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भारतीय जनता पार्टी और सहयोगी दल अपना दल (एस) के बीच पूर्वांचल में बनती दिख रही दूरियां

भारतीय जनता पार्टी और सहयोगी दल अपना दल (एस) के बीच दूरियां बनती दिख रही है। मंत्रिमंडल विस्तार के बाद तो कुछ ऐसे ही संकेत मिल रहे हैं।

By Edited By: Published: Fri, 23 Aug 2019 02:08 AM (IST)Updated: Fri, 23 Aug 2019 09:33 AM (IST)
भारतीय जनता पार्टी और सहयोगी दल अपना दल (एस) के बीच पूर्वांचल में बनती दिख रही दूरियां
भारतीय जनता पार्टी और सहयोगी दल अपना दल (एस) के बीच पूर्वांचल में बनती दिख रही दूरियां

वाराणसी, जेएनएन। भारतीय जनता पार्टी और सहयोगी दल अपना दल (एस) के बीच दूरियां बनती दिख रही है। मंत्रिमंडल विस्तार के बाद तो कुछ ऐसे ही संकेत मिल रहे हैं। पहले लोस फिर विस चुनाव में अपना दल (एस) की नगण्य भागीदारी को राजनीतिक गलियारों में दोनों दलों के लिए शुभ संकेत नहीं माना जा रहा है। राजनीतिक पंडित अब यह कयास लगा रहे हैं कि दोनों दलों में मनभेद है या मतभेद। दरअसल लोस चुनाव में मीरजापुर से अपना दल की सांसद बनने के बाद अनुप्रिया पटेल को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया। उस समय राजनीति के माहिर लोगों ने कयास लगाया कि शायद अनुप्रिया के पति आशीष पटेल को प्रदेश के मंत्रिमंडल विस्तार में स्थान मिल जाए। लेकिन, यह उम्मीद भी औंधे मुंह जा गिरी।

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आशीष को शामिल न करने से दोनों दलों के पदाधिकारी व कार्यकर्ता मन ही मन यह मानकर चल रहे हैं कि कुछ न कुछ तो खिचड़ी पक ही रही है। वैसे देखा जाए तो लोकसभा चुनाव से पहले ही सीट के बंटवारे को लेकर दोनों दलों में मनभेद हो गए थे। भारतीय जनता पार्टी भी छोटे दलों पर निर्भर नहीं रहना चाहती है। इसीलिए सोशल इंजीनिय¨रग के सहारे जातिगत समीकरण साधने में जुट गई हैं। केंद्रीय व प्रदेश मंकत्रमंडल में लगभग सभी जातियों का प्रतिनिधित्व दिखाकर भाजपा यह साबित करना चाहती है कि अब वह छोटे-छोटे दलों पर निर्भर नहीं रहेगी।

इसी कड़ी में सुभासपा से दूरी बनने के बाद राजभरों में अपनी पैठ बनाने के लिए भाजपा ने राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अनिल राजभर के कद को बढ़ाते हुए सुभासपा के ओमप्रकाश राजभर के प्रभाव को कम करने की कोशिश की है। वहीं, डा. महेंद्रनाथ पांडेय को हटा कर सूबे के परिवहन मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह को प्रदेश अध्यक्ष पद देकर भाजपा ने पटेलों के बीच अनुप्रिया पटेल का विकल्प खड़ा कर रही है। मतलब साफ है, यहां भी सोशल इंजीनिय¨रग के जरिए कुर्मी समाज में स्वतंत्रदेव सिंह के प्रभाव को बढ़ाने में जुट गई है।

- पटेल समाज से इन्हें मिला ओहदा पटेल समाज नाराज नहीं हो, इसके लिए भाजपा ने लोकसभा चुनाव से पहले बनारस के पूर्व महापौर कौशलेंद्र सिंह को पिछड़ा आयोग सदस्य बनाया। इसके बाद सूबे के परिवहन मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह को प्रदेश अध्यक्ष और आनंदीबेन पटेल को राज्यपाल।


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