जलवायु और मौसम के अनुसार करें बीजों का चयन, केवीके गाजीपुर में कृषक-वैज्ञानिक संवाद
जलवायु एवं मौसम के अनुसार बीजों का चयन करना चाहिए। फसलों का एक बहुत बड़ा हिस्सा कीटों के कारण नुकसान होता है इस पर वैज्ञानिकों पर शोध कर काम करने की आवश्यकता है। प्रधानमंत्री ने ‘बैक टू बेसिक और मार्च फार फ्यूचर’ के बीच संतुलन बनाने का आह्वान किया।
गाजीपुर, जागरण संवाददाता। जलवायु अनुकूल किस्में प्रौद्योगिकी एवं पद्धतियां विषय पर कृषक-वैज्ञानिक संवाद कार्यक्रम का आयोजन मंगलवार को कृषि विज्ञान केंद्र पीजी कालेज में किया गया। इस दौरान किसानों को वर्चुअल माध्यम से प्रधानमंत्री ने किसानों से संवाद किया, जिसका सीधा प्रसारण यहां भी किया जा रहा था। प्रधानमंत्री ने उत्साहवर्धन करते हुए कहा कि किसान देश के रीढ़ हैं। जलवायु एवं मौसम के अनुसार बीजों का चयन करना चाहिए। फसलों का एक बहुत बड़ा हिस्सा कीटों के कारण नुकसान होता है, इस पर वैज्ञानिकों पर शोध कर काम करने की आवश्यकता है। प्रधानमंत्री ने ‘बैक टू बेसिक और मार्च फार फ्यूचर’ के बीच संतुलन बनाने का आह्वान किया।
मुख्य अतिथि नगरपालिका अध्यक्ष प्रतिनिधि विनोद अग्रवाल ने कहा कि हमें जलवायु आधारित उच्च गुणवत्ता वाले बीजों का चयन करना चाहिए, जिससे हमारी अर्थव्यवस्था सुदृढ़ हो सके। आज खेती की सबसे बड़ी मांग यही है कि जलवायु परिवर्तन के दृष्टिकोण से खेतों में विविधता तथा फसलों के साथ वृक्षों व जानवरों का संयोजन बहुत मायने रखता है। केंद्र के सीनियर साइंटिस्ट व प्रभारी डा. वीके सिंह ने बताया कि कृषि पद्धतियां पूरी तरह मौसम की स्थितियों पर आधारित हैं। जलवायु आधारित नवीन बीज की प्रजातियों का चयन कर पैदावार बढ़ाने के लिए जलवायु अनुकूल प्रौद्योगिकियों को अपनाने की आवश्यकता है।
जलवायु को लेकर लचीलापन और उच्च पोषक तत्व सामग्री जैसे-विशेष गुणों वाली 35 ऐसी फसलों की किस्मों को विकसित किया गया है। इनमें सूखे को बर्दाश्त करने वाली चने की किस्म, विल्ट और स्टरिलिटी, मोजैक प्रतिरोधी अरहर, सोयाबीन की जल्दी पकने वाली किस्म, चावल की रोग प्रतिरोधी गेंहू, बाजरा, मक्का, चना, कुटु की बायोफोर्टिफाइड किस्में शामिल हैं। किसान भाई पीढ़ियों से खेती के लिए मौसमी बरसात पर ही निर्भर रहे हैं, लेकिन अब बदलते मौसम के कारण उन्हें नुकसान उठाना पड़ रहा है। देश में फसल उत्पाद में उतार-चढ़ाव का कम वर्षा अत्यधिक नमी फसलों पर कीड़े लगना, मौसम बारिश, बाढ़ व सूखा और ओला आदि मुख्य हैं।
पिछले कुछ सालों से मौसम चक्र ने हमें चौकाने और परेशान करने का जो सिलसिला शुरू किया है जो हमारे लिए खेती के लिए मुसीबत बन गया है। आज देश में नियमित बाढ़, चक्रवात और सूखे जैसी प्राकृतिक आपदाओं की बढ़ती आवर्ती से स्पष्ट हो जाता है कि भारत जलवायु परिवर्तन से सर्वाधिक प्रभावित देशों में से एक है। कार्यक्रम में केंद्र के डा. डीके सिंह, डा. एसके सिंह, ओमकार सिंह, आशीष कुमार वाजपेयी, आशुतोष सिंह, डा. पीके सिंह, सुनील कुमार, कपिलदेव शर्मा एवं मनोरमा सहित लगभग 200 किसान थे।