असि नदी संरक्षण की कवायद : घर में पड़े हुए हैं दाने मगर अम्मा नहीं जाना चाह रही भुनाने
वाराणसी के नाम में शामिल वरुणा और असि नदी पुराणों में भी जीवंत हैं मगर उपेक्षा का आलम यह है कि इनके जीर्णोद्धार के लिए धन मौजूद है मगर काम नहीं हो रहा।
वाराणसी [कृष्ण बहादुर रावत] । केंंद्र सरकार एक ओर गंगा और उसकी सहायक नदियों को निर्मल और अविरल रखने के लिए कई तरह के प्रयत्न और जतन कर रही है, दूसरी ओर लालफीताशाही उस पर लगाम कसी हुई है। वाराणसी के नाम में शामिल वरुणा और असि नदी पुराणों में भी जीवंत हैं मगर इनकी उपेक्षा का आलम यह है कि इनके जीर्णोद्धार के लिए धन मौजूद है मगर काम नहीं हो रहा।
दरअसल पुराणों में उल्लेख वाली असि नदी के पुनरोद्धार के लिए भारत सरकार के जल एवं नदी संरक्षण मंत्रालय ने नमामि गंगे के द्वारा 4 करोड़ 13 लाख 88 हजार का प्रस्ताव पारित किया था। 30 सितंबर 2018 को आरटीआइ के जवाब में कहा गया कि इस कार्य को करने के लिए इंटैक को चुना गया। उसे यह कार्य अप्रैल 2019 तक पूरा करना है। मगर धरातल पर कार्य 25 अक्टूबर 2018 तक शुरू भी नहीं हुआ है।
कार्य : असी नदी का जीणोद्धार
नदी के तलहटी पर 15 जगहों पर 150 कोको पिट
एक पिट की कीमत-2200 रुपये
कुल-3 लाख 30 हजार
हैसियन बैग-800 रुपये प्रति
डाले जाएंगे 250-2 लाख
ढलाई-1 लाख 44 हजार
चैंबर- नौ लाख में
रसायन-1 लाख 44 हजार
डोजिंग बैक्टीरिया-3 करोड़ चार लाख
कूडा हटाने पर-15 लाख 60 हजार
तैरते कूड़े के हटाने पर - 6 लाख
जल परीक्षण पर- 3 लाख 60 हजार
जागरूकता पर-पांच लाख
ऊपरी खर्च- 18 लाख
इंटेक का चार्ज -36 लाख
अभी उनको पैसा नहीं मिला है : कार्य करने वाली संस्था को अभी पैसा नहीं मिला है। यह व्यवस्था वैकिल्पक है एक वर्ष के लिए। -अशोक कपूर, संयोजक इंटैक, वाराणसी।