BHU में ब्लड कैंसर मरीज का सफल बोन मैरो ट्रांसप्लांट, चिकित्सकों ने मरीजों में जगाई आस
बीएचयू अस्पताल स्थित बोन मैरो ट्रांसप्लांट एंड स्टेम सेल रिसर्च सेंटर में पहली बार कैंसर मरीज का बोन मैरो प्रत्यारोपण कर चिकित्सकों ने उसे नवजीवन प्रदान किया।
वाराणसी, जेएनएन। बीएचयू अस्पताल स्थित बोन मैरो ट्रांसप्लांट एंड स्टेम सेल रिसर्च सेंटर में पहली बार कैंसर मरीज का बोन मैरो प्रत्यारोपण कर चिकित्सकों ने उसे नवजीवन प्रदान किया। बेहद जटिल माना जाने वाला यह ऑपरेशन पूरी तरह सफल रहा और मरीज अब पूरी तरह स्वस्थ्य है। यह जानकारी केंद्रीय कार्यालय, बीएचयू स्थित समिति कक्ष में सोमवार को आयोजित प्रेसवार्ता में कुलपति प्रो. राकेश भटनागर ने दी।
बताया भारत में हर वर्ष करीब 20 हजार बोन मैरो ट्रांसप्लांट की जरूरत होती है, जिनमें से महज दस फीसद लोग ही ट्रांसप्लांट करा पाते हैं। अब पूर्वांचल सहित बिहार, बंगाल के ब्लड कैंसर से जूझ रहे मरीजों को मुंबई, दिल्ली या चेन्नई जैसे शहरों के चक्कर नहीं लगाने होंगे, न ही उन्हें यात्रा की जहमत उठानी होगी। उनका इलाज बीएचयू अस्पताल में ही अन्य जगहों के मुकाबले बहुत ही किफायत में हो सकेगा।
सेंटर के प्रभारी प्रो. कैलाश कुमार गुप्ता ने बताया कि मल्टीपल मायलोमा (ब्लड कैंसर) से जूझ रही 51 वर्षीय महिला सबसे पहले जुलाई 2018 में बीएचयू के हड्डी रोग विभाग पहुंची थी। इसके बाद रेफर होकर वह मेडिसिन विभाग पहुंची, जहां ब्लड कैंसर का पता चला। कीमोथेरेपी दी गई और महिला पूरी तरह ठीक हो चुकी थी। मगर बाद में उसे फिर ब्लड कैंसर हो गया। ऐसे में उसका आटोलोगस बोन मैरो प्रत्यारोपण करने का निर्णय लिया गया। इसके लिए अब तक करीब एक हजार बोन मैरो ट्रांसप्लांट कर चुके हेमेटो-ओंकोलॉजी विशेषज्ञ व फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट-गुरुग्राम के निदेशक डा. राहुल भार्गव का मार्गदर्शन लिया गया।
मेडिसिन विभाग की रेजीडेंट डा. प्राची महापात्रा, डा. आशीष गुप्ता, डा. निधि सिंह, डा. विभू खरे, एनेस्थीसिया के डा. विक्रम गुप्ता, नेफ्रोलॉजी के डा. मंजीत सहित नर्सिंग स्टाफ अनुभव, सूरज, आर राम व अजीत के सहयोग से ऑपरेशन किया गया, जो पूरी तरह सफल रहा। इस अवसर पर रेक्टर प्रो. वीके शुक्ला, आइएमएस निदेशक प्रो. आरके जैन, एमएस प्रो. एसके माथुर व डा. राहुल भार्गव थे।