सरकार का बजट 2019 : पीएम की काशी में बहुतों को खुशगवार, कुछ को बजट लगा नागवार
सरकार के बजट का असर पूरे समाज पर पड़ेगा लेकिन उद्यमी व्यापारी इसको पेश करने को लेकर उत्साहित दिखे।
वाराणसी, जेएनएन। यूं तो सरकार के बजट का असर पूरे समाज पर पड़ेगा, लेकिन उद्यमी, व्यापारी इसको पेश करने को लेकर ज्यादा ही उत्साहित रहे। खुशनुमा माहौल में बजट लाइव देखते स्वच्छ परिचर्चा में उन्होंने अपनी सोच के मुताबिक मायने निकाले। बजटीय चर्चा के मंथन में बहुतों को बजट खुशगवार लगा तो ऐसे कई मुखर भी हुए जिन्हें वित्तमंत्री का निर्णय नागवार गुजरा। व्यापारियों, उद्यमियों ने इस संबंध में कुछ यूं दी प्रतिक्रिया..।
उद्यमियों ने निकाले बजट के अलग-अलग मायने : शहर से सटे चादपुर औद्योगिक क्षेत्र में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय के (एमएसएमई) के सभागार में उद्यमियों ने शुक्रवार को बड़े स्क्रीन पर बजट का लाइव प्रसारण देखा। उद्यमी उत्सव मनाने के अंदाज में उत्साह के साथ एक छत के नीचे जुटे थे। नए अंदाज में मखमली कपड़े में लिपटीं उम्मीदों के बजट लिए महिला वित्तमंत्री दिखीं तो इस अंदाज में तालियां बजीं, मानों टीवी स्क्रीन पर नहीं, निर्मला सीतारमण साक्षात खड़ी हों। अधिकांश उद्यमियों, व्यापारियों ने सरकार के निर्णय को सराहा। कहा कि बजट देश के इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करेगा। हालांकि, कुछ ने तत्काल राहत देने को वक्त की जरूरत बताते हुए निराशा भी जताई। राजीव जयपुरिया, अवधेश गुप्ता, प्रशात अग्रवाल, आलोक भंसाली, ज्ञानेश्वर गुप्ता, अजय जायसवाल, अरुण सिंह, विशाल जी, उद्योग व्यापार समिति के अध्यक्ष प्रेम शकर मिश्रा, मनीष, राजेश कुमार सिंह मौजूद रहे।
उद्योग को संजीवनी दिए बगैर गांव, गरीब, किसान का कैसे होगा उत्थान : चौधरी
इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन ने अध्यक्ष आरके चौधरी की अध्यक्षता में बजटीय चर्चा आयोजित की गई जिसमें बजट को संतुलित बताया गया। 8 फ्लोर विनायक प्लाजा में जुटे उद्योगपतियों ने सरकार के गांव, गरीब, किसान को केंद्र बिंदु में रखने की सराहना की। वहीं औद्योगिक विकास को प्राथमिकता देने की उम्मीदें धूमिल हुई तो सवाल उठ गए। दरअसल, औद्योगिक निवेश एवं औद्योगिक विकास से ही गांव, गरीब, किसान का विकास संभव है। औद्योगिक विकास में लालफीताशाही, बैंकों के असहयोग को बाधा बताया गया। बोले, देश के विकास को 20 लाख करोड़ के निवेश की उम्मीद का उल्लेख सिर्फ औद्योगिक उत्थान से ही संभव है। बिजली टैरिफ में बड़े सुधार के निर्णय की सराहना की। छोटे दुकानदारों को पेंशन योजना में लाने के निर्णय का स्वागत किया। डीजल, पेट्रोल पर लगे उपकर को महंगाई बढ़ाने का निर्णय बताया। अनुज डिडवानिया, अमित कुमार, विकास अग्रवाल, बिपिन्न अग्रवाल, घनश्याम मिश्रा, मयंक नियोटिया, अमित गौतम रहे।
- व्यापारियों, उद्यमियों से बातचीत आम बजट में सराहना करने लायक कुछ भी नहीं है। सूक्ष्म, लघु उद्यम के लिए सरकार को कुछ करना चाहिए था। सरकार अनदेखी कर बेरोजगारी समस्या से कैसे लड़ पाएगी। -राजेश भाटिया, उद्यमी
- बजट कुछ खास नहीं रहा। पेट्रोल, डीजल पर उपकर लगाने से महंगाई पर अंकुश कैसे लगाया जा सकेगा। उद्योग को संजीवनी देने को भी कुछ खास नहीं किया गया। -जीआर नागर, उद्यमी
- न मशीनों पर छूट मिला, न ही जीएसटी में कटौती की गई। वित्त मंत्री को इस पर गौर करना चाहिए था। स्फूर्ति योजना से कुटीर उद्योग को बढ़ावा जरूर मिलेगा। -नीरज पारीख, उद्यमी
- बजट देश हित में है। इसे आम जनता के हित में भी बनाना चाहिए था। आम जनमानस, व्यापारियों, उद्यमियों को सरकार से काफी उम्मीद रहती है। -अनुपम देवा, उद्यमी।
- इलेक्ट्रानिक उपकरणों पर जीएसटी कम होने की मुझे आस थी लेकिन बजट से निराशा हाथ लगी है। संतुष्टि इसकी कि पहली महिला वित्त मंत्री का बजट दूरगामी परिणाम देना वाला है। -अजीत उपाध्याय, इलेक्ट्रानिक कारोबारी
- व्यापारियों की पेंशन योजना का स्वागत है। पेट्रोल, डीजल के दाम में वृद्धि से मुश्किल जरूर होंगी। देश में व्यापार भी कमजोर होगा। इस पर सरकार को गौर फरमाना चाहिए था।- अजय गुप्ता, फर्नीचर व्यवसायी
- बजट में हर वर्ग का ध्यान रखा गया है। सरकार ने गांव, गरीब, किसान की दशा सुधारने को केंद्र बिंदु में रखा है लेकिन औद्योगिक विकास पर ध्यान दिए बगैर संभव नहीं होगा। -आरके चौधरी, अध्यक्ष, इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन