अच्छी ग्रेडिंग दिलाने के नाम पर लाखों की वसूली, देशभर में फैलाया अपना नेटवर्क
राष्ट्रीय मूल्यांकन व प्रत्यायन परिषद (नैक) ने ग्रेडिंग का मानक अब बदल दिया है। नए मानक में 70 फीसद अंक ऑनलाइन मूल्यांकन व विद्यार्थियों के फीड बैक पर कर दिया गया है।
वाराणसी, [अजय कृष्ण श्रीवास्तव]।राष्ट्रीय मूल्यांकन व प्रत्यायन परिषद (नैक) ने ग्रेडिंग का मानक अब बदल दिया है। नए मानक में 70 फीसद अंक ऑनलाइन मूल्यांकन व विद्यार्थियों के फीड बैक पर कर दिया गया है। भौतिक सत्यापन पर अब महज 30 फीसद अंक निर्धारित है। इसके चलते हाल में ही मूल्यांकन कराने वाले सूबे के ज्यादातर उच्च शैक्षिक संस्थानों को झटका लगा है। जनपद में यूपी कालेज को 'बी' ग्रेड तो महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ को 'सी' ग्रेड पर संतोष करना पड़ा। उच्च शैक्षिक संस्थानों को मिल रही खराब ग्रेडिंग का फायदा उठाने को अब निजी एजेंसियों ने दस्तक देनी शुरू कर दी है। अच्छी ग्रेडिंग दिलाने का झांसा देकर एजेंसियां महाविद्यालयों को अपने जाल में फंसा रही हैं और उनसे लाखों रुपये वसूल रही हैं। इस प्रकार ग्रेडिंग के नाम पर पूरे देश में जालसाजी का धंधा शुरू हो गया है।
जनपद के कई महाविद्यालय इन एजेंसियों के संपर्क में भी हैं। कुछ महाविद्यालयों ने एसएसआर (सेल्फ स्टडी रिपोर्ट) तैयार करने सहित ऑनलाइन सभी रिपोर्ट तैयार कराने के लिए पचास हजार से लेकर एक लाख रुपये में समझौता भी कर लिया है। हालांकि इस मुद्दे पर महाविद्यालय खुलकर कुछ बताने के लिए तैयार नहीं हैं लेकिन यह स्वीकार किया है कि 'ए' ग्रेडिंग बरकरार रखने के लिए बेंगलुरू की निजी एजेंसी से एसएसआर रिपोर्ट तैयार करवाई गई है।
निजी एजेंसी सिर्फ वाराणसी या सूबे में ही नहीं अपितु देश में नेटवर्क फैला चुकी है। इसे देखते हुए नैक को अब सामने आना पड़ा है। इस संबंध में नैक ने परिपत्र जारी कर उच्च शैक्षिक संस्थाओं से ऐसे संगठनों व एजेंसियों से सावधान रहने की सलाह दी है। कहा कि कुछ संगठन व एजेंसियां कार्यशाला आयोजित करने का झूठा व भ्रामक विज्ञापन जारी कर रही हैं। साथ ही एसएसआर रिपोर्ट तैयार करवाने का दावा भी कर रही हैं। इसके एवज में अच्छी-खासी रकम भी वसूल रहीं हैं। ऐसी एजेंसियों से सतर्क रहने की जरूरत है। नैक की प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी व उद्देश्यपूर्ण है।
'' करीब डेढ़ वर्ष से नैक से अच्छी ग्रेडिंग दिलाने के नाम पर साउथ की कुछ निजी एजेंसियां दलाली कर रही हैं। एक महाविद्यालय के प्रबंधक के माध्यम से एजेंसी का एक सदस्य करीब डेढ़ वर्ष पहले विद्यापीठ के तत्कालीन कुलपति डा. पृथ्वीश नाग से भी मिला था लेकिन हम लोगों ने उसे महत्व नहीं दिया और भगा दिया। संभावना जताई जा रही है कि अब यह एजेंसी कुछ महाविद्यालयों से सीधे संपर्क में है। कुछ महाविद्यालय एजेंसी के झांसे में आ भी सकते हैं।
-प्रो. कृपा शंकर जायसवाल,
आइक्यूएसी, काशी विद्यापीठ के समन्वयक ।
एक अप्रैल तक देश में शैक्षिक संस्थाओं की मिली ग्रेडिंग इस प्रकार है।
संस्था 'ए' 'ब' 'सी' योग
विवि 207 132 11 350
कालेज 1673 5298 895 7855
योग 1880 5430 895 8205
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