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शास्त्री और आचार्य की परीक्षा की तैयारी में जुटा संपूर्णानंद संस्‍कृत विश्‍वविद्यालय वाराणसी

संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के शास्त्री-आचार्य की परीक्षाएं जुलाई के अंतिम सप्ताह या अगस्त के प्रथम सप्ताह में प्रस्तावित है। शासन की गाइडलाइन जारी होने के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने परीक्षा की अब रूपरेखा बनानी शुरू कर दी है।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Mon, 14 Jun 2021 08:30 AM (IST)Updated: Mon, 14 Jun 2021 08:30 AM (IST)
शास्त्री और आचार्य की परीक्षा की तैयारी में जुटा संपूर्णानंद संस्‍कृत विश्‍वविद्यालय वाराणसी
शासन की गाइडलाइन जारी होने के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने परीक्षा की अब रूपरेखा बनानी शुरू कर दी है।

वाराणसी, जेएनएन। संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के शास्त्री-आचार्य की परीक्षाएं जुलाई के अंतिम सप्ताह या अगस्त के प्रथम सप्ताह में प्रस्तावित है। शासन की गाइडलाइन जारी होने के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने परीक्षा की रूपरेखा बनानी शुरू कर दी है। इस क्रम में 14 जून को सुबह 11.30 बजे परिसर स्थित योग साधना केंद्र के संवाद कक्ष हेड व डीन बैठक बुलाई गई है। इसमें परीक्षाओं की रूपरेखा के अलावा शास्त्री (स्नातक स्तर) का कामन सिलेबस व अनुशासन व्यवस्था को और चुस्त-दुरूस्त करने पर विमर्श किया जाएगा।

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विश्वविद्यालय प्रशासन ने प्रथमा से लगायत आचार्य तक ऑनलाइन परीक्षा फार्म भरने की अंतिम तिथि 20 जून तक के लिए बढ़ा दी है। विश्वविद्यालय अब परीक्षा फार्म की तिथि बढ़ाने के मूड में नहीं है। कुलपति प्रो. हरेराम त्रिपाठी ने बताया कि शासन के निर्देश पर हर हाल में 15 अगस्त से पहले परीक्षा कराने का लक्ष्य रखा गया है। समय पर परीक्षा व परिणाम पहली प्राथमिकता में शामिल है। इसके अलावा राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप पाठ्यक्रम यथाशीघ्र तैयार कराने का निर्णय लिया गया है। इस क्रम में विभागाध्यक्षों व संकायाध्यक्षों की बैठक भी बुलाई गई है। विद्वानों के परामर्श के आधार पर ही पाठ्यक्रम अपडेट किए जाएंगे।

जून से बांटी जाएंगी उपाधियां

कुलपति ने बताया कि कुलाधिपति के निर्देश पर वर्ष 2020 के शास्त्री-आचार्य के छात्राें की उपाधि 26 जून से देने का निर्णय लिया है। वर्ष 2020 के सभी परीक्षार्थियों की उपाधियां तैयार करा ली गई है। संबंधित महाविद्यालयों के माध्यम से विद्यार्थियों तक उपाधियां पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है। ऐसे में संबद्ध कालेजों के प्राचार्य 26 जून के बाद विश्वविद्यालय से उपाधि प्राप्त कर सकते हैं। संबद्ध कालेजों के छात्रों को संबंधित महाविद्यालयों से ही उपाधियां मिलेंगी।

सौर ऊर्जा प्लांट लगाने की तैयारी

संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में सौर ऊर्जा प्लांट लगाने की तैयारी तेज कर दी गई है। इसके लिए सोलर पैनल आने लगे हैं। उत्तर प्रदेश नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विकास अभिकरण (यूपी नेडा) ने जुलाई तक विश्वविद्यालय में सौर ऊर्जा प्लांट लगाने का लक्ष्य रखा है। राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (रूसा) से करीब चार साल पहले परिसर में सौर ऊर्जा प्लांट के मद में डेढ़ करोड़ रुपये का अनुदान मिला था। वहीं सौर ऊर्जा प्लांट लगाने के लिए 17 दिसंबर 2020 को यूपी नेडा से समझौता हुआ। इसके लिए विश्वविद्यालय ने यूपी-नेडा को एक करोड़ 49 लाख 70 हजार रुपये अग्रिम भुगतान भी कर दिया है। हालांकि, काेरोना महामारी के चलते सौर ऊर्जा प्लांट लगाने का काम अब तक नहीं शुरू हो सका था। महामारी कम होते ही नेडा ने 357 किलोवाट क्षमता के सौर ऊर्जा प्लांट के पहल तेज कर दी है। प्रथम चरण में परिसर के पाणिनी भवन सभागार, परीक्षा विस्तार भवन, बहुसंकाय भवन, पुरातत्व संग्रहालय, अंतरराष्ट्रीय छात्रावास, केंद्रीय कार्यालय की छतों पर प्लांट लगाने का प्रस्ताव है।


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