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संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में उत्तरपुस्तिकाओं के मूल्यांकन को लेकर घमासान जारी

कुलपति प्रो. हरेराम त्रिपाठी ने बताया कि मानक दस बंडल कापियों के मूल्यांकन का है। इसके बावजूद ज्यादातर परीक्षक 15 बंडल से अधिक उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन कर चुके हैं। ऐसे परीक्षकों को जब कार्यमुक्त किया गया तो उन्होंने मूल्यांकन का बहिष्कार कर दिया।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Fri, 24 Sep 2021 12:22 PM (IST)Updated: Fri, 24 Sep 2021 12:22 PM (IST)
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में उत्तरपुस्तिकाओं के मूल्यांकन को लेकर घमासान जारी
कुलपति प्रो. हरेराम त्रिपाठी ने बताया कि मानक दस बंडल कापियों के मूल्यांकन का है।

वाराणसी, जागरण संवाददाता। संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन को घमासान छिड़ा हुआ है। हालत यह है कि किसी शिक्षक में 15 बंडल यानी 1500 कापियां मूल्यांकन के लिए मिली है तो कोई शिक्षक मूल्यांकन के लिए कापियों पर टकटकी लगाए हुए हैं।

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कुलपति प्रो. हरेराम त्रिपाठी ने बताया कि मानक दस बंडल कापियों के मूल्यांकन का है। इसके बावजूद ज्यादातर परीक्षक 15 बंडल से अधिक उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन कर चुके हैं। ऐसे परीक्षकों को जब कार्यमुक्त किया गया तो उन्होंने मूल्यांकन का बहिष्कार कर दिया। यही नहीं मूल्यांकन कार्य में लगे शिक्षक दूसरे महाविद्यालयों के परीक्षकों को मूल्यांकन कार्य से रोक रहे हैं। कहा कि पूरे देश में 550 से अधिक संबद्ध कालेज है। प्रथम चरण में पूर्वांचल के विभिन्न जनपदों के संबद्ध कालेजों को कापियों के मूल्यांकन के लिए परीक्षक बनाया गया था। मानक के अनुसार वह कापियों का मूल्यांकन कर चुके हैं। इसे देखते हुए अब नए परीक्षक नियुक्त करने का निर्णय लिया गया है। कहा कि मूल्यांकन का पारिश्रमिक वर्ष 2016 से बाकी है। हम एक साल से विश्वविद्यालय आए हैं।

कुलपति का कार्यभार संभालते ही वर्ष 2020 के बकाया पारिश्रमिक का भुगतान कराया। पुराने बकाये के लिए भी शासन स्तर से बातचीत जारी है। कहा कि परीक्षा शुल्क कम होने के कारण ही प्रश्नपत्रों का मुद्रण विश्वविद्यालय प्रेस में कराया जाता है। संबद्ध कालेजों एक ओर परीक्षा शुल्क बढ़ाने का विराेध करते हैं। वहीं दूसरी ओर पारिश्रमिक बढ़ाने की मांग करते हैं जो संभव नहीं है। उन्हाेंने कहा कि परीक्षकों का आंदोलन अप्रत्यक्ष रूप से संबद्ध कालेजों अपने चहेतों की नियुक्ति कराना है। उधर संस्कृत कालेजों के शिक्षकों ने कहा कि केंद्र व्यय व मूल्यांकन के पारिश्रमिक को लेकर शिक्षक कई बार मांग कर चुके हैं। इस क्रम 22 सितंबर को भी शिक्षकों ने कुलपति को एक पत्रक सौंपा था। यही नहीं इस संबंध शिक्षकों ने कुलपति से वार्ता के लिए भी मांगा था।

देरशाम तक इंतजार कराने के बाद भी कुलपति संबद्ध कालेज के शिक्षकों से नहीं मिले। वहीं कुलपति ने ऐसे परीक्षकों को उन्होंने तत्काल कार्यमुक्त करने का आदेश दिया, जो पत्रक में हस्ताक्षर किए थे। इससे क्षुब्ध शिक्षकों ने पूरी तरह से मूल्यांकन कार्य का बहिष्कार कर दिया। कुलपति का दावा है कि मुझसे मिलने कोई नहीं आया था। बहरहाल शिक्षकों के शिक्षकों के आंदोलन का असर परीक्षा परिणाम पर पडऩा तय है। रिजल्ट में देरी संभव है। विश्वविद्यालय ने शास्त्री-आचार्य का रिजल्ट दो चरणों में जारी करने का निर्णय लिया था। प्रथम चरण में विश्वविद्यालय में अध्ययनरत छात्रों का रिजल्ट जारी किया जा चुका है। वहीं संबद्ध कालेजों के परीक्षाॢथयों की कापियों का मूल्यांकन दो सितंबर से शुरू हुआ है। अब तक महज 50 फीसद ही कापियों का मूल्यांकन हो सका है। विश्वविद्यालय प्रशासन 30 सितंबर तक शास्त्री-आचार्य अंंतिम खंड का रिजल्ट जारी करने का लक्ष्य रखा है जो अब संभव नहीं दिख रहा है।


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