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भारतीय संस्कृति की रक्षा के लिए शास्त्रों का संरक्षण जरूरी, संस्कृत केवल कर्मकांड की नहीं अपितु ज्ञान-विज्ञान की भाषा

संस्कृत भारतीय उप्र न्यास की वाराणसी शाखा के तत्वावधान में अखिल भारतीय पदशी शलाका परीक्षा रविवार को कबीर नगर स्थित श्री गुरु कार्णिका विद्या भवन में हुई।

By Edited By: Published: Mon, 16 Dec 2019 01:54 AM (IST)Updated: Mon, 16 Dec 2019 12:30 PM (IST)
भारतीय संस्कृति की रक्षा के लिए शास्त्रों का संरक्षण जरूरी, संस्कृत केवल कर्मकांड की नहीं अपितु ज्ञान-विज्ञान की भाषा
भारतीय संस्कृति की रक्षा के लिए शास्त्रों का संरक्षण जरूरी, संस्कृत केवल कर्मकांड की नहीं अपितु ज्ञान-विज्ञान की भाषा

वाराणसी, जेएनएन। संस्कृत भारतीय उ.प्र. न्यास की वाराणसी शाखा के तत्वावधान में अखिल भारतीय पदशी शलाका परीक्षा रविवार को कबीर नगर स्थित श्री गुरु कार्णिक विद्या भवन में हुई। इस मौके पर देश के विभिन्न भागों के अभ्यर्थियों ने वेद-मीमांसा, व्याकरण आदि विषयों की परीक्षा दी। सफल परीक्षार्थियों को नकद पुरस्कारों से पुरस्कृत किया गया। परीक्षा का शुभारंभ संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के संस्कृत विद्या विभाग के डा. रविशंकर पांडेय ने ग्रन्थ पूजन दीप प्रज्जवलन, विद्वत् अलंकरण से किया। वहीं समापन समारोह के मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश संस्थान के अध्यक्ष प्रो. वाचस्पति मिश्र ने कहा कि संस्कृत वाङ्गमय विश्व के समस्त ज्ञान-विज्ञान से परिपूर्ण है।

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भारतीय संस्कृति की रक्षा के लिए प्राचीन शास्त्रों का संरक्षण अति आवश्यक है। अध्यक्षता करते हुए संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व न्याय विभागाध्यक्ष प्रो. वशिष्ठ त्रिपाठी ने कहा कि संस्कृत केवल कर्मकांड की भाषा नहीं है अपितु ज्ञान-विज्ञान की भाषा है। हमारे प्राचीन शास्त्रों में अमूल्य ज्ञान का भंडार है। प्रो. कृष्ण कांत शर्मा, दिव्यचैतन्य ब्रह्मचारी, प्रो. हृदय रंजन शर्मा, डा. संजीव राय ने सहित अन्य लोगों ने विचार व्यक्त किया। स्वागत सरोज कुमार पांडेय व संचालन प्रो. शरदिन्दु त्रिपाठी ने किया। ये प्रतिभागी हुए पुरस्कृत -इस अवसर पर व्याकरण, न्याय, मीमासा, वेदांत आदि विषय में प्रथम द्वितीय तृतीय एवं सात्वना स्थान प्राप्त छात्र-छात्राओं को प्रमाण-पत्र, मेडल, पुरस्कार राशि प्रदान कर सम्मानित किया गया। न्याय में प्रथम स्थान प्राप्त अनुकूल ढकाल को 15000, द्वितीय स्थान प्राप्त श्रीकृष्ण भूर्तेल को 11000 तथा तृतीय स्थान पर रहे लक्ष्मीकान्त को 7000 रुपये का चेक, मेडल एवं प्रमाण-पत्र देकर सम्मानित किया गया। व्याकरण में प्रथम स्थान सात्विक जालिहाल, द्वितीय स्थान पर शिवप्रसाद शुक्ल एवं तृतीय स्थान पर अवनीश द्विवेदी रहे। मीमासा में प्रथम स्थान पर सुदर्शन गौतम, द्वितीय स्थान पर बसंत कोईराला, तृतीय स्थान पर अभिषेक त्रिपाठी रहें। वेदांत में श्री राम कृष्ण प्रथम, विश्वनाथ जाधव द्वितीय एवं श्री रूपेन्द्रसिंह तृतीय स्थान पर रहे । मीमासा एवं वेदांत विषय में भी प्रथम द्वितीय एवं तृतीय स्थान पर रहें प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया गया।


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