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चंडिचंदेश्वर मंदिर की मूर्तियाें को किया संरक्षित, कॉरीडोर में मूर्तियाें को सहेजने का दौर

वाराणसी में विश्वनाथ मंदिर कॉरीडोर के तहत कालिका गली स्थित जिन भवनों का क्रय किया गया वहां की मूर्तियों को संरक्षित किया जा रहा है।

By Edited By: Published: Fri, 16 Nov 2018 02:23 PM (IST)Updated: Fri, 16 Nov 2018 03:11 PM (IST)
चंडिचंदेश्वर मंदिर की मूर्तियाें को किया संरक्षित, कॉरीडोर में मूर्तियाें को सहेजने का दौर
चंडिचंदेश्वर मंदिर की मूर्तियाें को किया संरक्षित, कॉरीडोर में मूर्तियाें को सहेजने का दौर

वाराणसी, जेएनएन। विश्वनाथ मंदिर कॉरीडोर के तहत कालिका गली स्थित जिन भवनों का क्रय किया गया वहां की मूर्तियों को लगातार संरक्षित किया जा रहा है। अभी चंडिचंदेश्वर मंदिर की तीन प्रतिमाओं को सुरक्षित रखा गया। क्षेत्र में भवन व मंदिर तोड़े जाने के दौरान मिल रही मूर्तियों को संरक्षित भी करने का कार्य चल रहा है। इनकों मरम्मत कर बनने वाले संग्रहालय में भक्तों के दर्शन के लिए रखा जाएगा। गत वर्ष दिसंबर माह में तत्कालीन कमिश्नर ने चंडिचंदेश्वर व अन्य प्रतिमाओं को संरक्षित करने का वादा क्षेत्र के लोगों से किया था। लोगों ने उस समय मंदिर तोड़े जाने के जो विरोध किया था तभी कमिश्नर नीतिन रमेश गोकर्ण ने मूर्तियों को संरक्षित का आदेश दिया था।

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इसी क्रम में क्षेत्र की विभिन्न मंदिरों की मूर्ति को संरक्षित किया जा रहा है। उस समय पुरातत्व विभाग की टीम ने भी कहा था कि यह मंदिर काफी प्राचीन है और यहां कि मूर्तियां तो दुर्लभ है। इन मूर्तियों को भारत कला भवन भेजा जाएगा। इस बीच विश्वनाथ मंदिर कॉरीडोर के लिए कई बार प्लान में बदलाव होता रहा और अब मूर्तियों को संरक्षित किए जाने की बात चल रही है। एडीएम मंदिर, विनोद कुमार सिंह के अनुसार संग्रहालय में क्षेत्र की प्राचीन मंदिरों की मूर्तियों का दर्शन भक्तों को कराया जाएगा इसका इंतजाम शुरू किया जा रहा। विश्वनाथ मंदिर कॉरीडोर के तहत सरस्वती फाटक से ललिता घाट मार्ग पर धूल उड़ने से लोग परेशान हो रहे हैं।

तेज हवा चलने से धूल के कण उड़ने लग रहे है। तोड़ गए स्थानों पर पानी का छिड़काव करने की हिदायत तो दी गई लेकिन ऐसा हो नहीं रहा। इन इलाकों मलबा समय पर नहीं उठने से आवाजाही में असुविधा हो रही है। बड़े पैमाने पर निकल रहे मलबे का हटाने में वक्त लग रहा है। लगातार तीज-त्योहार होने के कारण मजदूरों की कमी बनी हुई है। इससे भी मलबा उठान में समय लग रहा है।


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