संस्कृत के संग अब अंग्रेजी में भी मिलेगी उपाधि, दो भाषा में प्रमाणपत्र जारी करने की मिली अनुमति
विदेशी छात्रों के डिमांड पर संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय अब संस्कृत के संग अंग्रेजी में भी प्रमाणपत्र व उपाधि जारी करने का निर्णय लिया।
वाराणसी, जेएनएन। विदेशी छात्रों के डिमांड पर संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय अब संस्कृत के संग अंग्रेजी में भी प्रमाणपत्र व उपाधि जारी करने का निर्णय लिया। कुलपति प्रो. राजाराम शुक्ल की अध्यक्षता से हुई परीक्षा समिति की बैठक में दो भाषा में प्रमाणपत्र व उपाधि जारी करने की हरी झंडी मिल गई।
विदेशी छात्रों की समस्या को देखते हुए विश्वविद्यालय वर्ष 2011 से आचार्य (स्नातकोत्तर) की उपाधि संस्कृत व अंग्रेजी दोनों भाषा में जारी कर रहा है। वहीं अन्य पाठ्यक्रमों का प्रमाणपत्र अब भी सिर्फ संस्कृत भाषा में जारी किया जाता है। संस्कृत भाषा में प्रमाणपत्र होने के कारण छात्रों को विदेशों में परेशानी हो रही थी। इसे देखते हुए अब मध्यमा (कक्षा आठ से इंटर) से लगायत शास्त्री (स्नातक) तक की उपाधि दो भाषाओं में जारी करने का निर्णय लिया गया है।
परीक्षा समिति ने प्रवेश प्रक्रिया खत्म होने के बीस दिनों के भीतर संबद्ध कालेजों से छात्रों के समस्त प्रपत्र जमा कराने का निर्णय लिया गया है। जबकि पहले संबद्ध कालेज परीक्षा फार्म के साथ परीक्षार्थियों के अंकपत्र व प्रमाणपत्र की छाया प्रति जमा करते थे। परीक्षा के समय अंकपत्रों की जांच गंभीरता से नहीं होती थी। शास्त्री में दाखिले की न्यूनतम अर्हता इंटर संस्कृत में 45 फीसद से अंक न होने के बावजूद तमाम छात्र शास्त्री की परीक्षा में शामिल हो जाते थे। बाद में विवि को ऐसे परीक्षार्थियों का रिजल्ट रोकना पड़ता था। अब इस तरह की फर्जीगिरी रोकने के लिए प्रवेश के तत्काल बाद अंकपत्रों की छायाप्रति जमा कराने का निर्णय लिया गया है ताकि जांच में समय मिल सके।
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