वाराणसी के नए सीएमओ डाक्टर संदीप चौधरी ने पदभार संभालते ही विभागीय अधिकारियों के साथ की बैठक
सिद्धार्थनगर में मुख्य चिकित्सा अधिकार पद पर तैनात डा. संदीप चौधरी ने बुधवार को वाराणसी के नवागत सीएमओ का पदभार संभाला। कहा कि बाबा की नगरी में कार्य करने का मौका मिलना बड़ी बात है। यहां पर जो भी चुनौतियां होंगी उससे निपटा जाएगा।
जागरण संवाददाता, वाराणसी : सिद्धार्थनगर में मुख्य चिकित्सा अधिकार पद पर तैनात डा. संदीप चौधरी ने बुधवार को वाराणसी के नवागत सीएमओ का पदभार संभाला। कहा कि बाबा की नगरी में कार्य करने का मौका मिलना बड़ी बात है। यहां पर जो भी चुनौतियां होंगी उससे निपटा जाएगा। साथ ही मरीजों के हित में हर कदम उठाए जाएंगे।
डा. चौधरी ने कहा कि वे जिले में चिकित्सीय सेवाओं और अधिक सुदृढ़ करेंगे। इस दौरान उन्होंने सभी अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारियों व नोडल अधिकारियों को निर्देश दिया कि आयुष्मान भारत योजना, परिवार कल्याण कार्यक्रम, जननी सुरक्षा योजना, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान पर विशेष जोर दें। साथ ही उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी, प्रशासनिक अधिकारी, जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी, जिला कार्यक्रम प्रबंधक, जिला सामुदायिक प्रक्रिया प्रबंधक, चिकित्सा अधिकारी, स्वास्थ्यकर्मियों व सहयोगी संस्थाओं के साथ ही बैठक की। सभी को चेताया कि सभी अधिकारी, कर्मचारी पूरी ईमानदारी व लगन से कार्य करें।
बिना स्तन हटाए ही ब्रेकीथेरेपी से कैंसर का सफल उपचार
चिकित्सा विज्ञान संस्थान, बीएचयू के जनरल सर्जरी व रेडिएशन आंकोलाजी विभाग के चिकित्सकों की टीम ने कैंसर पीड़ित का बिना स्तन निकाले ही इंट्रा-आपरेटिव ब्रेकीथेरेपी से सफल उपचार किया है। यह थेरेपी देश के कुछ ही संस्थाओं में प्रयुक्त होती है। कुछ ही माह पहले मिली सफलता के बाद बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल के इतिहास में दूसरी बार यह प्रक्रिया मंगलवार को पीड़ित महिला के उपचार में अपनाई गई। उपचार करने वाली टीम में जनरल सर्जरी के प्रो. वीके शुक्ला, प्रो. एसके भारतिया, डा. संजय सरोज, डा. अरविंद प्रताप व रेडिएशन आंकोलोजी के विभागाध्यक्ष प्रो. सुनील चौधरी, प्रो. ललित अग्रवाल, अंकुर मौर्या आदि शामिल थे। प्रो. चौधरी ने बताया कि ब्रेकीथेरेपी एक तकनीक है जिसमें कैंसर के विशेषज्ञ प्रभावित अंग के अंदर या पास में विकिरण का स्रोत डालकर उपचार करते हैं। ट्यूमर के सटीक स्थान पर ट्यूब इम्प्लांट किए जाते हैं, जिसके रास्ते स्रोत को आपरेशन के बाद ट्यूमर के स्थान पर सरलता से पहुंचाया जाता है। ज्यादातर ये प्रक्रिया सर्जरी के चंद हफ्तों बाद की जाती है। ट्यूमर बेड को अल्ट्रासाउंड या सीटी स्कैन से रेखांकित किया जाता है।