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RTE अब तक नहीं मिला कापी-किताब व ड्रेस का धन, शुल्क प्रतिपूर्ति भी लैप्स होने का खतरा

वर्तमान सत्र बीतने को है। वहीं राइट टू एजुकेशन (आरटीई) के तहत निजी विद्यालयों में मुफ्त पढऩे वाले हजारों बच्चों को डे्रस कापी-किताब का पैसा अब तक नहीं मिल सका है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Fri, 27 Mar 2020 08:10 AM (IST)Updated: Fri, 27 Mar 2020 08:10 AM (IST)
RTE अब तक नहीं मिला कापी-किताब व ड्रेस का धन, शुल्क प्रतिपूर्ति भी लैप्स होने का खतरा
RTE अब तक नहीं मिला कापी-किताब व ड्रेस का धन, शुल्क प्रतिपूर्ति भी लैप्स होने का खतरा

वाराणसी, जेएनएन। वर्तमान सत्र बीतने को है। वहीं राइट टू एजुकेशन (आरटीई) के तहत निजी विद्यालयों में मुफ्त पढऩे वाले हजारों बच्चों को डे्रस, कापी-किताब का पैसा अब तक नहीं मिल सका है। विडंबना यह कि 64 विद्यालयों ने अब तक ड्रेस, कापी, किताब व शुल्क प्रतिपूर्ति का डिमांड ही नहीं किया है। जबकि ड्रेस, कापी, किताब व शुल्क प्रतिपूर्ति का बजट 31 मार्च को जारी होने की संभावना है। बीएसए ने इसे गंभीरता से लिया हैं। गुरुवार को उन्होंने इन विद्यालयों को नोटिस जारी कर अविलंब डिमांड भेजने का निर्देश दिया। कहा कि इसकी संपूर्ण जिम्मेदारी संबंधित विद्यालयों की होगी।

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निश्शुल्क व अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2009 के तहत निजी स्कूलों में प्री-नर्सरी व कक्षा एक में सीट के सापेक्ष 25 फीसद मुफ्त दाखिला दुर्बल आय वर्ग के बच्चों को देने का प्रावधान है। आरटीई के तहत निश्शुल्क पढ़ाई के अलावा कापी, किताब, ड्रेस के लिए बच्चों के अभिभावकों को प्रतिवर्ष पांच हजार देने का भी प्रावधान है। इसके अलावा संबंधित विद्यालयों को प्रति बच्चा हर महीने 450 रुपये की दर से सलाना 5400 रुपये शुल्क प्रतिपूर्ति भी मुहैया कराया जाता है। आरटीई के तहत वर्तमान सत्र में विभिन्न निजी विद्यालयों में 9557 बच्चे विभिन्न निजी विद्यालयों में मुफ्त अध्ययन कर रहे हैं। 64 विद्यालयों को छोड़ कर बीएसए राकेश सिंह ने अन्य विद्यालयों में पंजीकृत बच्चों के ड्रेस, किताब-कापी व शुल्क प्रतिपूर्ति का डिमांड शासन को प्रेषित कर चुके हैं। वहीं 64 विद्यालयों को पुन: स्मरण पत्र भेजा गया है। यदि अविलंब संबंधित विद्यालयों ने डिमांड नहीं भेजा तो हजारों बच्चों का किताब-कापी व ड्रेस की सुविधा से वंचित होना तय है। 


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