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श्रमजीवी ट्रेन विस्फोट कांड : आतंकी की जमानत अर्जी पर मूल पत्रावली पश्चिम बंगाल से मंगाने की पड़ी दरखास्त

जौनपुर में श्रमजीवी ट्रेन विस्फोट कांड के आरोपित नफीकुल विश्वास निवासी पश्चिम बंगाल द्वारा जिला जज की अदालत में दिया गया जमानत प्रार्थना पत्र अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम की अदालत में सुनवाई के लिए बुधवार को स्थानांतरित हुआ। कोर्ट ने सुनवाई के लिए 17 जनवरी तिथि नियत की है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Wed, 06 Jan 2021 07:53 PM (IST)Updated: Wed, 06 Jan 2021 07:53 PM (IST)
श्रमजीवी  ट्रेन विस्फोट कांड : आतंकी की जमानत अर्जी पर मूल पत्रावली पश्चिम बंगाल से मंगाने की पड़ी दरखास्त
श्रमजीवी ट्रेन विस्फोट कांड : आतंकी की जमानत अर्जी पर मूल पत्रावली पश्चिम बंगाल से मंगाने की दरखास्त पड़ी।

जौनपुर, जेएनएन। श्रमजीवी ट्रेन विस्फोट कांड के आरोपित नफीकुल विश्वास निवासी पश्चिम बंगाल द्वारा जिला जज की अदालत में दिया गया जमानत प्रार्थना पत्र अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम की अदालत में सुनवाई के लिए बुधवार को स्थानांतरित हुआ। एडीजीसी अनूप शुक्ल ने प्रार्थना पत्र दिया कि यहां से दंडित किए गए आतंकवादियों की अपील हाईकोर्ट में लंबित है। मूल पत्रावली यहां से हाईकोर्ट गई है। बिना मूल पत्रावली के जमानत प्रार्थना पत्र पर बहस हो पाना संभव नहीं है। इसलिए मूल पत्रावली हाईकोर्ट से मंगाई जाए। कोर्ट ने सुनवाई के लिए 17 जनवरी तिथि नियत की है।

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28 जुलाई 2005 की शाम सवा पांच बजे हरपालगंज के पास हुए श्रमजीवी ट्रेन में विस्फोट हुआ थी। इसमें बांग्लादेशी आतंकवादी रोनी उर्फ आलमगीर तथा ओबैदुर्रहमान को अपर सत्र न्यायाधीश द्वारा मृत्यु दंड से दंडित किया गया था। इसकी अपील हाईकोर्ट में लंबित है। ट्रेन में बम रखने के आरोपित हिलाल निवासी बांग्लादेश तथा सहयोग के आरोपित नफीकुल विश्वास निवासी पश्चिम बंगाल की पत्रावली काफी समय से बहस में नियत है। मूल बयान व अन्य कागजात हाईकोर्ट में दो आरोपियों की अपील के मामले में तलब किया गया है। मुकदमे में विलंब को देखते हुए आरोपित नफीकुल ने जिला जज की अदालत में प्रार्थना पत्र दिया कि उसे फर्जी ढंग से आरोपी बनाया गया है। ट्रेन के ड्राइवर जफर अली ने अज्ञात के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराया था। 45 गवाहों के बयान हुए हैं।  किसी भी गवाह ने उसके खिलाफ गवाही नहीं दी है। वह पश्चिम बंगाल का रहने वाला है। जमानत का दुरुपयोग नहीं करेगा। यह उसका प्रथम जमानत प्रार्थना पत्र है। उसने जमानत पर रिहा किए जाने कि कोर्ट से मांग की है।


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