संयम पर रहेगा जोर तो बंधी रहेगी सांसों की डोर
वाराणसी : कोई बीमारी न होते हुए भी यदि थोड़ा सा भी चलने पर सांस फूलने लगे या सीढ़ी चढ
वाराणसी : कोई बीमारी न होते हुए भी यदि थोड़ा सा भी चलने पर सांस फूलने लगे या सीढ़ी चढ़ने पर सांस तेज हो जाए तो समझ लीजिए कि आप सांस रोग के मरीज बनने की राह पर हैं। एसी में कई घंटे लगातार बैठने व सोने से सांस के मरीज बन सकते हैं, क्योंकि एसी की हवा से श्वांस नलियां सिकुड़ने लगती हैं। यह निष्कर्ष है चौकाघाट स्थित राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय एवं चिकित्सालय के वैद्य अजय कुमार गुप्ता का। उनका कहना है सांस रोग में फेफड़े की छोटी-छोटी पेशियों में संकुचन उत्पन्न हो जाता है। इसमें रोगी पूरी सांस खींचे बिना ही सांस छोड़ने पर विवश हो जाता है और वह घुटन महसूस करने लगता है। वहीं एसी की हवा से फेफड़े की नलिया सूख जाती हैं और ऑक्सीजन की कमी हो जाती है।
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श्वांस रोग का आ गया मौसम
सांस रोग का सबसे अधिक प्रकोप गर्मी का मौसम शुरू होने पर ही होता है। इस समय धूल भरी हवाएं चलने लगती हैं। चारों तरफ पेड़-पौधों के पत्ते टूटकर उड़ते रहते हैं। वहीं मनुष्य के शरीर में परिवर्तन होने लगता है। कफ पिघलने के साथ वात का संचय होने लगता है, जिससे सांस की नली में अवरोध होने लगता है।
श्वांस रोग के लक्षण
1- सांस लेने में कठिनाई महसूस करना।
2- कफ व बलगम की अधिकता होना।
3- छाती में जकड़न महसूस करना।
4- सांस लेने पर खरखराहट की आवाज।
5- कम मेहनत में ही सांस फूलना।
6-बैठने पर आराम,सोने पर हालत खराब ऐसे करें बचाव
1- तुलसी, अदरक और मरीच का काढ़ा बनाकर सुबह शाम पीना चाहिए ।
2- सोंठ को गाय के दूध में पकाकर सुबह-शाम पीने से बहुत फायदा होता है।
3- सरसों आदि उष्ण प्रकृति के तेलों से सीने पर मालिश करने से आराम।
4- व्यायाम करने और टहलने का कार्यक्रम सूर्य निकलने से पहले बनाएं।
5- जब भी धूल भरी हवा चले और बाहर जाना जरूरी हो तो मास्क लगाएं।
6- एयरकंडीशन के अधिक इस्तेमाल से बचें।
7- भोजन में अत्यधिक मिर्च-मसाले के प्रयोग से बचें।