वाराणसी में बोले स्वामी जीतेंद्रानंद - 'अखाड़ों को आयकर की नोटिस सनातन धर्म के अपमान की साजिश'
सनातन धर्म के 13 अखाड़ों व तीर्थराज प्रयाग के सभी प्रमुख मठ-मंदिरों को आयकर विभाग द्वारा नोटिस दिए जाने से पर संत समाज ने रोष जताया है। साथ ही इसे सनातन धर्म व संत समाज को अपमानित करने का षड्यंत्र करार दिया है।
वाराणसी, जेएनएन। सनातन धर्म के 13 अखाड़ों व तीर्थराज प्रयाग के सभी प्रमुख मठ-मंदिरों को आयकर विभाग द्वारा नोटिस दिए जाने से पर संत समाज ने रोष जताया है। साथ ही इसे सनातन धर्म व संत समाज को अपमानित करने का षड्यंत्र करार दिया है।
अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती ने गंगा महासभा के महमूरगंज स्थित दफ्तर में शुक्रवार को प्रेसवार्ता में इस तरह की कार्रवाई को दुर्भावनापूर्ण व आधारहीन करार दिया। कहा उन्होंने इस संबंध में वित्तमंत्री व वित्त सचिव को पत्र भी लिखा है।
उन्होंने कहा कि मजेदार यह कि नोटिस उस धन के सापेक्ष जारी किया गया है जो उन्हें मिला ही नहीं। षड्यंत्र यह कि जिन संतों, अखाड़ों और धर्माचार्यों को नोटिस जारी किया गया है, वह उन्हें अब तक मिला ही नहीं और बात मीडिया में आ गई। पूरे प्रकरण को स्पष्ट करते हुए उन्होंने बताया कि दरअसल 2019 में प्रयागराज कुंभ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रदेश सरकार ने आने वाले तीर्थयात्रियों की मूलभूत सुविधाओं के लिए प्रत्येक अखाड़ों एवं धर्माचार्यों के शिविरों में निर्माण कराए ताकि लोग वहां आराम से ठहर सकें।
यह सारा कार्य प्रदेश सरकार की कार्यदायी संस्था जल निगम ने कराया। उसमें किसी भी अखाड़ा या आश्रम से जुड़े ट्रस्टी नहीं थे। इसमें खर्च हुए धन का संतों, आश्रमों, अखाड़ों से कुछ भी लेना-देना नहीं था। न यह धन उनके खाते में आया, न उन्होंने खर्च किया। बावजूद इसके आयकर विभाग के दो अधिकारियों ने 13 अखाड़ों एवं तीर्थराज प्रयाग के सभी प्रमुख मठ-मंदिरों को नोटिस भेजा है।
यही नहीं, उन्हें व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर स्पष्टीकरण देने को कहा गया है। यह दुर्भावनापूर्ण ही नहीं, पूरे विश्व में सनातन धर्म के आचार्यों को अपमानित करने का षड्यंत्र है। इस संबंध में कार्रवाई के लिए वित्तमंत्री व वित्त सचिव से बात हुई है, उन्हें पत्र लिखा गया है। कार्रवाई न होने पर संत समाज चुप नहीं बैठेगा।