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Shri Ganesh chaturthi Vrat : श्री गणेश चतुर्थी व्रत दो मार्च को, पूजन से मनोकामना पूर्ति का योग

शुभ कार्यों को प्रारंभ करने से पूर्व श्री गणेश की पूजा अर्चना करने का विधान है। सनातन धर्म में विघ्नहर्ता भगवान श्री गणेश चतुर्थी व्रत की धार्मिक मान्यता रही है। चंद्रोदय व्यापिनी चतुर्थी तिथि के दिन किए जाने वाला व्रत संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी के नाम से जाना जाता है।

By Abhishek sharmaEdited By: Published: Mon, 01 Mar 2021 09:42 AM (IST)Updated: Mon, 01 Mar 2021 01:55 PM (IST)
Shri Ganesh chaturthi Vrat : श्री गणेश चतुर्थी व्रत दो मार्च को, पूजन से मनोकामना पूर्ति का योग
शुभ कार्यों को प्रारंभ करने से पूर्व श्री गणेश की पूजा अर्चना करने का विधान है।

वाराणसी, जेएनएन। शुभ कार्यों को प्रारंभ करने से पूर्व श्री गणेश की पूजा अर्चना करने का विधान है। सनातन धर्म में विघ्नहर्ता भगवान श्री गणेश चतुर्थी व्रत की धार्मिक मान्यता रही है। चंद्रोदय व्यापिनी चतुर्थी तिथि के दिन किए जाने वाला व्रत संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी इस बार दो मार्च को पड़ रही है। ज्योतिषाचार्य विमल जैन के अनुसार फाल्गुन कृष्णपक्ष की चतुर्थी तिथि सोमवार एक मार्च को आधी रात के बाद पांच बजकर 47 मिनट पर लग रही है जो अगले दिन मंगलवार दो मार्च को रखा जाएगा। मंगलवार के दिन पडऩे वाली चतुर्थी अंगारकी श्रीगणेश चतुर्थी के नाम से जानी जाती है। चंद्रोदय रात्रि नौ बजकर पंद्रह मिनट पर होगा। श्रीगणेश जी की पूजा अर्चना रात्रि में चंद्र उदय होने के बाद चंद्रमा को अर्घ्‍य देकर किया जाएगा। 

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श्रीगणेश होते हैं प्रसन्न

ज्योतिषाचार्य विमल जैन के अनुसार संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी के दिन सुबह ब्रह़्म मुहूर्त में उठकर अपने समस्त कार्यों से निवृत होकर आराध्य देवी देवता की पूजा अर्चना करने के बाद दाहिने आथ में जल, पुष्प, फल, गंध और कुश लेकर संकष्टी श्रीगणेश चतुर्थी के व्रत का संकल्प लेना चाहिए। पूरे दिन निराहार रहते हुए व्रत के दिन शाम को स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण कर पूर्व या उत्तराभिमुख होकर श्रीगणेश जी की पंचोपचार, दशोपचार या षोडशोपचार से पूजा अर्चना करनी चाहिए। श्रीगणेश को दूर्वा एवं मोदक अति प्रिय है, इसलिए दूर्वा की माला, ऋतुफल, मेवा एवं मोदक अवश्य अर्पित करना चाहिए।


मनोकामना पूर्ति का योग

श्रीगणेश की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए उनकी महिमा में यशगान के रूप में श्रीगणेश स्तुति, संकटनाशन, श्रीगणेश स्त्रोत, श्रीगणेश अथर्वशीर्ष, श्रीगणेश सहस्रनाम, श्रीगणेश चालीसा एवं श्रीगणेश जी से संबंधित अन्य स्त्रोत आदि का पाठ करना चाहिए। संबंधित मंत्र का जाप करने के अलावा मान्यता है कि श्री गणेश अथर्वशीर्ष का सुबह पाठ करने के रात्रि के सभी पापों का नाश होता है। संध्या पाठ करने पर दिन के पापों का नाश होता है, विधि विधानपूर्वक एक हजार पाठ करने पर मनोरथ की पूर्ति के साथ धर्म अर्थ काम और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है।

कुंडली का महत्व

ज्योतिषाचार्य विमल जैन के अनुसार जिन व्यक्तियों की कुंडली में ग्रहजनित दोष हो तो संकष्टी श्रीगणेश चतुर्थी के दिन व्रत उपवास रखकर सर्वविघ्न विनाशक प्रथम पूज्य भगवान श्री गणेश की पूजा अर्चना करके लाभ उठाना चाहिए। जीवन में संकटों का सामना करना पड़ रहा हो तो उन्हें श्री गणेश का दर्शन पूजन और व्रत करना चाहिए। श्री गणेश की पूजा अर्चना से सभी संकटों का निवारण होता है और जीवन में सुख समृद्धि का मार्ग प्रशस्त होता है।


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