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बोले मनोवैज्ञानिक - 'हिम्मत, अनुशासन और कोविड वैक्सीन है आपका अहम हथियार'

कोरोना की दूसरी लहर का प्रकोप अब कम हो रहा है। कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या में रोजाना कमी हो रही है। कमी का मतलब यह नहीं है कि सभी अपने कर्तव्य भूल जाएं और कोरोना से बचने के लिए जिन स्वास्थ्य दिशा-निर्देश का पालन करना है उसे छोड दें।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Fri, 11 Jun 2021 06:19 PM (IST)Updated: Fri, 11 Jun 2021 06:19 PM (IST)
कर्तव्य भूल जाएं और कोरोना से बचने के लिए जिन स्वास्थ्य दिशा-निर्देश का पालन करना है, उसे छोड दें।

वाराणसी, जेएनएन। देश में कोरोना की दूसरी लहर का प्रकोप अब कम हो रहा है। कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या में रोजाना कमी हो रही है। कमी का मतलब यह नहीं है कि सभी अपने कर्तव्य भूल जाएं और कोरोना से बचने के लिए जिन स्वास्थ्य दिशा-निर्देश का पालन करना है, उसे छोड दें। यह समय पहले से अधिक सचेत रहने का है। इस समय हमारे आस-पास कई लोग मानसिक रूप से व्यथित हो चुके हैं। हम सभी को उनकी हिम्मत बढ़ाती है और आत्मविश्वास में वृद्धि करनी है।

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निमहंस बेंगलुरु में सामाजिक मनोचिकित्सा विभाग के प्रोफेसर और साइकोलॉजिकल सपोर्ट इन डिजास्टर मैनेजमेंट प्रमुख डा. के सेकर बताते हैं कि जो संक्रमित हो चुके हैं या जिनको घर में संक्रमण हुआ है, वह अधिक मानसिक तनाव में हैं। महामारी के डर के बीच लोगों में अवसाद देखा जा रहा है। असल में, महामारी या किसी दर्दनाक घटना के बाद मानसिक तनाव होना सामान्य और स्वाभाविक है। उदास या भयभीत महसूस करना एक सामान्य मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया है। महामारी के दौरान, लोग संक्रमित होने से डरे हुए हैं साथ ही बात का भी भय है कि कहीं कोई उनका अपना न संक्रमित हो जाए। यह भय-परेशानी नींद, चिंता, अवसाद, शराब या धूम्रपान का अधिक सेवन के रूप में प्रकट हो सकते हैं। फिर ऐसे लोग हैं भी जो संक्रमित हैं और अस्पताल में आइसोलेशन में है वे भी घातक परिणामों के बारे में अत्यधिक भय का अनुभव कर सकते हैं। इसके साथ ही जिनके सगे-संबंधी कोरोना के कारण जान गंवा चुके हैं, वे भी तनाव में हैं। तनाव से गुजरने वाले हर किसी को एक विनाशकारी महामारी के दौरान उचित सलाह की आवश्यकता होती है। इस समय लोगों को एक-दूसरे का सहयोग और एक-दूसरे का मनोबल बढ़ाना होगा। हमें भौतिक रूप से दूरी बनाएं रखने की जरूरत हैं जबकि सामाजिक रूप से हम एक साथ हो सकते हैं। यह समय एक-दूसरे का हौसलाअफजाई करने का है।

किसी भी बीमारी में सकारात्मक दृष्टिकोण से व्यक्ति को तेजी से ठीक होने में मदद मिल सकती है, और ऐसा केवल कोविड ही नहीं, कई दूसरी संक्रमित बीमारियों में भी देखा गया है। कुछ रोगियों, विशेषकर जिन्हें आईसीयू में कई दिन बिताने पड़ते हैं, उनके लिए आघात से उबरना मुश्किल हो सकता है। इन रोगियों को सलाह और चिकित्सा के संदर्भ में अब निरंतर सहयोग की आवश्यकता है। केवल कुछ ही मरीजों को पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर से उबरने के लिए दवाओं की आवश्यकता हो सकती है।

अब जबकि संक्रमण की दर में कमी आई है, हम लोग अपने कामों पर लौट रहे हैं। हमें कोरोना के लिए जरूरी बताए गए उपायों के साथ रहना होगा। मास्क, हाथ धोने के साथ कोविड वैक्सीन लगानी होगी। कोविड वैक्सीन सबसे कारगर हथियार है, जिससे हम कोरोना को हरा सकते हैं। अभी के समय में यह बेहद जरूरी है कि आप खुद को अपने काम में व्यस्त रखें, इससे आपका ध्यान नकारात्मक खबरों की तरफ नहीं जाएगा। तीसरा यह सही समय है जब आप अपने परिवार के साथ अच्छा समय व्यतीत कर सकते हैं, यदि काम पूरा हो गया है तो खुद को ऐसे कामों में व्यस्त रखें जिसे करना आपको अच्छा लगता है। आप अपने पुराने मित्रों से वुर्चअली जुड़ सकते हैं, उन्हें खुश करने वाले संदेश भेज सकते हैं, कोई नया शौक पूरा कर सकते हैं परिजनों के साथ मिलकर कुछ रचनात्मक कर सकते हैं। याद रखिए, जो काम आपने हिम्मत और पूरे आत्मविश्वास से किया, उसमें सफलता निश्चित है।


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