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बलिया जिले में खतरा बिंदु से आगे बढ़ रही सरयू, गंगा की भी नहीं थम रही गति

गंगा और सरयू नदी में बढ़ाव का क्रम अभी जारी है। शनिवार को गायघाट में गंगा का जलस्तर 53.130 मीटर दर्ज किया। यहां खतरा बिंदु 57.615 मीटर है। खतरा निशान से गंगा यहां 4.485 मीटर नीचे है। सरयू का जल स्तर तूर्तीपार डीएसपी हेड पर 64.380 मीटर दर्ज किया गया।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Sat, 24 Jul 2021 03:36 PM (IST)Updated: Sat, 24 Jul 2021 03:36 PM (IST)
गंगा और सरयू नदी में बढ़ाव का क्रम अभी जारी है।

जागरण संवाददाता, बलिया। गंगा और सरयू नदी में बढ़ाव का क्रम अभी जारी है। शनिवार को गायघाट में गंगा का जलस्तर 53.130 मीटर दर्ज किया। यहां खतरा बिंदु 57.615 मीटर है। खतरा निशान से गंगा यहां 4.485 मीटर नीचे है। सरयू का जल स्तर तूर्तीपार डीएसपी हेड पर 64.380 मीटर दर्ज किया गया। यहां खतरा निशान 64.01 है। सरयू खतरा निशान से 37 सेमी ऊपर बह रहीं हैं। सरयू में उफान के चलते तटवर्ती इलाके के खेतों में किसानों की फसल के डूबने की संभावना बढ़ गई है। आसपास के क्षेत्रों में बाढ की स्थिति बनने देख लोगों की चिंता बढ गई है। जुलाई से शुरू होने वाली यह तबाही हर साल दशहरा तक रहती है। कब कौन सा गांव अचानक जलमग्न हो जाए कुछ भी कहना मुश्किल होता है।

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16 सितंबर 2019 को दोबारा टूटा था दूबे छपरा रिंग बांध : वर्ष 2016 से कटान और तबाही को लेकर ज्यादा चर्चा में बैरिया तहसील का दूबे छपरा ही रहा है। यहां का रिंग बांध पहली बार 27 अगस्त 2016 को टूटा था, उसके बाद लगभग 29 करोड़ से कटानरोधी कार्य कराया गया। बचाव कार्य होने के बाद भी 16 सितंबर 2019 को वही रिंग बंधा दोबारा टूट गया। उसके अगले दिन 17 सितंबर 2019 को स्वयं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौके पर पहुंचे थे। अब यहां कटानरोधी कार्य के अलावा नदी की धारा मोड़ने के लिए लगभग 29 करोड़ से एक साल से ड्रेजिंग कार्य हो रहा है लेकिन वह कार्य भी अभी आधा-अधूरा है। गंगा नदी का रूख देख स्थानीय लोग इस साल भी सहमे हुए हैं।

2014 में सरयू में समा गए थे 350 मकान : बैरिया तहसील के इब्राहिमाबाद नौबरार में सरयू नदी के कटान में लगभग 350 मकान एक माह के अंदर नदी में समा गए थे। बीएसटी बंधे पर तीन गांवों के लोगों को शरण लेना पड़ा था। गांव को बाढ़ और कटान से बचाने के लिए यूपी-बिहार के संयुक्त प्रोजेक्ट के तहत नया रिंग बांध बनाने कार्य शुरू हुआ लेकिन तीन साल में वह भी पूरा नहीं हुआ। जबकि 125 करोड़ की इसी संयुक्त परियोजना में बिहार ने अपनी सीमा में चार किमी में इस रिंग बांध का निर्माण पूरा करा दिया है।


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