एयरपोर्ट के प्रतिबंधित क्षेत्र में कई मोबाइल टावर, कई कंपनियों ने वीडीए व एयरपोर्ट अथारिटी से नहीं ली एनओसी
मोबाइल नेटवर्क कंपनियों ने मनमाने तरीके से एयरपोर्ट के आसपास कई मोबाइल टावर लगा दिए हैं जो विमानों के लिए खतरा बन गए हैं।
वाराणसी, जेएनएन। लाल बहादुर शास्त्री अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर सुरक्षा मानकों के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। मोबाइल नेटवर्क कंपनियों ने मनमाने तरीके से एयरपोर्ट के आसपास कई मोबाइल टावर लगा दिए हैं जो विमानों के लिए खतरा बन गए हैं। कई मोबाइल टावर कंपनियों ने विकास प्राधिकरण और एयरपोर्ट अथारिटी से अनुमति तक नहीं ली है और न ही इन विभागों ने कोई कार्रवाई करना मुनासिब समझा। मोबाइल टावर कंपनियों के खिलाफ कौन कार्रवाई करेगा यह यक्ष प्रश्न से कम नहीं है।
एयरपोर्ट की बाउंड्री से 20 किलोमीटर के दायरे में बहुमंजिली इमारत बनाने से पहले भवन स्वामी को एयरपोर्ट से अनापत्ति प्रमाणपत्र लेनी पड़ती है। इसी प्रकार एक निर्धारित दायरे में मोबाइल टावर लगाया नहीं जा सकता है। बाबतपुर पुराने टर्मिनल के पास एक और चौराहे पर दो मोबाइल टावर लगे हैं। वहीं, सगुनहा में दो, बाबतपुर बाजार के समीप तीन, चिउरापुर में एक तथा मंगारी की ओर जाने वाले मार्ग पर भी दो मोबाइल टावर लगे हैं। यह सभी मोबाइल टावर एयरपोर्ट की बाउंड्री से एक से दो किलोमीटर के दायरे में है। बाबतपुर चौराहे की तरफ तीन मोबाइल टावर ऐसे हैं जो एयरपोर्ट के रन-वे से काफी नजदीक हैं। एयरपोर्ट अधिकारी ने बताया कि एयरपोर्ट के पास कोई भी ऊंचा मोबाइल टावर, चिमनी या इमारत बनवाते समय विभागीय अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) जरूरी होती है। विभिन्न कंपनियों ने चोरी-छिपे या अपने प्रभाव से मोबाइल टावर लगा लिए हैं जो हादसे को दावत दे रहे हैं।
कोहरे में खतरनाक है टावर
एयरपोर्ट के आसपास लगे मोबाइल टावर कोहरे में सबसे ज्यादातर खतरनाक है। क्योंकि कोहरे के दौरान हवाई जहाज से पायलट को मोबाइल टावर साफ दिखाई नहीं पड़ता है। कोहरे और बरसात के दिनों में दृश्यता कम होती है। आपातकालीन स्थिति में विमान उतारते समय हादसे से इंकार नहीं किया जा सकता है। वीडीए उपाध्यक्ष राहुल पांडेय ने कहा कि एयरपोर्ट के पास मोबाइल टावर कैसे लगे, उन्होंने विभाग से अनुमति ली है या नहीं, इसकी रिपोर्ट जेई से मांगी जाएगी। यदि उन्होंने अवैध तरीके से मोबाइल टावर लगाएं है तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।