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बीएचयू में पढ़ाने के लिए हिंदी सीखी तेलुगूभाषी प्रो. सुब्रह्मण्यम ने, लोग उनसे ठीक कराते थे हिंदी

देश में माडर्न इकोनामिक्स की स्थापना करने वाले प्रमुख अर्थशास्त्रियों में से एक व माडर्न इकोनामिक्स के पिता कहे जाने वाले डा. एके दास गुप्ता के शिष्य थे। बुधवार को आगरा के कैंटोनमेंट में रह रहे उनके पुत्र के आवास पर 87 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Thu, 09 Sep 2021 11:10 AM (IST)Updated: Thu, 09 Sep 2021 11:10 AM (IST)
बीएचयू अर्थशास्त्र विभाग के प्रोफेसर आर. सुब्रह्मण्यम।

वाराणसी, जेएनएन। बीएचयू अर्थशास्त्र विभाग के प्रोफेसर आर. सुब्रह्मण्यम एक ऐसे व्यक्तित्व का नाम था, जो बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। विद्यार्थी जीवन से ही काशी हिंदू विश्वविद्यालय के प्रति लगाव इतना कि यहां पढ़ाने के लिए उन्होंने हिंदी सीखी और वह भी ऐसी हिंदी कि बाद में हिंदीभाषी क्षेत्रों के लोग भी उनसे अपनी हिंदी शुद्ध कराने के लिए अपने लेख उनको दिखाते थे।

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प्रोफेसर सुब्रह्मण्यम देश में माडर्न इकोनामिक्स की स्थापना करने वाले प्रमुख अर्थशास्त्रियों में से एक व माडर्न इकोनामिक्स के पिता कहे जाने वाले डा. एके दास गुप्ता के शिष्य थे। बुधवार को आगरा के कैंटोनमेंट में रह रहे उनके पुत्र के आवास पर 87 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया। उनके निधन की खबर मिलते ही विश्वविद्यालय में शोक की लहर दौड़ गई।

अर्थशास्त्र विभागाध्यक्ष प्रो. वीबी सिंह बताते हैं कि वह सहज एवं सुलझे हुए व्यक्ति थे। वह न केवल अपने विषय के विद्वान थे बल्कि दूसरे विषयों के भी जानकार थे। हिंदी, संस्कृत, अंग्रेजी, बंगला, तेलुगू , कन्नड़ तथा अन्य कई भाषाओं में वाक् एवं लेखन निपुण थे। आधुनिक अर्थशास्त्र की स्थापना में अप्रतिम सहयोग के लिए पूरा देश उन्हें सदैव याद रखेगा। माइक्रो इकोनामिक्स, उपभोक्ता व्यवहार, गणितीय अर्थशास्त्र, वैज्ञानिक अर्थशास्त्र विषयों के विशेषज्ञ थे। प्रो. सिंह बताते हैं कि प्रोफेसर सुब्रह्मण्यम ने गणित की पढ़ाई केवल 10वीं कक्षा तक ही की थी।

किंतु बाद में स्वाध्याय के बल पर गणित में ऐसी निपुणता हासिल की, कि उनसे गणित सीखकर लोग गणित के विशेषज्ञ बने। आर्थिक विकास से संबंधित उनके लेख देश-विदेश की अनेक प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में छपते थे। उनकी पत्नी बीएचयू में ही मालवीय संस्थान में ही संगीत विभाग में थीं। प्रोफेसर सुब्रहमण्यम स्वयं कर्नाटक शास्त्रीय संगीत के अच्छे जानकार थे। उनके इकलौते पुत्र भारतीय सेना में हैं और इन दिनों आगरा में तैनात हैं। कोविड की दूसरी लहर आने के पूर्व प्रोफेसर सुब्रहमण्यम बेटे के पास चले गए थे, अभी वे पूर्णतया स्वस्थ थे, फिर अचानक बुधवार को उनका निधन हो गया।

प्रो. डीके मिश्र ने उन्हें प्रतिबद्ध व्यक्ति तथा प्रो. एके दास गुप्ता ने प्रिय बताया। प्रो. एके गौड़ ने कहा कि वह हमेशा कक्षा के समय से पहले आ जाया करते थे। विद्याथियो में बहुत प्रिय एवं सम्मानित शिक्षक थे। डा. एनपी सिंह ने उन्हें पठन-पाठन क्षेत्रों में अत्यंत ईमानदार रहे। डॉ. अनूप मिश्रा ने उन्हें श्रद्धांजलि दी।


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