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निखरेंगे रामलीला के रंग, धर्मार्थ कार्य विभाग बनाएगा स्थायी कोष, खींचा जा रहा खाका

देवाधिदेव महादेव की नगरी काशी में प्रदेश सरकार रामलीला के रंग निखारेगी। इसके लिए स्थायी कोष भी बनाया जाएगा। इसके जरिए दरकती परंपरा को संबल दिया जाएगा।

By Edited By: Published: Tue, 11 Dec 2018 02:55 PM (IST)Updated: Tue, 11 Dec 2018 02:57 PM (IST)
निखरेंगे रामलीला के रंग, धर्मार्थ कार्य विभाग बनाएगा स्थायी कोष, खींचा जा रहा खाका
निखरेंगे रामलीला के रंग, धर्मार्थ कार्य विभाग बनाएगा स्थायी कोष, खींचा जा रहा खाका

वाराणसी, जेएनएन। देवाधिदेव महादेव की नगरी काशी में प्रदेश सरकार रामलीला के रंग निखारेगी। इसके लिए स्थायी कोष बनाया जाएगा। धनाभाव में दरकती परंपरा को इसके जरिए संबल दिया जाएगा। समितियों को ख्याति और जरूरत के अनुसार मदद दी जाएगी। धर्मार्थ कार्य विभाग ने इसका खाका भी खींचना शुरू कर दिया है। इसके लिए गांव से शहर तक रामलीला समितियों की सूची भी बनाई जाने लगी है। कार्तिक पूर्णिमा पर देवदीपावली की छटा निरखने बनारस आए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस निमित्त धर्मार्थ कार्य विभाग के प्रमुख सचिव अवनीश अवस्थी को निर्देश दिए थे।

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वास्तव में पिछले साल दीपावली पर अयोध्या में दिव्य झांकी सजाने के बाद सीएम ने बनारस की देवदीपावली को भव्यतम रूप देने का संकल्प लिया था। इसमें भागीदारी के लिए जब वे बनारस आए तो सभी घाट भले ही न घूम पाए लेकिन दो घाटों पर मौनी बाबा रामलीला समिति की ओर से सजाई गई रामदरबार की झांकी ने इस ओर उनका ध्यान आकर्षित किया। उस दौरान राज्य मंत्री डा. नीलकंठ तिवारी ने काशी में रामलीला समितियों के धनाभाव की जानकारी दी। इस पर उन्होंने साथ चल रहे प्रमुख सचिव धर्मार्थ कार्य से रामलीलाओं को संरक्षित करने का खाका खींचने का निर्देश देते हुए स्थायी कोष का गठन करने को कहा।

धनाभाव से जूझ रहीं समितियां : बनारस में रामनगर की रामलीला अपने अनूठेपन के कारण विश्व प्रसिद्ध है तो नाटी इमली का भरत मिलाप व चेतगंज की नक्कटैया लक्खा मेला में शुमार हैं। इसके अलावा गांव से शहर तक तमाम स्थानों पर रामलीला का आयोजन किया जाता है। आना-पाई के दौर में जनसहयोग से संचालित लीलाओं के आयोजन में अब समितियां धनाभाव के कारण खुद को असमर्थ महसूस कर रही हैं। इससे कई स्थानों पर सिर्फ औपचारिकता निभाई जा रही। लक्खा मेला में शुमार चेतगंज नक्कटैया की आयोजन समिति भी इस संबंध में शासन को पत्र लिख चुकी है। रही प्राचीनता की बात तो बनारस में रामलीला का आयोजन तुलसीदास के समय से किया जाता रहा है। हालांकि उनके ही दौर में 1543 में मेघा भगत ने वाल्मीकि रामायण पर आधारित रामलीला लाटभैरव में शुरू कराई। राज्य मंत्री डा. नीलकंठ तिवारी के अनुसार रामलीला आयोजनों को समृद्ध करने के लिए समितियों को भी आर्थिक रूप से मजबूत किया जाएगा।


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