीएसटी की तकनीकी दुश्वारियां और नित हो रहा संशोधन जरूर भविष्य में अंधकार पैदा करने वाला है। अधिकारियों के सहयोग न करने से भी परेशानी गहराने लगी है। बैंकों के सहयोग नहीं करने से पूंजी का संकट है। सरकार सख्ती करे तो पूंजी की मुश्किल खत्म हो जाएगी। बड़े उद्योगों की भांति कुटीर एवं लघु उद्योगों के लिए भी एक औद्योगिक नगर स्थापित होना चाहिए। व्यापारियों व उद्यमियों में इससे काम का माहौल बनेगा। रिटर्न दाखिल करने को सरकारी सिस्टम विकसित करना चाहिए। विशेषज्ञ मुश्किलें आसान बनाएंगे तो व्यापारी शत-प्रतिशत देकर देश एवं समाज को मजबूत करेंगे।

बोले उद्यमी

आर्थिक मंदी ने मुश्किल खड़ी कर दी है। विश्व की मंदी से ज्यादा अधिकारियों द्वारा नियमों की अनदेखी से देश में मंदी गहरा रही है। एक वक्त में व्यक्ति दो काम नहीं कर सकता। जीएसटी रिटर्न तो इतना कठिन है कि आम व्यापारी इसे चाहकर भी नहीं पा रहा। सरकार को अफसरों को सचेत करना चाहिए। समाधान ढूंढे बिना मंदी का सामना करना मुश्किल होगा। - अजीत सिंह बग्गा, अध्यक्ष, वाराणसी व्यापार मंडल

- उद्यमियों को रिफंड प्राप्त करने में अड़चनों का सामना करना पड़ रहा है। अब तो हस्तचालित कृषि यंत्रों पर भी 12 फीसद टैक्स वसूला जा रहा है। किसानों की आय दोगुनी करने का स्वप्न दिखाकर कृषि उपकरणों पर टैक्स लेना कहां का न्याय है। ऐसी चूक बार-बार करने का नतीजा है कि बाजार में मंदी बढ़ रही है। आजादी के बाद से सरकार ने कभी भी कृषि उपकरणों पर टैक्स नहीं लगाया। राजेश कुमार सिंह, अध्यक्ष लघु उद्योग भारती

- लघु-कुटीर उद्योग के लिए कारोबारी माहौल बनाना चाहिए। एक औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने से मुश्किलें कम होंगी। - प्रमोद अग्रहरि

- कारोबार उठ नहीं रहा है। इसकी जड़ में रोजगार का घटना है। माल की बिक्री नहीं होगी तो हम उत्पादन किसके लिए करेंगे। - आनंद जायसवाल, उद्यमी

- पूंजी की परेशानी है। बैंक ऋण देने में कई तरह के रोड़े अटकाते हैं। उद्योग का पहिया नहीं घूमेगा तो मुश्किल तो होगी ही। - गौरीशंकर नेवर

- जीएसटी से उम्मीद जगी थी कि एक देश, एक टैक्स उद्योग को राह दिखाएगा। इसकी जटिलता से व्यापारी परेशान हैं। - प्रदीप जोशी

- व्यापारी चावल-आटा पैकेट में बेचें तो पांच फीसद टैक्स ब्रांड के नाम लगेंगा। अनावश्यक टैक्स दुश्वारियों की वजह है। - कृष्ण सरन दास

- जीएसटी में सरकार कई बदलाव कर चुकी है। जबकि इसके सरलीकरण को एक भी प्रयास नहीं किया जा सका। - अनिल बहल

- सरकार छोटे उद्यमियों के साथ सौतेला व्यवहार करती है। इसी तरह बैंकों के असहयोग से उद्यमी उबर नहीं पा रहे। - कवींद्र जायसवाल

- आर्थिक मंदी से ज्यादा परेशानी सरकार से है। नियम का पालन नहीं करा पा रही। आइटीसी के लाखों रुपये फंसे हैं। - अरुण सिंह, उद्यमी

- हैंडलूम पर भी पांच फीसद जीएसटी देना पड़ा रहा है। रिटर्न में जो जानकारियां मांगी जा रहीं, उसे जुटाने में पसीना छूट जा रहा। - मनोज बेरी


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