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Right-to- Education : साफ्टवेयर के पेच में फंसी शुल्क प्रतिपूर्ति, वाराणसी में मानकों की हुई अनदेखी

राइट-टू-एजुकेशन (आरटीई) के तहत वर्तमान सत्र में जनपद के 1074 निजी विद्यालयों में 8655 बच्चों का मुफ्त दाखिला हुआ है। दस हजार से अधिक बच्चे पहले से ही निजी विद्यालयों में मुफ्त पढ़ रहे हैं। वहीं तमाम बच्चों की शुल्क प्रतिपूर्ति अब तक निजी विद्यालयों को नहीं मिल सकी है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Fri, 01 Oct 2021 08:52 PM (IST)Updated: Fri, 01 Oct 2021 08:52 PM (IST)
आरटीई के तहत वर्तमान सत्र में जनपद के 1074 निजी विद्यालयों में 8655 बच्चों का मुफ्त दाखिला हुआ है।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। राइट-टू-एजुकेशन (आरटीई) के तहत वर्तमान सत्र में जनपद के 1074 निजी विद्यालयों में 8655 बच्चों का मुफ्त दाखिला हुआ है। दस हजार से अधिक बच्चे पहले से ही निजी विद्यालयों में मुफ्त पढ़ रहे हैं। वहीं तमाम बच्चों की शुल्क प्रतिपूर्ति अब तक निजी विद्यालयों को नहीं मिल सकी है। इसके पीछे साफ्टवेयर का पेच बताया जा रहा है। इससे काफी दिक्‍कतों का सामना करना पड रहा है।

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राइट-टू-एजुकेशन के तहत तीन से चार वर्ष की उम्र के बच्चों का नर्सरी में दाखिला लेने का प्रावधान है। इसी प्रकार चार से पांच में एलकेजी, पांच से छह वर्ष में यूकेजी तथा छह से सात वर्ष की उम्र के बच्चों का कक्षा एक में दाखिला कराने का नियम है। वहीं दूसरी ओर तमाम अभिभावकों ने उम्र के मानकों की अनदेखी करते हुए मुफ्त दाखिले के लिए आनलाइन आवेदन कर दिया। साफ्टवेयर में ऐसे आवेदन को निरस्त करने की कोई व्यवस्था न होने के कारण ऐसे तमाम बच्चों का मुफ्त दाखिले के लिए चयन भी हो गया। अब आरटीई के मानक के अनुरूप बच्चों का दाखिला न लेने के कारण आनलाइन शुल्क प्रतिपूर्ति का दावा भी स्वत: खारिज हो जा रहा है। ऐसे में एक-दो नहीं हजारों बच्चे हैं। सामुदायिक शिक्षा के जिला समन्वयक विमल कुमार केशरी ने बताया कि इस संबंध में शासन से पत्राचार किया जा रहा है ताकि मुफ्त पढ़ रहे बच्चों की शुल्क प्रतिपूर्ति संबंधित विद्यालयों को मिल सके। इसके अलावा इस तरह का साफ्टवेयर भी विकसित करने का सुझाव दिया गया जो मानक के अनुसार उम्र होने पर ही संबंधित कक्षा में बच्चे का प्रवेश हो सके।

अधिकतम 450 रुपये प्रतिमाह प्रतिपूर्ति

आरटीई के तहत निजी विद्यालयों को प्रति बच्चा अधिकतम 450 रुपये प्रतिमाह की दर से शुल्क प्रतिपूॢत का भी प्रावधान है। इसके बावजूद बजट के अभाव में सैकड़ों निजी विद्यालयों को अब तक शुल्क प्रतिपूर्ति नहीं मिल रही है।


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