कभी बभनियांव से बहती थी गंगा की धारा, बीएचयू और पुरातत्व विभाग की टीम ने की खोज
बीएचयू व पुरातत्व विभाग के एक सर्वे में वाराणसी के बभनियांव गांव में चार हजार साल प्राचीन शिल्प ग्राम का पता चला है।
वाराणसी, जेएनएन। बीएचयू व पुरातत्व विभाग के एक सर्वे में वाराणसी के बभनियांव गांव में चार हजार साल प्राचीन शिल्प ग्राम का पता चला है। प्रारंभिक सर्वे में यहां पांचवीं से आठवीं शताब्दी के बीच का एक मंदिर, चार हजार साल पुराने मिट्टी के बर्तन व दो हजार साल पुरानी दीवारें मिली हैं। यह गांव वाराणसी से महज 13 किलोमीटर दूर है। उत्खनन टीम की मानें तो यहां मिली सभ्यता काशी की तरह ही सांस्कृतिक और धार्मिक रूप से बेहद समृद्ध थी और यहां उस समय गंगा या उसकी एक धारा भी बहती थी।
पूर्व अध्यापक की मृत्यु की वजह से उत्खनन टला : सर्वे के बाद रविवार को खनन होना था लेकिन, शनिवार की रात बीएचयू के प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति व पुरातत्व विभाग के पूर्व अध्यापक प्रो.पुरुषोत्तम सिंह का देहांत हो जाने की वजह से इसे टाल दिया गया। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों का एक दल यहां बुधवार से उत्खनन शुरू करेगा।
संयुक्त सर्वे में चला था पता
बीएचयू के प्राचीन इतिहास, संस्कृति व पुरातत्व विभाग और एएसआइ के संयुक्त सर्वे में करीब एक सप्ताह पूर्व पंचकोसी मार्ग पर बभनियांव गांव में टीले का पता चला था। जिसका राजफाश टीम ने बाद में किया।
एक कारखाने का भी पता चला
यह गांव सांस्कृतिक, आर्थिक व सामाजिक तौर पर बहुत उन्नत था। गांव में 1500 ईसा पूर्व के शिवलिंग के अवशेष मिले हैं। चुनार के पत्थरों को पानी के रास्ते गांव में लाकर कारखाने में शिवलिंग का आकार दिया गया है। इससे यह स्पष्ट होता है कि यह गांव धार्मिक व आर्थिक रूप से काफी विकसित था।
मिला है कुषाण कालीन अभिलेख
यहां एक कुषाण कालीन अभिलेख भी मिला है, जिस पर ब्राह्मी लिपि में गांव का नाम उकेरा गया है। यह अक्षर अभी पूर्ण रूप से नहीं पढ़े जा सके हैं, क्योंकि पत्थर का एक हिस्सा टूट कर कहीं दबा हुआ है। इसकी खोज भी की जाएगी। अभिलेख में गांव के विकास व उसके पदस्थापना का भी उल्लेख है।
कई पक्षों की होगी जांच
शिल्पग्राम को लेकर बीएचयू का दल एक सप्ताह पहले मुझसे मिला था। उन्होंने कहा कि यदि प्राचीन सभ्यता के सुबूत मिलते हैं तो यहां पर एक संग्रहालय का विकास किया जाएगा।
-जयनारायण सिंह, जहां शिल्पग्राम मिला उस खेत के मालिक
पहले गंगा या उसकी एक धारा बभनियांव गांव से बहती थी, जिस कारण यहां सभ्यता का विकास हुआ। दरअसल काशी का यह दक्षिणी हिस्सा था, जिसका अब तक पता नहीं चल पाया था।
-प्रो. ओंकारनाथ सिंह, बीएचयू, उत्खनन दल के निदेशक
यहां पर दो लाइन का एक कुषाण कालीन अभिलेख भी मिला है, जिस पर प्राकृत भाषा में ब्राह्मी लिपि से गांव का नाम उकेरा गया है। इसे अभी पूरा पढ़ा नहीं जा सका है क्योंकि यह टूटा हुआ है।
-प्रो.अशोक कुमार सिंह, सर्वेक्षण दल के सदस्य