अंकचिट व टीआर की फोटो कापी एसआइटी ने की तलब, संस्कृत विश्वविद्यालय में परीक्षा अभिलेखों के रखरखाव स्थिति खराब
फर्जीवाड़े की जांच कर रही विशेष अनुसंधान दल (एसआइटी) संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय पर अंकपत्रों के सत्यापन के लिए लगातार दबाव बनाए हुए हैं।
वाराणसी, जेएनएन। फर्जीवाड़े की जांच कर रही विशेष अनुसंधान दल (एसआइटी) संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय पर अंकपत्रों के सत्यापन के लिए लगातार दबाव बनाए हुए हैं। वहीं दूसरी ओर एसआइटी अपने स्तर से भी अंकपत्रों का सत्यापन कर रही है। इसके लिए एसआइटी ने विश्वविद्यालय से बीएड का टेबुलेशन रजिस्टर (टीआर) की छायाप्रति मांगी थी। विश्वविद्यालय टीआर की छायाप्रति एसआइटी को सौंप भी चुकी है। अब एसआइटी वर्ष 2004 से 2014 तक पूर्व मध्यमा (हाईस्कूल), उत्तर मध्यमा, (इंटर), शास्त्री (स्नातक) का अंकचिट के साथ टीआर की छाया प्रति तलब की है। अंकचिट उपलब्ध कराने में विश्वविद्यालय को पसीना छूट रहा है।
विश्वविद्यालय में परीक्षा अभिलेखों के रखरखाव स्थिति ठीक नहीं है। टेबुलेशन रजिस्टर के पन्ने फटे हुए हैं। यही नहीं परीक्षार्थियों के विवरण में हुई कटिंग में किसी जिम्मेदार अधिकारी के हस्ताक्षर तक नहीं हैं। इसे देखते हुए विश्वविद्यालय की कार्यपरिषद वर्ष 1998 से 2009 तक के परीक्षा अभिलेखों को संदिग्ध घोषित कर चुकी है। अंकपत्रों का सत्यापन अब संगणक (कंप्यूटर) केंद्र में दर्ज रिकार्ड से किया जाता है। ऐसे में परीक्षा विभाग के पास अंकचिट सुरक्षित होने को लेकर भी संशय व्याप्त है। बहरहाल एसआइटी के निर्देश पर अंकचिटों का भी मिलान किया जा रहा है ताकि टीआर के संग एसआइटी को अंकचिट भी सौंपा जा सके। वहीं एसआईटी के इंस्पेक्टर विनोद कुमार सिंह ने बताया कि सत्यापन रिपोर्ट के चक्कर में जांच में देरी हो रही है। सभी जिलों का सत्यापन रिपोर्ट मिलते ही एक माह के भीतर जांच पूरी कर रिपोर्ट शासन को सौंप दी जाएगी।
कर्मचारियों की बढ़ाई संख्या
एसआइटी संस्कृत विश्वविद्यालय की डिगी के आधार पर बेसिक शिक्षा विभाग केे परिषदीय विद्यालयों में वर्ष 2004 से 2014 तक नियुक्त शिक्षकों के प्रमाणपत्रों की जांच कर रही है। इसके तहत सूबे के सभी 75 जनपदों के शिक्षकों के अंकपत्र व प्रमाणपत्र नए सिरे से सत्यापन करा रही है। विश्वविद्यालय करीब 65 से अधिक जिलों के अध्यापकों के अभिलेखों का सत्यापन कर रिपोर्ट एसआइटी को सौंप चुकी है। कोविड-19 के प्रकोप के चलते सत्यापन का कार्य भी बाधित हुआ है। परीक्षा नियंत्रक विशेश्वर प्रसाद ने बताया कि गोपनीय विभाग में कर्मचारियों की संख्या बढ़ा दी गई है। ऐसे में अवशेष जिलों का सत्यापन भी एक माह के भीतर पूरा हो जाने की संभावना है।