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एसआइटी ने संस्कृत विवि पर फिर कसा शिकंजा, 65 में से 30 जनपदों के अंकपत्रों का सत्यापन अब भी लंबित

परीक्षा अभिलेखों की जांच कर रही एसआइटी (विशेष अनुसंधान दल) ने संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय पर एक बार फिर शिकंजा कसना शुरू कर दिया।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Tue, 22 Oct 2019 08:38 PM (IST)Updated: Tue, 22 Oct 2019 08:38 PM (IST)
एसआइटी ने संस्कृत विवि पर फिर कसा शिकंजा, 65 में से 30 जनपदों के अंकपत्रों का सत्यापन अब भी लंबित

वाराणसी, जेएनएन। परीक्षा अभिलेखों की जांच कर रही एसआइटी (विशेष अनुसंधान दल) ने संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय पर एक बार फिर शिकंजा कसना शुरू कर दिया। लंबे समय के बाद एसआइटी की टीम मंगलवार को विश्वविद्यालय धमकी। इस दौरान एसआइटी की जांच फर्जीवाड़े में विश्वविद्यालय की संलिप्तता पर केंद्रीत रही।

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फर्जीवाड़े की जांच करने एसआइटी के इंस्पेक्टर वीके सिंह के नेतृत्व में सहित दो सदस्यीय टीम विश्वविद्यालय पहुंची थी। इस दौरान टीम परीक्षा नियंत्रक विशेश्वर प्रसाद से मिलकर कई बिंदुओं पर जानकारी मांगी है। मसलन टेबुलेशन रजिस्टर (टीआर) कब से कम्प्यूटराइज्ड है। किस पाठ्यक्रम किस वर्ष के टीआर में कटिंग व पन्ने गायब हैं। टीआर पर जिम्मेदार अधिकारियों के हस्ताक्षर कब से नहीं हैं। इस संबंध विवि की ओर से क्या कार्रवाई की गई। प्राथमिकी व गिरफ्तारी का भी पूरा विवरण मांगा है। इसके अलावा वर्ष 2004 से 2014 तक (दस वर्ष) तक परीक्षा गोपनीय में काम करने कर्मचारियों नाम, उनकी कार्यावधि तथा स्थायी पता मांगा है। साथ ही इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ हुई कार्रवाई का पूरा ब्यौरा भी तलब किया है।

अंकपत्रों का दोबारा सत्यापन

सूबे के विभिन्न जनपदों में बेसिक शिक्षा विभाग से संचालित विद्यालयों में विश्वविद्यालय के उपाधिधारक बड़े पैमाने पर चयनित हुए थे। विवि पर  अंकपत्रों के सत्यापन रिपोर्ट में व्यापक पैमाने पर अनियमितता बरतने का आरोप है। एक बार वैध तो दूसरी बार उसी परीक्षार्थी को फर्जी बताया गया। इसे देखते हुए एसआइटी 64 जिलों में चयनित अध्यापकों के अंकपत्रों व प्रमाणपत्रों का दोबारा सत्यापन करा रही है। वहीं विवि पिछले दो सालों में 65 में से 32 जिलों का प्रमाणपत्रों का ही सत्यापन कर सकी है। 33 जिलों के प्रमाणपत्रों का सत्यापन अब भी लंबित है।


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