वाराणसी में धांधली से अधमरी पेयजल परियोजना को 131 करोड़ की संजीवनी, पाइप लाइन होगी दुरुस्त
वाराणसी में नगर आयुक्त गौरांग राठी ने पेयजल परियोजना को जनोपयोगी बनाने की ठानी है। उनके निर्देश पर जल निगम ने 131 करोड़ का प्रस्ताव तैयार किया है जिसे हरी झंडी भी मिल गई है।
वाराणसी, जेएनएन। नगर की पेयजल व्यवस्था को बेहतर करने के लिए 12 वर्ष पूर्व जेएनएनयूआरएम के तहत तीन प्राथमिकता तय करते हुए पेयजल परियोजना बनाई गई। तीन चरणों में होने क्रियान्वित होने वाली परियोजना पर करीब 700 करोड़ रुपये का बजट निर्गत किया गया लेकिन धांधली के वज्रपात से पूरी योजना अधमरी हो गई। अनियमितता भरी गड़बडिय़ां बसपा व सपा सरकारों में हद दर्जे तक की गई। स्थानीय स्तर पर ही नहीं बल्कि लखनऊ स्तर पर हुई खरीद में धांधली की गई। परिणाम, अब तक नगरवासियों को शुद्ध पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित नहीं हो सकी जबकि परियोजना के तहत हर घर गंगा जल पहुुंचाने की मंशा थी। जब प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार बनी तो जांच शुरू हुई। इसमें अब तक अधीक्षण अभियंता जल निगम वाराणसी आरपी पांडेय समेत 19 अभियंता निलंबित हो गए जबकि 17 सेवानिवृत्त अफसरों से वसूली के आदेश हुआ।
अमृत योजना के तहत 131 करोड़ के प्रस्ताव पर मिली स्वीकृति
अब नगर आयुक्त गौरांग राठी ने परियोजना को जनोपयोगी बनाने की ठानी है। उनके निर्देश पर जल निगम ने 131 करोड़ का प्रस्ताव तैयार किया है। इसके अलावा आठ करोड़ का प्रस्ताव अलग से बना है जिसे शहरी विकास मंत्रालय को भेजा गया है। अमृत योजना के तहत 131 करोड़ के प्रस्ताव पर स्वीकृति मिल गई है जबकि आठ करोड़ का प्रस्ताव मंथन के दौर में है। पहले चरण में आठ करोड़ से सेटेलाइट सर्वे कर जमीन के नीचे आठ फीट नीचे तक जांच की जाएगी जिससे पता चलेगा कि कहां-कहां पाइप है और कहां नहीं। कहां-कहां डैमेेज हुआ है। इसके बाद 131 करोड़ रुपये से उन कमियों को दूर किया जाएगा।
इस तरह से की गई धांधली
चौंकाने वाली बात है कि 700 करोड़ की परियोजना में पुराने शहर में 227 करोड़ रुपये पाइप लाइन व 17 ओवरहेड टंकी बनानी थी। पेयजल परियोजना की देखरेख के लिए जल निगम ने वाराणसी में कोई नोडल एजेंसी ही नहीं बनाई गई। काम को 1200 टुकड़ों में काटकर 300 ठीकेदारों में बांट दिया गया। हर ठीकेदार ने अपने हिस्से की पाइप लाइन डाली लेकिन पाइपों को आपस में किसी ने नहीं जोड़ा। ऐसे ही खुले पड़े पाइपों के ऊपर सड़क बन गई। ठेकेदारों को भुगतान हो गया। प्रोजेक्ट मैनेजर आरपी पांडेय सहित कई अधिकारियों का तबादला भी हो गया। इसके बाद जब मामला खुला तो आरपी पांडेय को जिम्मेदार मानकर फिर मुरादाबाद से वाराणसी ट्रांसफर किया गया। उनका जिम्मा पाइप लाइनों को जोडऩे का था लेकिन इसके लिए पैसा नहीं था। बताया जा रहा है कि आरपी पांडेय ने अनियमित ढंग से अन्य योजनाओं का पैसा इस काम में लगाया, तब भी पाइप लाइन के लीकेज दूर नहीं हुए।
इन अफसरों पर हो चुकी है कार्रवाई
पेयजल परियोजना से जुड़े कार्यरत परियोजना प्रबंधक एके सिंह व एससी सिंह, सहायक परियोजना अभियंता वीपी मौर्या, अधीक्षण अभियंता आरपी पांडेय, अधिशासी अभियंता सुरेंद्र कुमार सिंह, सहायक अभियंता संजय कुमार, अनूप सिंह, एसएस कौशिक, अवर अभियंता डीएन तिवारी, जीआर गुप्ता, जितेंद्र सिंह, शत्रुघ्न व नवनीत, अभियंता गरिमा कुशवाहा, कैशियर लिपित तृप्ति गुप्ता, रवींद्रनाथ सिंह व हरिओम आदि को निलंबित कर दिया गया है। वहीं, सेवानिवृत्त हो चुके महाप्रबंधक रमेश सिंह, परियोजना प्रबंधक कन्हैया राम, परियोजना अभियंता गजानंद वर्मा, मुख्य अभियंता आरके द्विवेदी, अधीक्षण अभियंता एके श्रीवास्तव, अनूप सक्सेना, राजेंद्र श्रीवास्तव व एसएल सिंह कुशवाहा, अवर अभियंता एमएन सिद्दिकी, मुख्य अभियंता केके सिंह, अधिशासी अभियंता सतीश, सहायक अभियंता मुस्तफा अंसारी आदि से रिकवरी का आदेश है। वहीं, दिसंबर 2017 में अधिशासी अभियंता सुरेंद्र कुमार व मार्च 2018 में अधिशासी अभियंता एके सिंह के निलंबन की कार्रवाई हो चुकी है।
हर घर को शुद्ध पानी की आपूर्ति करने की है योजना
नगर आयुक्त वाराणसी गौरांग राठी का कहना है कि पेयजल योजना को दुरुस्त करने के लिए 131 करोड़ रुपये का प्रस्ताव तैयार है। बजट आते ही कार्य प्रारंभ होगा। इसके बाद कमियों को दूर कर हर घर को शुद्ध पानी की आपूर्ति हो सकेगी।