Move to Jagran APP

संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय : शास्त्री के पाठ्यक्रमों में हिंदी की अनिवार्यता खत्म, अंग्रेजी की होगी बाध्यता

राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के स्नातक (शास्त्री) पाठ्यक्रमों की रूपरेखा लगभग तय कर ली गई है। नए प्रारूप के तहत स्नातक स्तर पर हिंदी की अनिवार्यता समाप्त कर अंग्रेजी की बाध्यता करने का प्रस्ताव है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Sat, 24 Jul 2021 08:50 AM (IST)Updated: Sat, 24 Jul 2021 08:50 AM (IST)
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय : शास्त्री के पाठ्यक्रमों में हिंदी की अनिवार्यता खत्म, अंग्रेजी की होगी बाध्यता
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के स्नातक (शास्त्री) पाठ्यक्रमों की रूपरेखा लगभग तय कर ली गई है।

वाराणसी, [अजय कृष्ण श्रीवास्तव]। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के स्नातक (शास्त्री) पाठ्यक्रमों की रूपरेखा लगभग तय कर ली गई है। नए प्रारूप के तहत स्नातक स्तर पर हिंदी की अनिवार्यता समाप्त कर अंग्रेजी की बाध्यता करने का प्रस्ताव है। शास्त्री में पहले हिंदी का एक पेपर अनिवार्य था। वहीं अंग्रेजी ऐच्छिक विषय के रूप में शामिल था।  खास बात यह कि पहले अंग्रेजी में पास होना जरूरी नहीं था।

loksabha election banner

अंग्रेजी में अनुत्तीर्ण होने या परीक्षा छोड़ देने के बाद भी रिजल्ट पर कोई असर नहीं पड़ता था, लेकिन अब प्राच्य विद्या के छात्रों को अंग्रेजी में पास होना अनिवार्य होगा। इसी प्रकार क वर्ग में शास्त्रों के तीन प्रश्नपत्रों के स्थान पर दो प्रश्नपत्र प्रस्तावित हैं। शास्त्र के एक प्रश्नपत्र खत्म कर कंप्यूटर एप्लीकेशन जोड़ा जा रहा है। इस क्रम में वैकल्पिक ख वर्ग में स्किल डेवलपमेंट को पाठ्यक्रम में जोडऩे की तैयारी है। विभाग स्तर पर पाठ्यक्रम लगभग तैयार कर लिए गए हैं। सेमेस्टर प्रणाली के तहत पाठ्यक्रमों के विभाजन का कार्य भी लगभग पूर्ण कर लिया गया है।

ज्यादातर विभागीय व संकाय अध्ययन बोर्ड पाठ्यक्रमों के नए प्रारूप को मंजूरी भी मिल चुकी है। पाठ्यक्रमों के अनुमोदन के लिए विद्यापरिषद की 26 जुलाई व कार्यपरिषद की 28 जुलाई को बैठक बुलाई गई है। इसके बावजूद पाठ्यक्रमों में संशोधन को लेकर विश्वविद्यालय के अध्यापक खुलकर बोलने को तैयार नहीं है। वहीं संबद्ध कालेज के शिक्षक स्नातक स्तर पर अंग्रेजी व कंप्यूटर एप्लीकेशन की अनिवार्यता पर सवाल उठा रहे हैं। अध्यापकों का कहना है कि संबद्ध कालेज के पास पर्याप्त संसाधन नहीं हैं। शिक्षकों का टोटा बना हुआ है। ऐसे में अंग्रेजी व कंप्यूटर एप्लीकेशन कौन पढ़ेगा। शास्त्री-आचार्य का शुल्क कम होने के कारण मानदेय पर अध्यापक नियुक्त करने के लिए पैसा कहा से आएगा। दूसरी ओर पर्याप्त संसाधन न होने के कारण कंप्यूटर एप्लीकेशन भी लागू करना बड़ी चुनौती है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.