रमजानुल मुबारक में याद आई 'उस्ताद' बिस्मिल्लाह की अदा, परिजनों ने जारी रखी रवायत
वाराणसी रमजानुल मुबारक के पहले बुधवार को शहनाई के शहंशाह भारतरत्न स्व. उस्ताद बिस्मिल्लाह खान के सराय हड़हा स्थित आवास पर रोजेदारों की जुटान हुई।
वाराणसी, जेएनएन। रमजानुल मुबारक के पहले बुधवार को शहनाई के शहंशाह भारतरत्न स्व. उस्ताद बिस्मिल्लाह खां के सराय हड़हा स्थित आवास पर रोजेदारों की जुटान हुई। इफ्तार के बाद लोगों ने मगरिब की नमाज अदा की और मजलिस में शामिल हुए। सराय हड़हा स्थित आवास के दरो-दीवार की रंगत उस्ताद की जवा दिली के किस्से बयां कर रहे थे। हर जुबान पर उस्ताद की अदा के किस्से तारी थे। इफ्तार करने पहुंचे रोजेदारों को बरबस ही उस्ताद की हर वो अदा याद आ गई, जिसका दीवाना अहले बनारस था।
मौका था उस्ताद के आवास पर आयोजित सामूहिक रोजा इफ्तार का, जिसका आयोजन उस्ताद के बेटे काजिम हुसैन व यश भारती से अलंकृत नाजिम हुसैन ने किया था। शिया जामा मस्जिद के प्रवक्ता सैयद फरमान हैदर बताते हैं कि लगभग 71 वर्ष पहले खां साहब के पिता ने इस इफ्तार पार्टी की शुरुआत की थी। अपनी जिंदगी में खां साहब ने कभी भी इस परंपरा को टूटने नहीं दिया। रोजेदारों के लिए वे अपने हाथों से दस्तरख्वान सजाते थे। उन्हीं के नक्शे कदम पर चलते हुए उनके बेटे व नाती-पोते भी रमजान के पहले बुधवार को सामूहिक रोजा इफ्तार की रवायत पूरे उत्साह के साथ निभाते आ रहे हैं।
इसमें मुस्लिम के अलावा हिंदू भी पूरी शिद्दत से भाग लेते हैं। इफ्तार के बाद मजलिस का भी आयोजन हुआ, जिसे मौलाना सैयद मोहम्मद अकील हुसैनी ने खेताब किया। वहीं अंजुमन हैदरी चौक ने नौहा मातम किया। स्वागत मो. सिब्तैन हसन (सिप्पू) ने किया। इस अवसर पर मुनाजिर हुसैन मंजू, रियाज जाफर, नासिर अब्बास, आफाक हैदर, हादी हसन, नजमुल हुसैन आदि थे।
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