सीर गोवर्धन से वापस लौटने लगे रैदासी, श्रद्धा अर्पण कर पंजाब लौटे संत निरंजन दास
संत शिरोमणि गुरु रविदास के 642वें जयंती में शामिल होने सीर गोवर्धनपुर पहुंचे डेरा सच्च खंड बल्ल जालंधर के पीठाधीश्वर संत निरंजन दास बुधवार दोपहर पंजाब वापस लौट गए।
वाराणसी, जेएनएन। संत शिरोमणि गुरु रविदास के 642वें जयंती में शामिल होने सीर गोवर्धनपुर पहुंचे डेरा सच्च खंड बल्ल जालंधर के पीठाधीश्वर संत निरंजन दास बुधवार दोपहर पंजाब वापस लौट गए। वापस जाने से पहले मंदिर में संत रविदास का दर्शन कर उनको नमन किया। इस दौरान सीर गोवर्धनपुर में मौजूद श्रद्धालुओं ने जय गुरुदेव व जय रविदास के नारे लगाए। गुरु के पांव छूकर आशीर्वाद पाने के लिए भक्तों का तांता लगा रहा। उनके जाने के बाद भक्तों के साथ कई सेवादार भी लौटने लगे। दूर दराज से आए श्रद्धालु जयंती में शामिल होने के बाद सुबह से ही घर लौट रहे थे।
अगले बरस फिर आने के वादे संग मंदिर पहुंच कर लोगों ने दर्शन पूजन किया और समृद्धि की कामना की। धीरे धीरे मुख्य पंडाल में ठहरे श्रद्धालुओं के जाने के बाद वह जगह खाली हो गया। जहां दो दिनों से लाखों रैदासियों की भीड़ थी और सीर मिनी पंजाब बना नजर आ रहा था वहां लोग अपने अपने घरों की ओर बुधवार को लौटने लगे। कई दिनों की चहल-पहल के बाद शाम होने तक भीड़ भी छंटने लगी। लौटते समय मेले में लोगों ने जमकर खरीदारी भी की। हजार लोगों से भी ज्यादा क्षमता वाले लंगर हाल में भी गिने चुने लोग ही लंगर छकने पहुंचे। सीर गोवर्धन से संत निरंजन दास के साथ सैकड़ों श्रद्धालुओं का जत्था दोपहर एक बजे वाराणसी कैंट रेलवे स्टेशन के लिए रवाना हुआ।
जालंधर लौटा रैदासियों का जत्था : काशी में रविदास जयंती का भव्य कार्यक्रम मना कर सेवादार वापस लौट गए। करीब 1600 से अधिक सेवादारों के जाने के लिए विशेष बेगमपुरा एक्सप्रेस संख्या 00611 को जालंधर सिटी तक बुक किया गया था। बुधवार दोपहर 15:30 बजे कैंट स्टेशन से रवाना होने वाली ट्रेन में सवार होने के लिए सेवादारों का जत्था दोपहर दो बजे से आना शुरू हो गया था। सेवादारों के अगुवा व डेरा सच्च खंड बल्ल, जालंधर के पीठाधीश्वर संत निरंजन दास अनुयायियों के साथ कैंट स्टेशन पहुंचे। वे पंजाब पुलिस की कड़ी सुरक्षा में ट्रेन की बोगी संख्या एस-11 में अपनी विशेष सीट पर बैठ गए। ट्रेन करीब 10 मिनट की देरी से रवाना हो गई। इस दौरान काशी के श्रद्धालुओं में उदासी दिखी वहीं कुछ बिछोह की बेला में अपने आंसू नहीं रोक पाए।