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मीरजापुर जिले में जल्द उड़ान भरेगा रोप-वे, पर्यटक निहार सकेंगे विंध्य-गंगा का संगम

विंध्य पर्वत पर बना पूर्वांचल का पहला रोप-वे जल्द ही उड़ान भरेगा। रोप-वे प्राकृतिक सौंदर्य से पर्यटकों को आकर्षित करेगा तो लंगूरों बंदरों व पक्षियों का कलरव मन को सुकून देगा। एक साल से बनकर तैयार रोप-वे को उद्घाटन का इंतजार था।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Sun, 25 Jul 2021 08:34 PM (IST)Updated: Sun, 25 Jul 2021 08:34 PM (IST)
मीरजापुर जिले में जल्द उड़ान भरेगा रोप-वे, पर्यटक निहार सकेंगे विंध्य-गंगा का संगम
एक अगस्त को विंध्य कारिडोर के शिलान्यास के साथ रोप-वे का भी उद्घाटन होगा।

मीरजापुर [कमलेश्वर शरण]। विंध्य पर्वत पर बना पूर्वांचल का पहला रोप-वे जल्द ही उड़ान भरेगा। रोप-वे प्राकृतिक सौंदर्य से पर्यटकों को आकर्षित करेगा तो लंगूरों, बंदरों व पक्षियों का कलरव मन को सुकून देगा। एक साल से बनकर तैयार रोप-वे को उद्घाटन का इंतजार था। एक अगस्त को विंध्य कारिडोर के शिलान्यास के साथ रोप-वे का भी उद्घाटन होगा। उद्घाटन गृह मंत्री अमित शाह व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ करेंगे।

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मां विंध्यवासिनी धाम में वर्ष में दो बार शारदीय और चैत्र नवरात्र में मां के दर्शन-पूजन के लिए दूर-दूर से लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं। धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए अष्टभुजा पहाड़ी पर सरकार ने रोप-वे का निर्माण कराया है। उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग ने 16.50 करोड़ की लागत से रोप-वे का निर्माण पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) माडल पर दिल्ली की ग्लोरियस इंपेक्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी से कराया है। पिछले एक साल से उड़ान भरने का इंतजार कर रहा रोप-वे स्थानीय व बाहरी पर्यटकों को लुभाएगा। रोप-वे चालू होने से शारदीय नवरात्र में श्रद्धालु रोप-वे की सवारी कर सकेंगे। विंध्याचल पर्वत व पतित पावनी मां गंगा की संगम स्थली का अद्भुत दृश्य अभी तक दुनिया की नजरों से ओझल ही रहा। अभी तक ऊंचाई से संगम का यह दृश्य देख पाना असंभव था, लेकिन अब यहां आनेे वाले पर्यटक 260 फीट की ऊंचाई से इस संगम स्थली को निहार सकेंगे, जो अलग अनुभूति देने वाला होगा।

अष्टभुजा पहाड़ी का दिखेगा सौंदर्य

रोप-वे की उंचाई 260 फीट है और इस उंचाई से विंध्य-गंगा का संगम निहारना पर्यटकों के लिए नया होगा। अष्टभुजा पहाड़ी से संगम स्थली दिखती है, लेकिन वह भव्यता नहीं दिख पाती जो उंचाई से देखने को मिलेगी। इतना ही नहीं, अष्टभुजा पहाड़ी के मनोरम दृश्य का आनंद भी पर्यटक रोप-वे के माध्यम से उठा सकेंगे। पहाड़ी झरनों, गुफाओं, कंदराओं, आश्रम, पत्थर काटकर बनाई गई सीढिय़ां, घने जंगल व मंदिरों को ऊंचाई से देखना रोमांचित करने जैसा अनुभव देगा।

दस मिनट में पूरा होगा त्रिकोण

अष्टभुजा पहाड़ी पर मंदिर त्रिकोण पैदल पूरा करने में करीब एक घंटे का समय लगता है। कालीखोह मंदिर से उपर सीढिय़ों से चढऩे में ही 20 से 25 मिनट लग जाते हैं, लेकिन अब रोप-वे के माध्यम से यह दूरी मात्र दस मिनट में सिमट जाएगी। ऐसे में बुजुर्ग दर्शनार्थियों को काफी राहत मिलेगी और पैदल चलने की बजाय वे रोप-वे के माध्यम से त्रिकोण पूरा कर पाएंगे। कालीखोह दर्शन के बाद रोप-वे से अष्टभुजा मंदिर, फिर वहां से नीचे वाहन पार्किंग तक आना-जाना आसान होगा।

मातृशक्ति को मिलेगा सम्मान

सब कुछ ठीक रहा तो रोप-वे संचालन से लेकर टिकट वितरण तक का कामकाज महिलाओं के हाथ में होगा। इसके पीछे यही मंशा है कि रोप-वे के माध्यम से मातृशक्ति को सम्मानित किया जाएगा। यहां आने वाले श्रद्धालुओं में पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं की संख्या ज्यादा होती है और महिलाओं के संचालन से बेहतर सुविधा दी जा सकेगी। रोप-वे संचालन शुरू होना पर्यटन के लिए बहुत अच्छी उपलब्धि होगी।

बोले अधिकारी : विंध्य कारिडोर के शिलान्यास के साथ रोप-वे का भी उद्घाटन होगा। रोप-वे चालू होने से दर्शनार्थियों को काफी सहूलियत होगी। सीढ़ी चढ़कर नहीं जाना होगा। पर्यटन विभाग को बढ़ावा मिलेगा ही, साथ ही विभाग को भी लाभ होगा। - योगेश्वरराम मिश्र, आयुक्त, विंध्याचल मंडल।


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