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काशी विद्यापीठ : शताब्दी समारोह में आयोजित कला मेले में तीसरे दिन रंगारंग कार्यक्रमों की धूम

शताब्दी समारोह के तहत महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के ललित कला विभाग में आयोजित कला मेले के तीसरे दिन गुरुवार को भी रंगारंग कार्यक्रमों की धूम रही।

By Edited By: Published: Fri, 14 Feb 2020 02:19 AM (IST)Updated: Fri, 14 Feb 2020 11:00 AM (IST)
काशी विद्यापीठ : शताब्दी समारोह में आयोजित कला मेले में तीसरे दिन रंगारंग कार्यक्रमों की धूम

वाराणसी, जेएनएन। शताब्दी समारोह के तहत महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के ललित कला विभाग में आयोजित कला मेले के तीसरे दिन गुरुवार को भी रंगारंग कार्यक्रमों की धूम रही। नृत्य-संगीत की प्रस्तुति कर छात्र-छात्राओं ने जमकर धमाल मचाया। सामाजिक घटनाओं पर आधारित 'हंसुली' नामक नाटक का मंचन कर विद्यार्थियों ने खूब वाहवाही लूटी। इसके माध्यम से विद्यार्थियों ने पारिवारिक रिश्तों पर भौतिकता दर्शाने का प्रयास किया। नाटक का निर्देशन राज कुमार शाह ने किया था।

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तीन दिवसीय कला मेला के अंतिम दिन ललित कला विभाग में विद्यार्थियों की भीड़ उमड़ी। मेले में घूम-घूम कर छात्र-छात्राएं सेल्फी ले रहे थे। उधर सांस्कृतिक संध्या में आशीष कुमार ने क्लासिकल डांस, प्रिया शर्मा व अजीत कुमार ने पुराने गाने की प्रस्तुति कर लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। नुक्कड़ नाटक का मंचन कर विद्यार्थियों ने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का संदेश दिया। वहीं कोलाज वर्कशाप में विद्यार्थियों के रचनात्मकता को पहचान दिलाने का प्रयास किया गया। विद्यार्थियों के हुनर की लोगों ने जमकर सराहना की। इस दौरान गंगापुर परिसर के प्रशिक्षक डा. शशिकांत नाग ने विद्यार्थियों को पेपर कटिंग से विभिन्न प्रकार के क्राफ्ट व रचनाओं को बनाने का प्रशिक्षण दिया। वहीं 'कला व बाजार' विषयक संगोष्ठी के माध्यम से विद्यार्थियों कला बाजार का महत्व समझाने का प्रयास किया गया। बतौर मुख्य अतिथि डा. प्रेमचंद्र विश्वकर्मा ने कला के महत्व पर चर्चा करते हुए कला की बाजार में उपयोगिता पर प्रकाश डाला। समापन सत्र के मुख्य अतिथि दृश्यकला संकाय, बीएचयू के प्रो. एस प्रणाम सिंह थे। अध्यक्षता ललित कला विभाग अध्यक्ष डा. सुनील विश्वकर्मा, स्वागत सुमित घोष, संचालन डा. शत्रुघ्न प्रसाद ने किया। हर सुर ने मोहा मन शताब्दी समारोह के तहत मंच कला विभाग ने तीन दिवसीय कार्यशाला का आगाज गुरुवार से हुआ। इस दौरान पं. सुधाकर देवले ने विद्यार्थियों को आष्टाग गायिकी, तानों की लयकारियों, शास्त्रीय संगीत के सभी दस थाटों से युक्त बंदिश 'गुणी गावें संधि प्रकाश राग' का प्रशिक्षण दिया। हर सुर ने विद्यार्थियों को आनंदित किया और मन को मोहा। कार्यशाला का शुभारंभ बीएचयू के डा. रमाशंकर के दीप प्रज्ज्वलन से हुआ। संचालन मंच कला की प्रभारी डा. संगीता घोष ने किया।


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