बलिया में गंवई राजनीति की भेंट चढ़ रहा प्रवासियों का राशन किट, शासन के निर्देशों का हो रहा उल्लंघन
बलिया में गंवई राजनीति की भेंट चढ़ रहा प्रवासियों का राशन किट शासन के निर्देशों का उल्लंघन हो रहा है।
बलिया, जेएनएन। कोरोना के कारण उपजे हालात से सभी परेशान हैं। कमजोर वर्गों की माली हालत को देखते हुए सरकार राहत सामग्री का वितरण करा रही है। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर जरूरतमंदों में राशन किट बांटा जा रहा है। जिसमें एक परिवार के किचन के लिए दो हफ्ते की पूरी सामग्री है। पर अफसोस शासन की यह व्यवस्था भी गंवई राजनीति की भेंट चढ़ गई है। निर्देशों को ताख पर रख कर स्थानीय प्रतिनिधि वोट की राजनीति कर रहे हैं लिहाजा राहत का खुराक जरुरतमंदों तक नहीं पहुंच पा रहा है।
दो हफ्ते की पूरी सामग्री में चावल, दाल, आटा के साथ धनिया, मिर्च, हल्दी, नमक व तेल तक की व्यवस्था की गई है। राजस्व विभाग के अनुसार एक किट में 10 किग्रा चावल एवं आटा, दो किग्रा अरहर की दाल, पांच किग्रा आलू, एक लीटर रिफाइंड, 250-250 ग्राम धनिया, हल्दी और मिर्च व एक किग्रा नमक के अलावा दो किलो चना दिया जा रहा है।
पर अफसोस शासन की यह व्यवस्था भी गंवई राजनीति की भेंट चढ़ गई है। निर्देशों को ताख पर रख कर स्थानीय प्रतिनिधि वोट की राजनीति कर रहे हैं लिहाजा राहत का खुराक जरुरतमंदों तक नहीं पहुंच पा रहा है। पिछले दिनों क्षेत्र के भरखरा, अपायल एवं सुखपुरा में राहत किट का वितरण सांसद रवींद्र कुशवाहा के हाथों किया गया। इस दौरान भी तमाम तरह की खामियां नजर आईं। बात यदि आंकड़ों की करें तो लॉकडाउन के दौरान सुखपुरा में लगभग 300 प्रवासी मजदूर गैर प्रांतों से आये हैं। जबकि मात्र 130 लोगों को ही राहत किट प्रदान किया गया। इन 130 लोगों में भी कई अपात्र भी राहत किट पाने में सफल रहे। जबकि सरकार का निर्देश पहली मई के बाद घर वापसी किये ऐसे लोगों का लाभांवित करना है जो होम क्वांटाइन में रहे हों। लेकिन कई ऐसे लोगों को राहत किट दिया गया जो प्रवासी थे ही नहीं। यही नहीं सूची में एक ही परिवार के पिता व पुत्र को शामिल कर उन्हें लाभांवित किया गया। इससे वास्तविक पात्र प्रवासी राहत किट पाने से वंचित रह गये।
सूची को लेकर उठ रहे सवाल
ऐसे में प्रवासियों की सूची सवालों में घेरे में आ गई है। पात्रों को दरकिनार कर अपात्रों को लाभ पहुंचाने से लोगों में काफी रोष भी है। उधर प्रधान प्रतिनिधि आनंद सिह पिंटू ने बताया कि निगरानी समिति द्वारा आशा कार्यकर्ता को सूची बनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई थीं लेकिन समय से सूची उपलब्ध न होने के कारण लेखपाल की सूची के आधार राहत किट वितरित किया गया। उधर रविवार को बेरुआरबारी ब्लाक के खड़ैला गांव में राहत किट वितरण के दौरान सूची को लेकर ग्रामीणों ने जमकर बवाल काटा था। इस दौरान राजस्व कर्मी काफी असहज भी हो गये थे और अंतत: वितरण रोक दिया गया था।
इनकी भी सुनें
सांसद रवींद्र कुशवाहा के हाथों राहत पाने से वंचित रह गये राहुल कुमार भरूच से 22 मई को वापस घर आए थे। बताया कि आर्थिक तंगी के बाद भी राहत किट नहीं मिली। वहीं टिंकू कुमार, विश्वकर्मा भारती, पवन कुमार भी गुजरात से 22 मई को घर आये थे लेकिन उन्हें भी शासन के सहयोग से वंचित रखा गया। इसके अलावा राशन किट न पाने वालों में धनराज भारती, परमात्मा कुमार, सुशील कुमार, प्रमोद कुमार, पवन कुमार, शत्रुघ्न, रामजी, भुवाल, शंकर गोंड, विशाल राजभर लॉकडाउन के दौरान गैर प्रांत से घर आये हैं। इन प्रवासी मजदूरों ने बताया हमारी खबर लेने कोई नहीं आया और नहीं ही राहत किट वितरण की बात ही बताई गई। ऐसी ही स्थिति भरखरा गांव की भी है जहां अपात्रों को ही राहत सामग्री प्रदान कर दिया गया।
प्रवासी मजदूरों से उनके आवश्यक कागजात मांगे जा रहे हैं
प्रधान प्रतिनिधि आनंद सिंह पिंटू ने बताया कि शेष प्रवासी मजदूरों से उनके आवश्यक कागजात मांगे जा रहे हैं। जिसे तहसील मुख्यालय भेजकर उन्हें भी राहत सामग्री प्रदान कराने का प्रयास किया जाएगा। वहीं तहसीलदार बांसडीह गुलाबचंद ने बताया कि राहत किट वितरण में जो भी अनियमितता हुई है उसकी शिकायत मिलने पर जांच की जाएगी और दोषियों के विरूद्ध कार्रवाई होगी।