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ये एयरपोर्ट नहीं मंड़ुवाडीह स्टेशन है, इसकी खूबसूरती देख हर कोई हो जाता मुरीद

वर्ल्‍ड क्‍लास स्टेशन के रूप में विकसित मंडुवाडीह रेलवे स्टेशन की तस्वीर ऐसी है कि हर कोई मुरीद हो जाये। खुद रेलमंत्री पीयूष गोयल ने भी इस स्टेशन की तारीफ के कसीदे पढ़े थे।

By Vandana SinghEdited By: Published: Wed, 12 Jun 2019 07:53 PM (IST)Updated: Wed, 12 Jun 2019 07:53 PM (IST)
ये एयरपोर्ट नहीं मंड़ुवाडीह स्टेशन है, इसकी खूबसूरती देख हर कोई हो जाता मुरीद
ये एयरपोर्ट नहीं मंड़ुवाडीह स्टेशन है, इसकी खूबसूरती देख हर कोई हो जाता मुरीद

वाराणसी, जेएनएन। वर्ल्‍ड क्‍लास स्टेशन के रूप में विकसित मंडुवाडीह रेलवे स्टेशन की तस्वीर ऐसी है कि हर कोई मुरीद हो जाये। खुद रेलमंत्री पीयूष गोयल ने भी इस स्टेशन की तारीफ के कसीदे पढ़े थे। पांच साल के अंदर 38 करोड़ की लागत में बनकर तैयार मंड़ुवाडीह स्टेशन दुनिया में मिसाल बनकर उभरा है। यहां तेजी से बढ़ी यात्री सुविधाओं को लेकर लोगों में जिज्ञासा बनी हुई है।

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बढ़ी ट्रेनों की क्षमता

- 12 ट्रेनें यहां से होती हैं ओरिजिनेट

- 22 प्रमुख ट्रेनें यहां से गुजरती हैं

- 20 से 25 हजार यात्रियों का दबाव हर दिन

प्रमुख मेल एक्सप्रेस ट्रेनें

- शिवगंगा एक्सप्रेस

- मंडुवाडीह- नई दिल्ली सुपरफास्ट

- मंडुवाडीह- जबलपुर एक्सप्रेस

- गोरखपुर- मंडुवाडीह इंटरसिटी

- पूने- मंडुवाडीह ज्ञानगंगा एक्सप्रेस

- बापूधाम एक्सप्रेस

- रामेश्वरम एक्सप्रेस

- जनशताब्दी एक्सप्रेस

- मंडुवाडीह- दादर सुपरफास्ट एक्सप्रेस

- रांची इंटरसिटी एक्सप्रेस

- मंडुवाडीह- इलाहाबाद सिटी पैसेंजर

प्लेटफार्म का विस्तार

- पहले तीन प्लेटफार्म थें

- अब प्लेटफार्म की संख्या बढ़कर हुई आठ

खुद रेलमंत्री हो गये मुरीद

मंडुवाडीह रेलवे स्टेशन पर वर्ल्‍ड क्‍लास सुविधाओं को देख खुद तत्कालीन रेलमंत्री पीयूष गोयल भी मुरीद हो गये थें। उन्होंने वीडियो शूट करने के बाद अपने ट्वीटर हैंडलर से ट्वीट कर मंडुवाडीह रेलवे स्टेशन की खासियत और सुविधाओं को दुनिया के सामने लाया था।

पांच साल में दिया मूर्तरुप

पूर्वोत्तर रेलवे की फेहरिस्त में शीर्ष मंड़ुवाडीह स्टेशन को मूर्तरुप देने में पांच साल का समय लगा। 30 से 38 करोड़ रुपये की लागत में रेलवे एक्सपर्ट की टीम ने वल्र्ड क्लास स्टेशन को तैयार किया। राइट्स की देखरेख में इसे तैयार कराया गया। स्टेशन को भव्य रूप देने के लिए प्रोजेक्ट का लेआउट बाहर के विशेषज्ञों से तैयार कराया गया था।

क्या है खासियत

वर्ल्‍ड क्‍लास मंडुवाडीह स्टेशन के द्वितीय प्रवेशद्वार पर वीआईपी लाउंज एयरपोर्ट में होने का एहसास कराती हैं। यहां सर्कुलेटिंग एरिया में बनकर तैयार पाउंड और उसमें लगे तीन फौहारे यात्रियों की थकान खींच लेती है। इंजीनियरों ने रेन वाटर हार्वेस्टिंग के नियमों का पालन करते हुए पांड को स्टेशन बिल्डिंग और सर्कुलेटिंग एरिया से जोड़ दिया है ताकि बारिश का पानी बर्बाद होने के बजाया प्रयोग में लिया जा सके। वहीं प्लेटफार्म और यात्रीहाल में चकाचौंध रोशनी स्टेशन और खास बनाती है। नई तकनीक के एलईडी लाइट सुशोभित करते हैं।

काशी की कला और संस्कृति की झलक

यात्रियों को आकर्षित करने के लिए स्टेशन के द्वितीय प्रवेशद्वार की दीवारों पर काशी की कला और संस्कृति की झलक दिख रही है। यहां प्रमुख पर्यटन स्थल सारनाथ, गंगा के घाट, श्री काशी विश्वनाथ मंदिर, बीएचयू और काशी से जुड़ी कलाकृतियां लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रही हैं।

बदलाव की बही बयार

मंडुवाडीह रेलवे स्टेशन के विस्तार कार्य से पूरे क्षेत्र में भी बदलाव की बयार बहने लगी है। विकास की संभावनाओं को तलाशते हुए आस पास के क्षेत्रों में भी निर्माण कार्य तेज हो गया है। सरकारी संस्थाएं इस इलाके में सुविधाओं के विस्तार के लिए जगह की तलाश कर रही हैं।

मंडुवाडीह स्टेशन जो डेवलपमेंट वर्क हुआ है वह क्वालिटी का विशेष ध्यान दिया गया है। विश्‍व स्‍तरीय स्टेशन बनाने की कवायद पांच साल से चल रही थी।

-एनके पाठक, एडीईएन एनईआर।

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