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11 अगस्त 1942 की क्रांति : ब्रिटिश हुकूमत के अत्याचार के विरुद्ध खौल उठा आंदोलनकारियों का लहू

1942 की अगस्त क्रांति में आंदोलन का एक-एक दिन बीतने के साथ ही इस बागी भूमि पर अंग्रेजों के विरुद्ध जनाक्रोश बढ़ता गया।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Sat, 10 Aug 2019 07:39 PM (IST)Updated: Sun, 11 Aug 2019 05:51 PM (IST)
11 अगस्त 1942 की क्रांति : ब्रिटिश हुकूमत के अत्याचार के विरुद्ध खौल उठा आंदोलनकारियों का लहू

बलिया [रंजना सिंह]। 1942 की अगस्त क्रांति में आंदोलन का एक-एक दिन बीतने के साथ ही इस बागी भूमि पर अंग्रेजों के विरुद्ध जनाक्रोश बढ़ता गया। ब्रिटिश हुकूमत के अत्याचार से तंग बलियावासियों के खून में उबाल आने लगा और यहां क्रांति की ज्वाला चरम पर पहुंच गई। अंग्रेजों के विरुद्ध जगह-जगह सभाएं आयोजित कर गांधी जी के वचन व बलिया की शान रखने के लिए रणनीतियां तैयार की जाने लगी।

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11 अगस्त 1942 को नगर के विद्यालय से निकलकर विद्यार्थियों ने एक जुलूस निकाला जो नगर की परिक्रमा करते हुए शहीद पार्क चौक पहुंचकर सभा के रूप में तब्दील हो गया। इस सभा में काफी संख्या में नागरिकों व छात्रों ने भाग लिया। उस समय सभा में मौजूद जनसमूह को संबोधित करते हुए तत्कालीन जिला कांग्रेस कमेटी के मंत्री व आजादी के क्रांतिवीर रामअनंत पांडेय ने अपने पौने दो घंटे के भाषण में कहा कि अहिंसात्मक रहते हुए सभी कार्य करने हैं। श्री पांडेय ने जिससे यातायात भंग, प्रशासन ठप हो, जिले के समस्त प्रशासनिक केंद्रों पर जनता का अधिकार हो, कचहरियों का पूर्ण बहिष्कार हो आदि भारत छोड़ो आंदोलन के उद्देश्यों व कार्यक्रमों से जनता को अवगत कराया और कहा कि हम तब तक चैन नहीं लेंगे जब तक कि अंग्रेजी हुकूमत को नष्ट न कर दें। उन्होंने क्रांति को सफल बनाने के लिए बाजार में पूर्णरूपेण बंदी का आह्वान किया। सभा के चारो तरफ पुलिस खड़ी थी। सभा समाप्त होने पर चौक से यह जनसमूह कचहरी बंद कराने के लिए चल पड़ा व कचहरी बंद कराके ही दम लिया।

जिला कांग्रेस कमेटी के प्रधान मंत्री श्री पांडेय तत्कालीन प्रशासन द्वारा इसी दिन दोपहर तीन बजे गिरफ्तार कर लिए गए। 11 अगस्त को ही रानीगंज व बैरिया में भारत रक्षा कानून अंतर्गत काली प्रसाद, रामदयाल सिंह तथा मदन सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया। इसके खिलाफ रानीगंज बाजार में हड़ताल कर क्रांतिकारियों ने एक जुलूस निकाला तथा ऐसी गिरफ्तारियों का विरोध किया। साथ ही जगह-जगह विरोध सभाएं आयोजित की गईं। सिवानकला के राधाकृष्ण प्रसाद को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। इससे आक्रोशित आंदोलनकारियों में क्रांति की लहर और बढ़ गई। इसका असर बलिया नगर तक ही नहीं गांव-गांव तक दिखने लगा। 11 अगस्त को ही सिकंदरपुर के थानेदार द्वारा खेजुरी मंडल कांग्रेस की तालाशी लेकर कागजात जब्त करने के बाद ताला लगा दिया गया। परणिामत: आंदोलन और उग्र रूप धारण कर लिया। विरोध स्वरूप जनपद के रानीगंज, बिल्थरारोड तथा खेजुरी आदि क्षेत्रों में जुलूस निकाले गए।

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