E-Content से घर बैठे होगी ऑनलाइन पढ़ाई, पाठ्य सामग्री बनाने में जुटे काशी विद्यापीठ व संस्कृत विश्वविद्यालय के शिक्षक
कोविड-19 के प्रकोप को देखते हुए विश्वविद्यालयों के अध्यापकों को ई-कंटेंट तैयार करने का निर्देश दिया गया है ताकि विद्यार्थी घर बैठे अपनी पढ़ाई जारी रख सकें।
वाराणसी, जेएनएन। प्राथमिक विद्यालयों से लगायत विश्वविद्यालयों में पठन-पाठन शुरू होने को लेकर ऊहापोह की स्थिति बनी हुई। कोविड-19 के प्रकोप को देखते हुए शासन वर्क फ्रॉम होम को प्रोत्साहित करने में जुटा है। इसके तहत विश्वविद्यालयों के अध्यापकों को ई-कंटेंट तैयार करने का निर्देश दिया गया है ताकि विद्यार्थी घर बैठे अपनी पढ़ाई जारी रख सकें।
शासन के निर्देश पर संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के शिक्षकों ने ई-कंटेंट तैयार करना शुरू कर दिया। पाठ्यक्रमवार ई-कंटेंट, वीडियो लेक्चर वेब-पोर्टल पर अपलोड किए जाएंगे ताकि विश्वविद्यालय व इससे संबद्ध कालेजों के विद्यार्थी इसे डाउनलोड कर अध्ययन जारी रख सकें। उधर महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में 21 जुलाई हेड-डीन की बैठक बुलाई है।
परीक्षा की रूपरेखा बनाने में जुटे विश्वविद्यालय
शासन के निर्देश पर स्नातक (यूजी) के अंतिम खंड व स्नातकोत्तर (पीजी) अंतिम सेमेस्टर की परीक्षाओं को लेकर विश्वविद्यालयों ने मंथन शुरू कर दिया है। इस क्रम में महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ ने 21 जुलाई को हेड-डीन की बैठक बुलाई है। इसमें परीक्षा कराने की तिथि व प्रोन्नत करने की रूपरेखा तय की जाएगी। कुलसचिव डा. एसएल मौर्य बताया कि हेड-डीन के प्रस्ताव को परीक्षा समिति में भी रखा जाएगा। दूसरी ओर संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक विशेश्वर प्रसाद ने कार्य योजना बनाने के लिए छात्रकल्याण संकायाध्यक्ष प्रो. रामपूजन पांडेय के संयोजकत्व में तीन सदस्यीय समिति गठित कर दी है। समिति में दर्शन संकाय के अध्यक्ष प्रो. सुधाकर मिश्र व सामाजिक विज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रो. शैलेश कुमार मिश्र सदस्य बनाए गए हैं। समिति से 21 जुलाई तक कार्ययोजना कुलपति के समक्ष प्रस्तुत करने को कहा गया है।
संस्कृत विश्वविद्यालय के डिग्रीधारी बेसिक के शिक्षकों की जांच तेज
परिषदीय विद्यालयों में संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के डिग्रीधारी शिक्षकों के अभिलेखों की जांच विशेष अनुसंधान दल (एसआइटी) कर रही है। जांच के क्रम में बीएसए ने वर्ष 2004 से वर्ष 2014 तक जनपद में चयनित 315 शिक्षकों की सूची शासन को सौंप दी है। शासन ने अब नियुक्ति समय विभागीय स्तर पर कराए गए डिग्रियों की सत्यापन की रिपोर्ट भी तलब की है। एसआइटी द्वारा कराए सत्यापन व विभागीय हुए सत्यापन के आधार पर फर्जी शिक्षकों की पहचान की जाएगी।