Good News : 23 डिग्री सेल्सियस पर मरे आधे coronavirus, महामारी से पूर्व भविष्यवाणी संभव
बीएचयू व आइसीएमआर के जीन वैज्ञानिकों ने लैब में शून्य से लेकर 29 डिग्री सेल्सियस तक कोविड-19 की हरकत का जायजा लिया।
वाराणसी [हिमांशु अस्थाना] । विश्व का कोना-कोना कोरोना वायरस से भयभीत है लेकिन, भारत में तेजी से बढ़ रहा तापमान राहत की खबर लेकर आने वाला है। बीएचयू के जीन वैज्ञानिक प्रो.ज्ञानेश्वर चौबे और दिल्ली स्थित आइसीएमआर (इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च) के डॉ.प्रमोद कुमार ने अपने लैब में शोध से यह निष्कर्ष निकाला है। जीन वैज्ञानिकों ने लैब में शून्य से लेकर 29 डिग्री सेल्सियस तक कोविड-19 की हरकत का जायजा लिया। उन्होंने पाया कि शून्य से 23 डिग्री सेल्सियस तक आते-आते कोविड-19 वायरस की संख्या आधी हो गई थी।
प्रो.चौबे के मुताबिक यह शोध जनता और प्रशासन को राहत देने वाला है। गंगा के मैदानी इलाके में तापमान अधिकतम 30 डिग्री तक पहुंच चुका है, जिससे आधी समस्या समाप्त हो गई है लेकिन, सतर्कता जरूरी है। तापमान के आधार पर कोरोना वायरस के वजूद का गणितीय आकलन किया जा सकता है। वैज्ञानिकों का दावा है कि तूफान, चक्रवात, बाढ़ और मौसम के दौरान जान बचाने व राहत को लेकर जैसे देश में भविष्यवाणी की जाती है, उसी तरह कोरोना को लेकर महामारी की आशंका से पूर्व सटीक भविष्यवाणी की जा सकती है।
खास लैब में विश्लेषण
प्रो.ज्ञानेश्वर चौबे के मुताबिक बीजिंग द्वारा निर्धारित वायरस के आरएनए सीक्वेसिंग को आर प्रोग्रामिंग की सहायता से तापमान के साथ महामारी का कंप्यूटर सिमुलेशन किया जाता है, जिसकी रिपोर्ट डॉ. प्रमोद को भेजी जाती है। यहां एक खास प्रकार की बीएसएल-4 लैब में विभिन्न तापमान पर वायरस की हरकतें नोट कर उन्हें कंप्यूटर सिमुलेशन के आंकड़े से मेल कराया जाता है। जब दोनों आंकड़े 99.99 फीसद मिल जाते हैं तो कोरोना के घटते स्तर की पुष्टि हो जाती है।
20 दिनों में मिली सफलता
डॉ.प्रमोद कुमार ने बताया कि इस शोध में प्रो.चौबे के साथ वह पिछले 20 दिनों से लगे थे। अपने शोध में उन्होंने यह भी पाया कि आठ डिग्री सेल्सियस तापमान कोविड-19 के पनपने की सबसे आदर्श स्थिति है। इस खोज के आधार पर दोनों जीन वैज्ञानिकों को हॉर्वर्ड, कैंब्रिज और ऑक्सफोर्ड सरीखे वैश्विक संस्थानों के वैज्ञानिकों की कंसोर्टियम में भी शामिल किया गया है।