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सावन में 11 दिन बन रहा विशेष योग, शिववास में संकल्प सिद्धि के लिए करें अभिषेक

शनिवार से आरंभ सावन माह में देवाधिदेव महादेव की आराधना की जाती है। जल तत्व प्रधान चंद्रमा वातावरण में नमी लाते हैं। इस कारण सावन में महादेव का हरियाली श्रृंगार किया जाता है। इस बार 29 दिन के सावन मास में 11 दिन का विशेष योग बन रहा है।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Mon, 26 Jul 2021 05:00 AM (IST)Updated: Mon, 26 Jul 2021 05:00 AM (IST)
सावन में 11 दिन बन रहा विशेष योग, शिववास में संकल्प सिद्धि के लिए करें अभिषेक
शनिवार से आरंभ सावन माह में देवाधिदेव महादेव की आराधना की जाती है।

वाराणसी [सौरभ चंद्र पांडेय]। शनिवार से आरंभ सावन माह में देवाधिदेव महादेव की आराधना की जाती है। जल तत्व प्रधान चंद्रमा वातावरण में नमी लाते हैं। इस कारण सावन में महादेव का हरियाली श्रृंगार किया जाता है। इस बार 29 दिन के सावन मास में 11 दिन का विशेष योग बन रहा है। इसमें द्विपुष्कर, त्रिपुष्कर, अमृतसिद्धि और रविपुष्य योग का दुर्लभ संयोग देखने को मिलेगा। इन 11 दुर्लभ संयोग में महादेव का अभिषेक करने से साधक को विशेष फल की प्राप्ति होगी। 26, 29 जुलाई और 4, 6, 8, 14, 16, 20, 21 और 22 अगस्त को सवार्थ सिद्धि, तो 30 जुलाई को अमृत सिद्धि, 8 अगस्त को सुबह 5:30 से 9:18 मिनट तक रविपुष्य योग और 15 अगस्त को त्रिपुष्कर योग का संयोग बन रहा है। यदि कोई उपासक विशेष संकल्प लेकर शिव की विशेष उपासना करता है तो उसका संकल्प सिद्ध होगा।

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शिववास में करें शिव का ध्यान, प्राप्त होगा विशिष्ट फल : पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सनातन धर्म में श्रावण मास में किसी भी दिन और समय में भगवान शिव की आराधना का सामान्य की अपेक्षा विशिष्ट फल प्राप्त होता है। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष प्रो. विनय कुमार पांडेय के अनुसार दिन, तिथि, नक्षत्र और योग के संबंध से उत्पन्न होने वाले शिववास में शिव का ध्यान करने से श्रावण मास में सामान्य की अपेक्षा विशिष्ट फल की प्राप्ति होती है। शिववास भोलेनाथ की आराधना का सबसे उत्तम काल माना जाता है। भगवान शिव शिववास में कैलास पर्वत, माता गौरी के साथ, वृषभ पर, सभा, भोजन , क्रीड़ा तथा श्मशान में विराजमान रहते हैं। मान्यता है कि कैलास पर्वत में शिव का वास होने पर सुख, माता गौरी संग रहने पर आराधना से संपत्ति, वृषभ पर आरूढ़ रहने पर अभीष्ट सिद्धि, सभा में रहने पर संताप, भोजन में रहने पर पीड़ा, क्रीड़ा में रहने पर कष्ट, श्मशान में रहने पर शिव पूजन से कष्ट प्राप्त होता है।

इन तिथियों पर बन रहा है शिववास का योग

27 जुलाई कृष्ण पक्ष में चतुर्थी तिथि

28 जुलाई कृषण पक्ष में पंचमी तिथि

31 जुलाई कृष्ण पक्ष में अष्टमी तिथि

01 अगस्त कृष्ण पक्ष में अष्टमी तिथि

03 अगस्त कृष्ण पक्ष में एकादशी तिथि

04 अगस्त कृष्ण पक्ष में द्वादशी तिथि

07-08 अगस्त कृष्ण पक्ष में अमावस्या तिथि

09 अगस्त शुक्ल पक्ष में शाम को द्वित्तीया तिथि

10 अगस्त शुक्ल पक्ष में द्वितीया तिथि

12-13 अगस्त शुक्ल पक्ष में पंचमी और षष्ठी तिथि

16 अगस्त शुक्ल पक्ष में नवमी तिथि

19 अगस्त को शुक्ल पक्ष में द्वादशी तिथि

20 अगस्त को शुक्ल पक्ष में त्रयोदशी तिथि

(नोट: इन सभी तिथियों में शिव का वास अनुकूल स्थानों में है। अतः ये तिथियां शिव आराधना के लिए विशिष्ट हैं। इसमें शिव का पूजन और अभिषेक करने से संकल्प सिद्ध होगा। )


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