दैनिक जागरण संस्कारशाला में मिला ज्ञान - 'आदर, सम्मान व सेवा-सत्कार से बढ़ता है मानव का कद'
जिस पेड़ में जितना अधिक फल लगता है वह उतना ही झुकता है। इसी प्रकार जो व्यक्ति जितना महान होता है वह उतना ही विनम्र व सरल होता है।
वाराणसी, जेएनएन। जिस पेड़ में जितना अधिक फल लगता है वह उतना ही झुकता है। इसी प्रकार जो व्यक्ति जितना महान होता है वह उतना ही विनम्र व सरल होता है। इससे इतर अज्ञानी व मूर्ख मानव के भीतर ही अहंकार और घमंड होता है। बड़ों का आदर, सम्मान और सेवा-सत्कार से ही मानव का कद बढ़ता है। ऐसे में हमें हर व्यक्ति को यथोचित सम्मान देने की जरूरत है। इससे हम छोटे नहीं बल्कि समाज के नजरों में बड़े हो जाते हैं। इसी प्रकार लोगों का सहयोग और परोपकार करना भी मानव का परम कर्तव्य है।
'दैनिक जागरण संस्कारशाला' के तहत श्री आदित्य नारायण सिंह पब्लिक स्कूल (चोलापुर) में आयोजित 'साझेदारी व सेवा की कद्र' विषयक कार्यशाला के दौरान शिक्षकों ने कहा कि हमारी संस्कृति में मानव की सेवा भगवान सेवा से जोड़ कर देखा जाता है। असहाय, गरीब, दु:खी, जरूरतमंदों की मदद करना, सेवा करना ही सच्ची समाज सेवा है। वर्तमान में हर कोई समय की कमी का हवाला देता रहता है। वहीं दूसरी ओर दुनिया स्मार्ट फोन में भी घंटो उलझी रहती है। सोशल मीडिया ने युवाओं को मुख्य धारा से अलग कर दिया है। आवश्यकतानुसार ही हमें फोन का उपयोग करना चाहिए।
समाजसेवा का मुख्य उद्देश्य व्यक्तियों, समूहों व समुदायों का अधिकतम हित करना होता है। यह कार्य हम अकेले भी कर सकते हैं। यदि हम समूह में कोई कार्य करते हैं तो अधिक प्रभावी होता है। इससे कार्य करने की क्षमता में और वृद्धि होती है। समूह बनाकर हम अधिक से अधिक लोगों के हितों का संरक्षण कर सकते हैं। समाजसेवा करने वालों का कद्र करना हमारा परम कर्तव्य है। -संतोष कुमार सिंह, प्रधानाचार्य
समाज सेवा व्यैक्तिक आधार पर समूह अथवा समुदाय में लोगों की सहायता करने की एक प्रक्रिया है जिसमें व्यक्ति अपनी सहायता स्वयं कर सके। इसके माध्यम से सेवार्थी वर्तमान सामाजिक परिस्थितियों में उत्पन्न अपनी कतिपय समस्याओं को सुलझाने में समक्ष होता है। यह कभी भी व्यवसायिक नहीं होता बल्कि समाज में सकारात्मक संदेश देने का काम करता है। - उमा खत्री , अध्यापिका
माता-पिता की सेवा करना, उनका सम्मान करना, बड़ों का आदर करना हर व्यक्ति का धर्म है। इसी प्रकार गुरु का सम्मान करना भी हमारा दायित्व है। -धवल सिंह, कक्षा-11
आदर का भाव मन से विकसित करना जरूरी है। यह तभी संभव है जब हमारा संस्कार हमारे परिवेश में शामिल है। संस्कारशाला की कहानियां हमें प्रेरित करने के लिए कारगर साबित हो रही हैं। - जागृति विश्वकर्मा, कक्षा-11
संस्कार के बिना मनुष्य पशु के समान है। ऐसे में हमें अपने आचारण को बेहतर बनाने की जरूरत है। जरूरतमंदों की सेवा करना मानव का परम कर्तव्य है। - सौरभ यादव, कक्षा-11
जागरण संस्कारशाला के तहत आज विद्यालय में साझेदारी व सेवा की कद्र नामक कहानी सुनाई गई। काफी अच्छा लगा। कहानी के अनुरूप अपने को ढालने का प्रयास करूंगी। -सरिता सिंह, कक्षा-11