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संस्कृत विवि में नियुक्ति को लेकर घमासान

वाराणसी : संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में अध्यापकों की नियुक्ति को लेकर घमासान मचा हुआ ह

By JagranEdited By: Published: Sun, 08 Oct 2017 01:44 AM (IST)Updated: Sun, 08 Oct 2017 01:44 AM (IST)
संस्कृत विवि में नियुक्ति को लेकर घमासान
संस्कृत विवि में नियुक्ति को लेकर घमासान

वाराणसी : संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में अध्यापकों की नियुक्ति को लेकर घमासान मचा हुआ है। विश्वविद्यालय के इतिहास में पहली बार सभी संघों ने एक साथ मोर्चा खोल दिया है। मनमाने तरीके से नियुक्ति करने के विरोध में जहां अध्यापकों ने केंद्रीय कार्यालय के समक्ष धरना दिया, वहीं सातवें वेतन आयोग के अनुरूप वेतन की मांग को लेकर कर्मचारी संघ धरने पर बैठा रहा। जबकि छात्रों का एक गुट कुलपति के समर्थन व कुलसचिव को कार्यमुक्त करने की मांग को लेकर धरना दिया।

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इस प्रकार शनिवार को एक ही परिसर में एक साथ तीन अलग-अलग दरियां बिछी रहीं। छात्रों, अध्यापकों व कर्मचारियों के चलते विश्वविद्यालय में पठन-पाठन व कार्यालयीय कामकाज पूरी तरह ठप रहा। अध्यापक, कर्मचारी व छात्र अपने-अपने मांग पर अड़े हुए हैं। किसी अप्रिय घटना की आशंका में विश्वविद्यालय प्रशासन ने पुलिस फोर्स भी बुला लिया था।

कुलसचिव को लेकर भ्रम की स्थिति : विश्वविद्यालय में कुलसचिव को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। कुलपति ने प्रभाष द्विवेदी को कुलसचिव पद से हटाकर उनके मूल पद उप कुलसचिव का दायित्व सौंप दिया है। उनके स्थान पर वेदांत विभाग के प्रो. सुधाकर मिश्र को कुलसचिव का दायित्व सौंप दिया है। वहीं दूसरी ओर प्रभाष द्विवेदी का कहना है कि कुलसचिव व उप कुलसचिव बनाने का अधिकार शासन को है। विश्वविद्यालय अधिनियम 1973 के तहत किसी भी अध्यापक को प्रशासनिक दायित्व नहीं सौंपा जा सकता है। इस संबंध में उन्होंने कुलपति को लिखकर जवाब भी दे दिया है। इतना ही नहीं वह शनिवार को अपने कक्ष में बैठकर काम भी किए। दूसरी ओर कुलपति द्वारा नियुक्त कुलसचिव वीसी कक्ष में ही बैठकर कामकाज किए। इस प्रकार विश्वविद्यालय में दो-दो कुलसचिव बने हुए हैं, एक शासन तो दूसरा कुलपति द्वारा। ऐसे कुलसचिव को लेकर विवि में भ्रम की स्थिति बनी हुई है।

राजभवन से करें शिकायत : कुलपति प्रो. यदुनाथ दुबे ने कहा

अध्यापकों की नियुक्ति राजभवन की अनुमति से नियमानुसार की जा रही है। यदि अध्यापकों को कोई आपत्ति है तो वह कुलाधिपति से शिकायत दर्ज करा सकते हैं। रहीं बात वेतन की तो उसकी व्यवस्था की जा रहीं है।

कुलपति को मुख्यमंत्री ने बुलाया : विश्वविद्यालय में जहां घमासान चल रहा है। वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने आठ अगस्त को कुलपति प्रो. यदुनाथ दुबे को लखनऊ बुलाया है। कुलपति का कहना है कि विश्वविद्यालय में अधिकारियों व आर्थिक संसाधन की कमी पर मुख्यमंत्री से मिलने का समय काफी पहले मांगा था। इस परिप्रेक्ष्य में मुख्यमंत्री ने मिलने का समय दे दिया है।


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